नई दिल्ली: केवल भारत ही नहीं पूरी दुनिया इस समय आतंकवाद से जूझ रही है. कुछ साल पहले ही पश्चिम एशिया में इस्लामिक आतंकवाद ने अपनी जड़ें दुनिया भर में फैलाना शुरु किया, लेकिन उसे अपना गढ़ बनाया सीरिया को. सीरिया कभी दुनिया सबसे पुरानी सभ्यताओं का हिस्सा रहा था जिसमें पारस, असीरिया, हिब्रू, बेजेंटाइन रोमन और मकदोनिया साम्राज्य शामिल हैं. 7वीं सदी के बात यह इस्लामिक सभ्यता का केंद्र और उसके बाद 16वीं सदी से ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा. अपनी अहम भू-रणनीतिक स्थिति की वजह से यह हमेशा ही दुनिया की निगाहों में रहा. 1946 में फ्रांस से आजाद होने के बाद सीरिया में लंबी राजनैतिक स्थिरता कभी नहीं रही. यह देश हाल ही में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों से मुक्त हुआ है. 


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भौगोलिक स्थिति 
सीरिया के पश्चिम में भूमध्य सागर और लेबनान, उत्तर में तुर्की, पूर्व में इराक, दक्षिण में जोर्डन और  दक्षिण पश्चिम में इजराइल हैं. भूमध्यसागर स्थित एक द्विपीय देश साइप्रस सीरिया से समुद्री सीमा साझा करता है. 185,180 वर्ग किलोमीटर (71,498 वर्ग मील) क्षेत्र में फैले इस देश के पश्चिम में मुख्यतः पहाड़ और पठार हैं जबकि भूमध्यसागर के किनारे तटीय मैदान है. पूर्व में रेगिस्तान है. यहां प्रमुख नदी फुरात है जहां तटीय मैदान है. यहां की जलवायु शुष्क और गर्म है. सर्दियां ठंडी होती हैं. कभी कभी हिमपात भी होता है. 


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सीरिया में विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं. यहां की जनसंख्या लगभग दो करोड़ 11 लाख है. राजधानी दमिश्क है यहां का सबसे बड़ा शहर होने के साथ ऐतिहासिक महत्व का नगर है. इसके अलावा अलेप्पो, लताकिया, होम्स, हमा यहां के प्रमुख शहर हैं. यहां अरबी सुन्नी, कुर्द, अर्मेनियाई, असीरियाई, ईसाई, द्रुजे, अलावत शिया समुदाय के लोग रहते हैं जिनमें अरबी सुन्नी मुस्लिमों की संख्या सबसे ज्यादा है. 


संक्षिप्त इतिहास
इस क्षेत्र सबसे पुराना मानव अवशेष पाए गए हैं. सबसे पुरानी सभ्यता यहां की एल्बी सभ्यता मानी जाती है जो कि 3000 ईसा पूर्व से अस्तित्व में आया. इसके मिस्र की प्राचीन सभ्यता से भी संबंध थे. 2000 ईसापूर्व तक यहां के ज्यादातर क्षेत्रों में पहले सारगोन और हिट्टियों ने कब्जा किया. इसके बाद यहां कैन्ननाइच, फ़ोनेशियाई तथा अरामियनों का प्रभुत्व रहा जिन्होंने यहां की संस्कृति पर गहरा प्रभाव रहा. 1000 ईसा पूर्व तक यह क्षेत्र में छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया. छठी सदी ईसापूर्व में फारस के हखामनी साम्राज्य के कब्जे के बाद दो सदियों तक पूरे पश्चिम एशिया पर फारसियों का अधिकार बना रहा. तीसरी छठी सदी ईसापूर्व में सिकंदर के आगमन के बाद यहां यवनों का कब्जा हो गया. इसके बाद सासानी तथा रोमनों के बीच सीरिया बंटा रहा. रोमन शासन के दौरान एंटिओक शहर सीरिया की राजधानी बना रहा. तीसरी सदी में रोम में दो सीरियाई शासकों का राज था. इसके बाद तीसरी सदी में यह बेजेंटाइन साम्राज्य का हिस्सा बन गया. सातवीं सदी में सीरिया उम्मयद खिलाफ़त (650-735) और फिर 13वीं सदी तक अब्बासियों और फिर मम्लूकों के अधिकार में रहा. इसके बाद तैमूरलंग के 1400 में हुए हमले ने सीरिया को तबाह कर दिया. 16वीं सदी से प्रथम विश्व युद्ध तक सीरीया ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा. 


