वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हम ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं जहां से वापस नहीं जाया जा सकता. अगर ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव कम भी हो जाता है तो आर्कटिक में पोलर बीयर 2080 तक प्रजनन करने में असमर्थ हो जाएंगे.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि 2100 तक दुनियां से पोलर बीयर खत्म हो सकते हैं. इसके अलावा वैज्ञानिकों को ये भी पता चला है कि वो कहां और कैसे विलुप्त होंगे. अगर ग्रीन हाउस उत्सर्जन पर जल्दी लगाम नहीं लगाई गई तो आर्कटिक में सिर्फ इक्के-दुक्के पोलर बीयर ही रह जाएंगे.
वैज्ञानिक इस बात पर दृढ़ हैं कि 2040 तक, पोलर बीयर प्रजनन करने में असमर्थ हो जाएंगे. जिसके चलते उनकी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच जाएंगी. नेचुरल क्लाइमेट चेंज में छपी एक स्टडी में बताया गया है कि पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों से जानवर कैसे प्रभावित होंगे, कैसे ये शुरुआत लक्षणों में दिखेगा.
अगर सदी के अंत तक ऐसे ही उत्सर्जन होता रहा तो, पोलर बीयर केवल क्वीन एलिजाबेथ आइलेंड्स पर ही बचेंगे, जो कनाडा के आर्कटिक द्वीप समूह में है.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हम ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं जहां से वापस नहीं जाया जा सकता. अगर ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव कम भी हो जाता है तो आर्कटिक में पोलर बीयर 2080 तक प्रजनन करने में असमर्थ हो जाएंगे.
आपको बता दें कि दुनियां में इस वक्त 19 प्रजातियों के 26,000 पोलर बीयर हैं. जो नॉर्वे से लेकर कनाडा और साइबेरिया तक फैले हुए हैं. खाना खोजने के लिए बीयर बर्फ पर निर्भर रहते हैं, बर्फ के गड्ढों में मछलियों को पकड़ते हैं, कभी-कभी इस प्रक्रिया में उन्हें घंटों या कई दिन तक लगते हैं.
हाल ही में भूख से परेशान कंकाल होते जा रहे पोलर बीयर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं. जिसके बाद लोगों को उनकी इस परेशानी के बारे में पता चला था. बता दें कि ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते समुद्र की बर्फ पिघलती जा रही है, कारण पोलर बियर की घटती संख्या के पीछे ये एक सबसे बड़ा कारण है.
शोधकर्ता दावा करते हैं कि प्रजनन में ये गिरावट वैसी ही है, जैसा उन्होंने अंदाजा लगाया था. हालांकि बीयर्स को महीनों तक भूखे रहने की आदत होती है. लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा, जब उन्हें लंबे समय तक खाना नहीं मिला तो वो प्रजनन के योग्य नहीं रह जाएंगे.
स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 19 में से पोलर बीयर की उन 13 प्रजातियों पर अध्ययन किया, जो उनकी कुल जनसंख्या का 80 फीसदी हिस्सा हैं. हालांकि उन्होंने कनाडाई आर्कटिक इलाके के द्वीप समूहों के बीयर्स को छोड़ दिया क्योंकि इस भौगोलिक इलाके में अनुमान लगाना आसान काम नहीं है.
अगर उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगाई जा सकी तो, 2040 तक कनाडा की हडसन बे और डेविस स्ट्रेट के बीयर्स प्रजनन के लायक नहीं रह जाएंगे. ऐसा लगभग तय माना जा रहा है. 2080 तक अलास्का और रूस के बीयर खत्म होने शुरू हो जाएंगे. 2100 तक पूरी दुनियां में पोलर बीयर की जनसंख्या खत्म हो सकती है, विलुप्त हो सकती है.
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