World's Thinnest Skyscraper Steinway Tower: क्या आप उस इमारत के बारे में जानते हैं, जिसे दुनिया की सबसे पतली बिल्डिंग (World’s Thinnest Skyscraper) का दर्जा मिला है? यह एक ऐसी इमारत है जो हवा के तेज झोंकों से डोलने लगती है. अमेरिका (US) के मैनहट्टन में स्थित ये गगनचुंबी टावर (Highrise Tower) दुनियाभर में मशहूर है. आखिर क्यों है ऐसा, आइए जानते हैं.
दुनिया की सबसे पतली इमारत का नाम स्टेनवे टॉवर है. इसकी ऊंचाई 1,428 फीट है. इस टावर में 84 मंजिल है. 'स्टेनवे टावर' को बनाने वाले डेवलपर्स का दावा है कि ये हाईराइज टावर 'दुनिया की सबसे पतली इमारत' है. इसकी ऊंचाई से चौड़ाई का अनुपात 24:1 है.
'द गार्जियन' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस स्काईस्क्रैप टावर को दुनिया की सबसे मजबूत कंक्रीट से बनाया गया है. कुछ साल पहले इसके इंजीनियर रॉवन विलियम्स (Rowan Williams) ने कहा था कि 1000 फीट ऊंचा टॉवर 100 मील/घंटा की रफ्तार से चल रही हवा में लहरा सकता है, हालांकि इसके अंदर रहने वाले लोग इसे महसूस नहीं कर पाएंगे.
इस टावर में कुल 60 अपार्टमेंट है. 'सीएनएन' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस टावर के एक अपार्टमेंट की कीमत करीब 7.75 मिलियन डॉलर (करीब 58 करोड़ रुपये) से लेकर 66 मिलियन डॉलर (लगभग 330 करोड़ रुपये) के बीच रखी गई है. इसके एक पेंटहाउस की कीमत अरबों रुपये में है.
इस गगनचुंबी टावर का पता वेस्ट 57 स्ट्रीट (111 West 57th Street Skyscraper) है. शुरुआती दौर में इसे स्टेनवे हॉल के रूप में डिजाइन किया गया था. फिर 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से इसी जगह पर रेजिडेंशियल टावर बनाया गया. इस टावर को न्यूयॉर्क आर्किटेक्चर फर्म एसओओपी आर्किटेक्ट्स ने डिजाइन किया और जेडीएस डेवलपमेंट, प्रॉपर्टी मार्केट्स ग्रुप और स्प्रूस कैपिटल पार्टनर्स ने मिलकर बनाया है. इस टावर को तैयार होने में करीब नौ साल लगे है.
स्टेनवे टावर के डेवलपर्स ने कहा कि यह टावर शहर की गगनचुंबी इमारतों के बीच सबसे अलग दिखता है. यह हाईराइज इमारत शिल्पकला, इतिहास और विज्ञान का सही मायनों में प्रतिनिधित्व करती है. फिलहाल तो यह टावर अपनी बनावट या खूबसूरती के लिए नहीं बल्कि इससे गिर रही बर्फ के कारण पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है.
इस टावर को विज्ञान का चमत्कार माना जा सकता है. 1428 फीट ऊंचे स्टेनवे टावर के टॉप फ्लोर पर सर्दियों के मौसम में बर्फ जम जाती है जो पारा चढ़ते ही इसपर जमी बर्फ पिघलने लगती है. बर्फ की मोटी चादर पिघलने के कारण इसकी छत से बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े सिल्लियों के रूप में नीचे गिरते हैं. इससे कई लोग घायल हो चुके हैं और कई गाड़ियां बर्बाद हो गईं.
इस तरह की पतली और ऊंची बिल्डिंगों (Highrise Towers) का चलन हॉन्ग कॉन्ग में साल 1970 के दौर में शुरू हुआ था उसके बाद ये अमेरिका (US) समेत कुछ देशों में बनाई गई. भले ही ऐसी इमारतों में रहने वाले लोगों को पूरे शहर का एक बेहतरीन व्यू मिलता है, लेकिन ये खतरनाक भी हो सकती हैं.
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