South Africa Murders: दक्षिण अफ्रीका के इस गांव में मौत का तांडव, हर महीने होता है कत्ल, नींद भी भूल चुके हैं लोग
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South Africa Murders: दक्षिण अफ्रीका के इस गांव में मौत का तांडव, हर महीने होता है कत्ल, नींद भी भूल चुके हैं लोग

Village of Death: नींद क्या होती है, दक्षिण अफ्रीका के एक गांव में लोग ये भूल चुके हैं. दक्षिण अफ्रीका के कोने में बसे ज़िंगकोल्वेनि में इन दिनों मौत तांडव कर रही है. 3000 की आबादी वाले इस गांव में लगभग हर महीने एक हत्या हुई है. लगातार हो रही हत्याओं के कारण इस गांव को नाम मिला है- 'द विलेज ऑफ डेथ'.

 ज़िंगकोल्वेनि गांव में मौत कर रही तांडव

Murders in South Africa Village: नींद क्या होती है, दक्षिण अफ्रीका के एक गांव में लोग ये भूल चुके हैं. दक्षिण अफ्रीका के कोने में बसे ज़िंगकोल्वेनि गांव में इन दिनों मौत तांडव कर रही है. 3000 की आबादी वाले इस गांव में लगभग हर महीने एक हत्या हुई है. लगातार हो रही हत्याओं के कारण इस गांव को नाम मिला है- 'द विलेज ऑफ डेथ'. अब तक 11 बुजुर्ग लोगों का कत्ल हो चुका है. इनमें अधिकतर महिलाएं शामिल हैं, जो अकेले रहा करती थीं.

अफ्रीका सबसे हिंसक देशों में शामिल है 

इन सभी की रात के समय चाकू गोदकर हत्या कर दी गई. 50 वर्षीय नोबोंगाइल फिहला ने एएफपी से कहा कि उनकी मां मई 2021 में मारे गए पहले पीड़ितों में से थीं.फिहला ने बताया, 'मुझे अपनी मां दरवाजे के पास मृत मिली, खून से सनी हुई. उनका गला कटा हुआ था.' इसके बाद उनकी मौसी की भी उसी झोंपड़ी में हत्या हुई, जहां दोनों बहनें रहा करती थीं. हैरत की बात है कि किसी ने न कुछ देखा न सुना. दक्षिण अफ्रीका वॉर जोन के बाहर दुनिया के सबसे हिंसक देशों में से एक है, जहां औसतन हर 20 मिनट में एक हत्या होती है. लेकिन लगातार हो रही हत्याओं से पुलिस भी हैरान है. सभी पीड़ितों को बेरहमी से चाकू से गोदा गया. कुछ का गला भी काटा गया. 

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'ऐसा कभी नहीं हुआ'

नाम न बताने की शर्त पर एक जांचकर्ता ने बताया, 'बुजुर्ग लोगों की मनोवैज्ञानिक मकसद से हत्या हो रही हैं. ये दक्षिण अफ्रीका में पहले कभी नहीं देखा गया.' हत्या के आरोपों पर अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इन पर मुकदमा जून में शुरू होगा. 

हालांकि स्थानीय पुलिस का मानना है कि ये हत्याएं चोरी के मकसद से की गई हैं. लेकिन 64 साल के स्थानीय ऑफिसर गसिनिकाया कोकिक उन लोगों में शामिल हैं, जो मानते हैं कि चोरों को दोष देना सही नहीं. उनका कहना है, 'चोरी के बाद जब लोगों ने पीड़ितों के घरों की तलाशी ली तो उन्हें वहां पैसा मिला.अन्य कीमती चीजों को भी हाथ नहीं लगाया गया था. अब खुद से पूछिए कि जिन लोगों को मारा गया, उनसे उन्हें क्या चाहिए था?' पुलिस को सबूत के तौर पर सिर्फ कपड़े का एक टुकड़ा मिला है. सीरियल किलर के खुलासे से गांव में दहशत फैल गई है. कुछ भाग गए हैं और महिलाएं रात में एक साथ सोने लगी हैं.

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एक महीने की शुरुआत में होता है मर्डर

मामले की जांच कर रही स्पेशल पुलिस यूनिट ने कई बार घटनास्थल का दौरा किया है. कत्ल करने की भी एक मोडस ऑपरेंडी है. हत्याएं हर महीने की शुरुआत में होती हैं और हत्या के मकसद का कोई सबूत नहीं मिलता. घटनाओं से ऐसा लगता है कि हत्यारे युवा और ताकतवर हैं, जो पीड़ितों को काबू कर लेते हैं. चूंकि गांव सूदूर कोने में है इसलिए हो सकता है हत्यारे आसपास रहते हों और उन्हें बुजुर्गों से नफरत हो. 

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