वैज्ञानिकों ने अपने शोधपत्र में जोर दिया कि इस समस्या से जूझ रहे बच्चे आगे चल कर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से जूझते रहे. क्योंकि वो प्रजनन योग्य नहीं हैं.
पेरिस: आज पूरी दुनिया के लिए प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है. प्रदूषण की वजह से ग्लोबल वार्मिग बढ़ी है और दुनिया पर खतरा भी मंडरा रहा है. ऐसे में इस विषय पर तमाम रिपोर्ट सामने आ रही हैं. लेकिन फ्रांस के वैज्ञानिकों की एक नई रिपोर्ट ने लोगों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि पर्यावरण की वजह से बच्चों में एक ऐसी समस्या देखने को मिल रही है, जो काफी चिंताजनक है.
डेलीमेल की खबर के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड एकेडमिक की वेबसाइट पर ह्यूमन री-प्रोडक्शन सेक्शन में इस बाबत एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. जिसमें विशेषज्ञों ने कहा है कि जिन इलाकों में प्रदूषण की ज्यादा समस्या है, खासकर कोल माइनिंग और धातुओं के उत्खनन वाले क्षेत्रों में, वहां बड़ी संख्या में ऐसे लड़के पैदा हो रहे हैं, जिनके अंडकोष सही जगह पर है नहीं.
इस पूरे विषय को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि इसे क्रिप्टोर्चिडिज्म कहते हैं. इसके 80 फीसदी मामले तो बच्चों के जन्म के 4-6 महीने में अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन बाकी बच्चों के लिए आगे की जिंदगी मुश्किल हो जाती है. क्योंकि ऐसे काफी बच्चे जीवन के आने वाले वक्त में प्रजनन योग्य नहीं रह पाते. यानी इस समस्या से आम जिंदगी जीने में काफी तकलीफें खड़ी हो रही हैं.
इस विषय को लेकर पिछले 30 सालों से रिसर्च चल रही थी. जिसमें साल 2002 से 14 के बीच करीब 89,382 मामले सामने आए. इस बच्चों के अंडकोष सही जगह पर नहीं थे, यानी वो शरीर के अंदर थे. जो कुछ समय बाद बाहर की तरफ आए. इसमें से 20 फीसदी बच्चे ऐसे भी थे, जिन्हें इसके लिए इलाज की जरूरत पड़ी और वो आगे चलकर प्रजनन क्षमता को हासिल भी नहीं कर पाए.
वैज्ञानिकों ने अपने शोधपत्र में जोर दिया कि इस समस्या से जूझ रहे बच्चे आगे चल कर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से जूझते रहे. क्योंकि वो प्रजनन योग्य नहीं हैं. यही नहीं, अंडकोषों के सही जगह पर न होने से आगे चलकर उनमें टेस्टेरॉन कैंसर की समस्या ज्यादा पाई गई.
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