Tutankhamun Curse: मकबरा खोलने वालों को क्या तूतेनखामेन का लगता था शाप, हकीकत या सिर्फ शिगूफा
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Tutankhamun Curse: मकबरा खोलने वालों को क्या तूतेनखामेन का लगता था शाप, हकीकत या सिर्फ शिगूफा

Tutankhamun Tomb News:  मिस्र के राजा तूतेनखामेन के मकबरे को जब 1992 में खोजे जाने के बाद कुछ लोगों की मौत हो गई थी. ऐसा माना जाने लगा कि मौत के पीछे तूतेनखामेन का शाप है. हालांकि बाद में कुछ अन्वेषक इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर ऐसा होता तो मकबरे की खोज से जुड़े ज्यादातर लोगों की मौत हो जानी चाहिए थी लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ.

Tutankhamun Curse: मकबरा खोलने वालों को क्या तूतेनखामेन का लगता था शाप, हकीकत या सिर्फ शिगूफा

Tutankhamun Curse News:  तूतेनखामेन, मिस्र का राजा था लेकिन 1922 से पहले उसके बारे में जानकारी बेहद कम थी. मिस्र की किंग्स घाटी  स्थित मकबरे के बारे में जब दो ब्रिटिश पुरातत्वविदों ने जानकारी दी उसके बाद /यह राजा चर्चा के केंद्र में आया. चर्चा के पीछे दो वजह थी. पहली वजह यह कि तूतेनखामेन की कब्र में अकूत खजाना था और दूसरी वजह यह कि तूतनखामेन की मौत (Tutankhamun death) पर रहस्य गहराने लगा था. इन सबके बीच इस तरह की खबरें आने लगीं कि जिस किसी ने तूतनखामेन के मकबरे (Tutankhamun tomb) के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की वो उसके शाप या श्राप का शिकार बन गया.

क्या है शाप या श्राप लगने की कहानी

अब सवाल यह है कि क्या वास्तव में जो कोई भी तूतेनखामेन के मकबरे (Tutankhamun tomb mystery) में कुछ तलाशने की कोशिश करता था उसे शाप लग जाता था या यूं ही किसी ने अफवाह फैलाने का काम किया था. इस बात के दावे किए जाते हैं जिस किसी ने भी मकबरे को खोलने की कोशिश की वो तूतनखामेन के शाप (tutankhamun curse) का शिकार बना. दरअसल इस धारणा को बल भी मिला क्योंकि कुछ लोगों ने मकबरे को खोलने की कोशिश की थी और उनकी मौत बहुत जल्द हो गई थी.जॉर्ज एडवर्ड स्टैनहोर मॉलिन्यूक्स हर्बर्ट जो कार्नरवोन के पांचवें अर्ल थे उनकी मौत चर्चा के केंद्र में रही.दरअसल इन्होंने मकबरे की खोज और खुदाई के लिए आर्थिक मदद की थी. एडवर्ड की मौत 1922 में मकबरे के खोले जाने के महज एक साल बाद हो गई थी. हालांकि उनकी मौत के मच्छर जनित बीमारी को जिम्मेदार ठहराया जाता है. 

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हकीकत से अधिक शिगूफा

तूतेनखामेन के मकबरे को खोलने में कई दर्जन लोग किसी न किसी तरह से जुड़े हुए थे.अगर अभिशाप को मान लिया जाए तो ज्यादातर लोगों के मरने की आशंका अधिक थी. इस विषय पर अन्वेषक जेम्स रैंडी (tutamkhamun james randy book) अपनी किताब पुस्तक  एन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ क्लेम्स, फ्रॉड्स एंड होक्सेज ऑफ द ऑकल्ट एंड सुपरनैचुरल में लिखते हैं कि जिन लोगों को अभिशाप झेलना चाहिए था उनके जीवन की औसत अवधि 23 वर्ष से अधिक थी. सत्तावन साल बाद, 1980 में कार्नरवॉन की बेटी की मृत्यु हो गई. यही नहीं हॉवर्ड कार्टर जिन्होंने न केवल कब्र की खोज की बल्कि ताबूत से तूतनखामुन की ममी (tutankhamun mummy) को भी हटा दिया था. उस घटना के सोलह साल बाद यानी 1939 तक जीवित रहे थे. ऐसा भी माना जाता है कि 1922 में जब कार्टर मकबरे की खुदाई कर रहे थे उन्होंने ही अफवाह को जन्म दिया ताकि और किसी की पहुंच वहां ना हो सके.

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