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वैज्ञानिकों ने खोजा दुनिया का सबसे ठंडा बादल, तापमान इतना कम कि हड्डियां चटक जाएं

अब तक आपने सबसे ठंडे प्रदेश या फिर सबसे ठंडे देश के बारे में सुना होगा जहां हाड़ कंपाने वाली ठंड होती है. लेकिन, क्या आपने सबसे ठंडे बादल के बारे में कभी सुना है? जी हां, वैज्ञानिकों ने सबसे ठंडा बादल खोज निकाला है. आइए जानते हैं दुनिया के सबसे ठंडे बादल के बारे में...

हड्डियां चटकाने वाली ठंड

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हड्डियां चटकाने वाली ठंड

Live Science की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूके नेशनल सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जरवेशन (U.K.'s National Center for Earth Observation) के वैज्ञानिकों ने दुनियाभर में आने वाले तूफानों के बादलों की स्टडी की. जिसमें पता चला कि साल 2018 में प्रशांत महासागर पर तूफान लाने वाले बादल का तापमान -111 डिग्री सेल्सियस था. इससे पहले कभी भी इतना ठंडा बादल नहीं देखा गया, ये एक रिकॉर्ड है. इतनी ठंड में हड्डियां चटक सकती हैं.

सबसे ठंडे बादल से आया तूफान

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सबसे ठंडे बादल से आया तूफान

यह तूफानी बादल जमीन से 18 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित था. इस बादल ने साल 2018 में प्रशांत महासागर में तूफान पैदा किया था. बादल की स्टडी करने पर वैज्ञानिकों को कई चौंकाने वाले आंकड़े मिले. 

नासा के सैटेलाइट ने मापा बादल का तापमान

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नासा के सैटेलाइट ने मापा बादल का तापमान

वैज्ञानिकों ने पाया कि ये बादल सामान्य तूफानी बादलों की तुलना में 30 डिग्री ज्यादा ठंडा था. इसका तापमान नासा के सैटेलाइट NOAA-20 ने मापा था. 

इंसानों के लिए बेहद खतरनाक हैं ऐसे बादल

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इंसानों के लिए बेहद खतरनाक हैं ऐसे बादल

वैज्ञानिकों का मानना है कि ये स्थिति क्लाइमेट चेंज की वजह से बन रही है. तूफानी बादलों को इस तरह ठंडा होना इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है. इसी वजह से धरती को कई प्राकृतिक आपदाएं झेलनी पड़ सकती हैं.  

ये है पूरी प्रक्रिया

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ये है पूरी प्रक्रिया

Space.com ने नेशनल सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जर्वेशन के एक रिसर्च फेलो और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता सिमोन प्राउड (Simon Proud) के हवाले से लिखा है कि ओवरशूटिंग टॉप एक सामान्य प्रक्रिया है. आमतौर पर ओवरशूटिंग टॉप का तापमान स्ट्रैटोस्फियर में हर एक किलोमीटर पर 7 डिग्री सेल्सियस कम होता जाता है. 

 

क्या है ओवरशूटिंग टॉप

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क्या है ओवरशूटिंग टॉप

तूफानों के बादल जब ट्रोपोस्फियर के ऊपर पहुंचते हैं तो उनका आकार नुकीले हथियार जैसा हो जाता है. उसका सबसे निचला हिस्सा धरती पर रहता है. अगर तूफान में कई गुना ज्यादा ताकत है तो वह ऊर्जा को अगले लेयर यानी स्ट्रैटोस्फियर तक फेंक सकता है. इस प्रक्रिया को ओवरशूटिंग टॉप कहते हैं. 

सैटेलाइट ने आसानी से किया कैच

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सैटेलाइट ने आसानी से किया कैच

सिमोन प्राउड ने वेबसाइट को बताया कि 29 दिसंबर 2018 को दिखाई दिया बादल बेहद भयानक रूप ले चुका था. इसने अपनी क्षमता से ज्यादा कम तापमान बर्दाश्त कर लिया जिसकी वजह से ये आसानी से सैटेलाइट में कैद हो गया. 

 

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