Russia Ukraine War: क्या RUSSIA की है पश्चिमी देशों में जासूस भेजने की तैयारी?
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Russia Ukraine War: क्या RUSSIA की है पश्चिमी देशों में जासूस भेजने की तैयारी?

Russian Diplomatic Passport: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. इसी बीच रूस ने खास तैयारी की है. विदेश मंत्रालय ने हजारों डिप्लोमेटिक पासपोर्ट बनाने का आदेश दिया है. इसके जरिए वह अपने जासूसों को पश्चिमी देशों में भेजने की तैयारी कर रहा है.

फाइल फोटो

Russian Foreign Ministry Order: जब से RUSSIA ने यूक्रेन पर हमला किया है, तब से पश्चिमी देशों ने RUSSIA पर प्रतिबंधों का अंबार लाद दिया है. RUSSIA दुनिया का सबसे ज्यादा प्रतिबंधों वाला देश बन गया है. पुतिन सहित RUSSIA के बड़े-बड़े अधिकारियों, पुतिन के खास समझे जाने वाले लोगों पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. इन प्रतिबंधों से बचने के लिए रूस के विदेश मंत्रालय ने नई तरकीब निकाली है.

विदेश मंत्रालय ने दिया आदेश

रूस के विदेश मंत्रालय ने 1 लाख 74 हजार नए डिप्लोमैटिक पासपोर्ट को तेजी से प्रिंट करने के आदेश दिये हैं. इन पासपोर्ट को प्रिंट करने में करीब 3.3 मिलियन यूरो को खर्चा आएगा. दिलचस्प बात ये है कि रूस के विदेश मंत्रालय में करीब 15 हजार कर्मचारी हैं. उनमें से भी सिर्फ 3 में से 1 कर्मचारी ही डिप्लोमैटिक स्टेटस के काबिल है.

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इन्हें मिल सकता है डिप्लोमैटिक पासपोर्ट

ब्रिटेन के एक अखबार की रूस के मीडिया आउटलेट SOTA के हवाले से छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कानूनन रूस  की सिक्योरिटी सर्विस FSB के कर्मचारी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट ले सकते हैं, लेकिन तब जब वो दूसरे देश में मिशन पर हों. इसी तरह FSO के अधिकारियों को भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट मिल सकता है. FSO यानि रूस की वो एजेंसी जिसके कर्मचारी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन सहित अन्य उच्च अधिकारियों की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. रूस 
के सांसद, जज भी इस पासपोर्ट के हकदार हैं. जिसके पास ये पासपोर्ट होता है, उसे कुछ देशों में वीज़ा की भी ज़रूरत नहीं होती है. अधिकारियों के पति या पत्नी भी इस पासपोर्ट को हासिल कर सकते हैं. साथ ही वो खास सिविल सर्वेंट्स जो क्रेमिलन की ब्यूरोक्रेसी के लिए काम करते हैं, वो भी इस पासपोर्ट के काबिल होते हैं.

जासूसों पश्चिम में भेजने की तैयारी?

रूस के विदेश मंत्रालय का नया आदेश ऐसे समय में आया है,  जब पश्चिमी देशों ने रूस के खास और एलीट वर्ग पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे उनके एक देश से दूसरे देश जाने पर लगाम लग गई है. सवाल उठता है कि आखिर विदेश मंत्रालय को 1 लाख 74 हजार डिप्लोमेटिक पासपोर्ट की जरूरत क्या है,  जब उसके पास सिर्फ 15 हजार अधिकारी ही हैं. उनमें से भी सिर्फ एक तिहाई कर्मचारी ही डिप्लोमेट हैं. शक होता है कि इन पासपोर्ट्स के जरिए रूस के अधिकारी और जासूस पश्चिम के देशों में जाने की फिराक में तो नहीं. अब दूसरा सवाल उठता है कि ये लोग पश्चिम के देशों में आखिर कहां जाने की योजना बना रहे हैं.
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