कभी दुनियाभर की सुविधाओं से गुलजार रहे इन इलाकों को पता नहीं किसकी नजर लग गई या किसी का श्राप लग गया जो अब यहां पक्षियों के अलावा कोई जीव नजर नहीं आता. ग्रैंड-बासम से काफी दूर आज भी एक संपन्न आबादी रहती है. लेकिन इस क्षेत्र के सबसे बेहतरीन इलाके और इमारतें कई दशकों से खाली हैं. ये रिसॉर्ट सिटी अब यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है. 15वीं सदी तक ये एकदम समृद्ध और भरी पूरी आबादी वाला इलाका था.
नागासाकी के तट से दूर इस आइलैंड में मौजूद एक खान से 1887 से लेकर 1974 के बीच खनन होता था. प्राकृतिक संपदा खत्म होने के बाद ये खूबसूरत इलाका वीरान हो गया. हाल के कुछ सालों में यह इलाका एक अहम पर्यटन स्थल बन गया है. हाशिमा का एक अतीत ये भी है कि इस इलाके को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक कैंप के रूप में इस्तेमाल किया गया. जहां 1,000 से अधिक कोरियाई और चीनी नागरिकों और युद्ध के कैदियों को मार दिया गया था.
स्पेन के गृहयुद्ध के दौरान रिपब्लिकन और फासीवादी ताकतों के बीच ये इलाका 1937 में अगस्त और सितंबर के बीच हुई एक हफ्ते की घेराबंदी का केंद्र था. 1939 में बनाया गया ये गांव भी युद्ध के चलते उजड़ गया. आज स्पेन के टूरिज्म में इस इलाके का अहम योगदान है.
अमेरिका के बोडी इलाके की आबादी 1870 के दशक के अंत में 10,000 थी. यहां सोने की खदान थी. यह इलाका भी बेहद समृद्ध और खुशहाली से भरपूर था. लेकिन बोडी की चमक 20वीं शताब्दी की शुरुआत में फीकी पड़ गई. 1920 में इसकी आबादी घटकर केवल 120 रह गई थी. इस सुनसान शहर की अच्छी तरह से संरक्षित इमारतें आज इसे वाइल्ड वेस्ट टूर के लिए एक यादगार पड़ाव बनाती हैं.
इटली के सुदूर दक्षिण में स्थित, क्रेको की शानदार वास्तुकला इसे दुनिया के सबसे अधिक देखे जाने वाले वीरान शहरों में से एक बनाती है. 1960 के दशक में सीवेज की समस्या और पानी की कमी के बाद भूस्खलन की घटनाओं के बाद लोगों ने इस इलाके को छोड़ना शुरू कर दिया और 1980 में ये इलाका पूरी तरह वीरान हो गया.
नामीबिया के इस इलाके की कई इमारतें रेत में आधी डूबी हैं. कोलमंसकॉप के खंडहर बताते हैं कि ये इलाका कभी बेहद नायाब था. ये रेगिस्तान के बीच में एक गुलजार शहर था. जर्मनी के लोगों की दिलचस्पी और हीरे की खदान का काम पूरा 1956 में इस इलाके के वीरान होने की शुरुआत हुई. सन्नाटे को चीरती टूरिस्ट दूर दूर से रेत की खूबसूरती देखने आते हैं.
इस इलाके में कभी मछली पालन का काम होता था. द्वितीय विश्व युद्ध की भयावहता का शिकार हुए इस शहर में 10 जून, 1944 को नरसंहार हुआ था. उस दौरान यहां की अधिकांश आबादी मार दी गई थी. 1999 के बाद इसे टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित किया गया.
ये इलाका आज भी इंग्लैंड का सबसे मशहूर, वीरान और मध्ययुगीन गांव है. ये इलाका कभी आबादी से गुलजार था. यह साइट इंग्लिश हेरिटेज काउंसिल द्वारा संचालित होती है. आज भी यहां पुरातत्वविदों और पर्यटकों का जमावड़ा लगता है.
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