प्रथम विश्व युद्ध के बाद
प्रथम विश्व युद्ध के खात्मे के बाद ओटोमन साम्राज्य का पतन हो गया और सीरिया फ्रांस के कब्जे में रहा जो 1946 में आजाद हुआ. आजादी के बाद यहां बाथ पार्टी का वर्चस्व रहा. 1958-60 में मिस्र के साथ संयुक्त अरब गणराज्य का हिस्सा बनने के बाद 1961 में सैन्य तख्ता पलट हुआ. 1967 में अरब इजराइल युद्ध में सीरिया ने गोलान पठार इलाके को गंवा दिया जिस पर इजराइल ने कब्जा कर लिया. 1970 से सीरिया में असद परिवार का शासन रहा. इस दौरान इराक युद्ध में सीरिया ने ईरान का साथ दिया. राष्ट्रपति हाफिज अल असद ने 2000 तक शासन किया और उसके बाद उनके पुत्र बशर अल असद ने शासन संभाला जिन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा और 2011 के बाद सीरिया गृहयुद्ध में उलझा गया. उसी समय आइसिस के उदय ने सीरीया की समस्या को अंतरराष्ट्रीय समस्या बना दिया. 



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वर्तमान परिदृश्य
आज सीरिया को लोग एक ऐसे देश के तौर पर जानते हैं जो इस्लामी आतंकियों का गढ़ बन गया था. यह अचानक होने वाली घटना नहीं थी. अमेरिका ने जब इराक पर युद्ध थोपा उसके बाद से ही इराक में ही नहीं कुछ अन्य अरब देशों में भी अमेरिका के खिलाफ असंतोष बढ़ता गया. अलकायदा खात्मे की ओर था और ऐसे में आतंकियों ने आइसिस (ISIS) इस्लामिक स्टेट्स इन इराक एंड सीरिया का गठन किया जिसका बाद में नाम बदल कर केवल इस्लामिक स्टेट (IS) कर दिया. इन लोगों के लिए सीरिया के गृहयुद्ध की परिस्थितियां ज्यादा अनुकूल थीं जो गृहयुद्ध की कगार पर था. धीरे-धीरे इन लोगों का वर्चस्व सीरिया और इराक में बढ़ गया और दुनिया भर में चिंताएं बढ़ गई. आतंकियों का यहां जमा हो जाने से दुनिया की बड़ी शक्तियां इन ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने लगीं. आज स्थिति यह है कि इराक और अब सीरिया दोनों में ही आइएस का लगभग सफाया हो चुका है. 



युद्ध के बाद क्या?
अमेरिकी सेनाएं सीरिया खाली करने की तैयारी में हैं और बशर अल असद की सरकार सीरीया में काफी पहले बहाल हो चुकी है. लेकिन यहां कि आधी आबादी ने अपने घर खो दिए हैं. वहीं असंतोष से शुरू हुआ गृहयुद्ध आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बदल गया था. आतंकवादी तो खत्म हो गए, बशर अल असद की सरकार भी बहाल हो गई, लेकिन सीरिया की समस्याएं हल हो गई हैं यह कहने की स्थिति में अभी कोई नहीं है. आंतकवाद का खात्मा केवल एक मौका है सीरिया में स्थाई शांतिपूर्ण राजनैतिक हल निकालने का. युद्ध के कारण भागे लोगों में घरवापसी की उम्मीद जगी है. वहीं कुर्दों को लगता है कि आइसिस और आइएस के खिलाफ दुनिया के साथ खड़े होने से उन्हें उनके हक मिल सकेंगे. (हालांकि कुर्द की समस्या अकेले सीरिया की नहीं है.)


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अर्थव्यवस्था
सबसे पहले 1956 में यहाँ पेट्रोलियम की खोज हुई थी. तब से यहां का प्रमुख उद्योग पेट्रोलियम है. इसके अलावा कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, पेय पदार्थ, तंबाखू यहां के मुख्य उद्योग हैं. कृषि उत्पादों में गेंहूं कपासा, मटर, शलजम, दूध, मांस, अंडा, प्रमुख हैं. कच्चा तेल, फल सब्जियां, सूत, कपड़े, मांस और गेंहूं का निर्यात ज्यादा होता है वहीं भारी मशीनें, बिजली, खाद्य पदार्थ, धातु और उनके उत्पाद, कैमिकल्स, प्लास्टिक, कागज आदि का आयात ज्यादा होता है. यहां की मुद्रा सीरियाई पाउंड है. 


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भारत और सीरिया
वैसे तो भारत और सीरिया के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, पर शीत युद्ध में सीरिया गुटनिरपेक्ष देश रहा है जिससे दोनों देशों के बीच मजबूत राजनैतिक संबंध रहे हैं. भारत ने हमेशा गोलान पठार के मामले में इजराइल की जगह सीरिया का साथ दिया है. इसके बदले में भारत को कश्मीर मुद्दे पर सीरिया का साथ मिला है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच शैक्षणिक, तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में भी सहयोग होता रहा है. सीरिया के गृह युद्ध में उलझने के बाद से दोनों देशों के संबंध जरूर रुक से गए थे, लेकिन अब आइएस के खात्मे के बाद दोनों देशों के संबंध में बहाली की पूरी उम्मीद है. क्योंकि दोनों देशों की कई समस्याएं एक ही तरह की है जिसमें आतंकवाद से लड़ाई दोनों को एक ही मंच पर लाती है.