भारत में मुसलमानों की स्थिति पर जब तब अंगुली उठाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Rechep Tayyip Erdogan) वीगर मुसलमानों (Uyghur Muslim) के मसले पर अपने देश में ही घिर गए है. चीन के साथ किए गए एक समझौते पर तुर्की के लोग उनका विरोध कर रहे हैं.
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अंकारा: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटाने पर कश्मीरी मुसलमानों के लिए काला दिन बताने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Rechep Tayyip Erdogan) अब अपने ही देश में घिर गए हैं. वीगर मुसलमानों (Uyghur Muslim) को चीन (China) प्रत्यर्पित किए जाने के समझौते पर तुर्की (Turkey) के लोग उनका विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि तुर्की की संसद इस समझौते को मंजूरी न दे वर्ना चीन में वीगर मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ जाएगा.
तुर्की (Turkey) ने वर्ष 2017 में चीन के साथ एक प्रत्यर्पण समझौता (Sino-Turkish Extradition Agreement) किया था. चीन (China) की संसद पिछले सप्ताह इस समझौते को स्वीकार कर चुकी है, जबकि तुर्की की संसद से इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. इस समझौते के तहत, तुर्की में रह रहे कई शरणार्थियों और वीगर मुसलमानों (Uyghur Muslim) को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में चीन प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
तुर्की (Turkey) के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोगलु ने लोगों के आक्रोश को ठंडा करने की कोशिश करते हुए कहा कि यदि संसद में समझौते को मंजूरी मिल भी जाती है तो इसका मतलब ये नहीं होगा कि सरकार चीन की मांग के मुताबिक सभी वीगर मुसलमानों (Uyghur Muslim) का प्रत्यर्पण कर देगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस समझौते में कई ऐसे अनुच्छेद शामिल किए हैं, जिनके आधार पर वह प्रत्यर्पण की मांग को खारिज कर सकती है.
बता दें कि चीन (China) के शिनझियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों (Uyghur Muslim) की करीब 2 करोड़ की आबादी है. उनकी उनकी भाषा टर्किश है और वे चीन के हान लोगों के बजाय खुद को तुर्की के ज्यादा करीब महसूस करते हैं. चीन ने वीगर मुसलमानों को शिक्षित करने के नाम पर करीब 10 लाख लोगों को डिटेंशन सेंटर्स में ठूंस रखा है. इस मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन भी पहले खुलकर वीगर मुसलमानों के समर्थन में आवाज उठाते थे लेकिन चीन से दोस्ती बढ़ने के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली.
तुर्की (Turkey) के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोगलु ने कहा, 'हमें वीगर तुर्कों को लेकर चिंता है. हमने चीन से कहा है कि हम एक प्रतिनिधिमंडल शिनझियांग भेजना चाहते हैं, जो वीगर तुर्कों (Uyghur Muslim) की स्थिति की पड़ताल करेगा.' उधर निर्वासित वीगर मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया है कि चीन (China) जानबूझकर तुर्की को कोविड वैक्सीन की पहली खेप भेजने में देरी कर रहा है ताकि एर्दवान सरकार पर संसद में समझौते को मंजूरी देने के लिए दबाव बढ़ाया जा सके.
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की चीन (China) से कोविड वैक्सीन भी मंगा रहा है. विश्लेषकों को आशंका है कि चीन इसके जरिए तुर्की पर प्रत्यर्पण समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बना सकता है. चीन के मानवाधिकार संगठनों ने द गार्डियन अखबार से कहा कि इस समझौते से वीगर मुसलमानों को चीन को सौंपे जाने का खतरा बढ़ जाएगा. वहां उन्हें कैद कर प्रताड़ित किया जा सकता है.
तुर्की पर मानवाधिकार संगठनों का दबाव है कि वह चीन के साथ हुए प्रत्यर्पण को लेकर हुए द्विपक्षीय समझौते (Sino-Turkish Extradition Agreement) को संसद में मंजूरी ना दे. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि तुर्की के इस कदम से चीन से भागकर तुर्की शरण लेने वाले वीगर मुसलमान (Uyghur Muslim) निशाने पर आ जाएंगे. तुर्की की संसद में भी इसका कड़ा विरोध हो रहा है. आलोचकों का कहना है कि ये समझौता चीन में वीगर मुसलमानों को प्रताड़ित करने का जरिया बन जाएगा.
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तुर्की में 50 हजार वीगर मुसलमानों ने ले रखी है शरण
बता दें कि चीन से भागने वाले अधिकतर वीगर मुसलमान तुर्की में ही शरण लेते हैं. तुर्की में इस समय करीब 50 हजार वीगर मुसलमानों (Uyghur Muslim) ने शरण ले रखी है. लेकिन चीन-तुर्की की बढ़ती दोस्ती से अब उनके अस्तित्व पर संकट पनपने लगा है. तुर्की के साथ कारोबार बढ़ाने के साथ ही चीन सेटेलाइट विकसित करने में भी चीन की मदद कर रहा है. ऐसे में कई फायदों को देखते हुए तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन वीगर मुसलमानों की स्थिति पर खामोश हो गए हैं.
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