साल 1953 में एक बड़ी बाढ़ ने नीदरलैंड के डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली और 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए. इस घटना के बाद से नीदरलैंड में पुनर्निर्माण का एक नया दौर शुरू हुआ और तटबंध में सुधार और समुद्र किनारे बांध भी बनाए गए.
नई दिल्ली: यूरोपीय देश अपनी सम्पन्नता के लिए जाने जाते हैं. इसी यूरोप के उत्तरी पश्चिम हिस्से में बसा है नीदरलैंड्स. नीदरलैंड्स का मतलब ही निम्न भूमि का इलाका है. पश्चिम यूरोप के इस देश के उत्तर और पश्चिम में उत्तरी सागर, दक्षिण में बेल्जियम, पूर्वी में जर्मनी की सीमा लगती है. नीदरलैंड में अधिकांश इलाका कभी बाढ़ झेलता था, लेकिन अब नीदरलैंड ने बाढ़ से निपटने का बेहतरीन इंतजाम कर रखा है, जिससे दुनिया के सारे देश प्रेरणा ले रहे हैं.
नीदरलैंड का 41,864 वर्ग किलोमीटर (16,164 वर्ग मील) में से चौथाई से भी अधिक क्षेत्र समुद्र सीमा से नीचे हैं इसमें से बहुत सा इलाका तो समुद्र तल से 1 मीटर नीचे तक है. जानकारी के मुताबिक, करीब दो हजार साल पहले से ही नीदरलैंड के वासियों ने निम्न नम क्षेत्रों ने जमीन हासिल करने का सिलसिला शुरू कर दिया था. पहले उन्होंने बाढ़ से बचने के लिए उन्होंने जमीन से उठे हुए गांव बनाए जो आज भी मौजूद हैं.
साल 1953 में एक बड़ी बाढ़ ने नीदरलैंड के डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली और 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए. इस घटना के बाद से नीदरलैंड में पुनर्निर्माण का एक नया दौर शुरू हुआ और तटबंध में सुधार और समुद्र किनारे बांध भी बनाए गए. इसके साथ ही इसेल्मर इलाके में भी जमीन को उपयोगी बनाया गया जिससे फ्लीवोलैंड नाम का नया प्रांत बना जो कि सदियों से समुद्र में डूबा था.
नीदरलैंड्स के नीचले इलाकों में पानी में तैरने वाले घर बने हैं. लकड़ी से बने ये घर आपको वहां एम्सटर्डम से लागोस तक मिल जाएंगे. इसमें बेस सीमेंट का होता है लेकिन उसके अंदर स्टीरोफोम भरा होता है, ताकि वे पानी में डूबे नहीं. इसके अलावा बाढ़ के लिए संवेदनशील इलाकों में रहने वालों के लिए सरकार ऊपर की तरफ आने का विकल्प भी देती है. लेकिन चूंकि देश का आधा हिस्सा ही बाढ़ के लिए संवेदनशील है और समुद्र तल के ऊपर ज्यादा विकल्प नहीं है इसलिए लोग जहां हैं, वहीं रहते हुए बाढ़ से बचने के लिए उपाय करते रहे.
नीदरलैंड के लोगों ने प्रकृति से लड़कर पर्यावरण के महत्व को समझा है. वे ग्लोबल वार्मिक के नुकसान से परिचित हैं और भली भांति जानते हैं कि वे खुद कितने खतरे हैं. यहां की सरकार लोगों को साइकिल से ऑफिस जाने के लिए प्रोत्साहन के दौर पर पैसे देती है. कहा जाता है कि यहां आबादी से ज्यादा साइकिलें हैं.
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