Putin-Kim Jong: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तानाशाह किम जोंग उन के बीच जासूसी कनेक्शन की खबर है. जानकारी के मुताबिक अगले हफ्ते पुतिन नॉर्थ कोरिया के दौरे पर जायेंगे, जहां किम जोंग और उनके बीच मुलाकात होगी. इस मुलाकात का मकसद नॉर्थ कोरिया के साथ हथियारों की डील करना है, जबकि नॉर्थ कोरिया खुद को मजबूत करने के लिए रूस से एक जासूसी सैटेलाइट चाहता है.


अमेरिका समेत दुनिया की नज़र


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रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है, और इस बीच पुतिन नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात करने वाले हैं. इस मुलाकात पर अमेरिका समेत दुनिया की नज़र है.


पुतिन और किम जोंग की मुलाकात सामान्य नहीं रहने वाली, बल्कि इस मुलाकात के मायने बहुत गहरे हैं. जो ख़बरें सामने आ रही हैं, उसके मुताबिक
- पुतिन और किम जोंग में हथियारों पर बात हो सकती है
- पुतिन, नॉर्थ कोरिया से हथियारों की सप्लाई चाहते हैं
- पुतिन तोप, मिसाइलों और दूसरे हथियारों पर बात करेंगे
- किम जोंग का मकसद जासूसी सैटेलाइट तकनीक हासिल करना है


रूस हथियारों की कमी से जूझ रहा?


दरअसल, यूक्रेन के खिलाफ जारी युद्ध की वजह से रूस हथियारों की कमी से जूझ रहा है. उसे हथियार सप्लाई करने वाले देश सीमित है. इनमें चीन, नॉर्थ कोरिया और ईरान ही हैं. ऐसे में नॉर्थ कोरिया से हथियारों की डील पर बात हो सकती है.


जासूसी सैटेलाइट की तकनीक


यूक्रेन के खिलाफ रूस की जंग को लंबा समय हो गया है, रूस का खुद का वेपन प्रोडक्शन कम हुआ है. पिछले साल सितंबर में ही किम जोंग ने रूस का दौरा किया था. तब भी दोनों के बीच कई मुद्दों पर बात हुई थी. ख़बर ये भी है, कि किम जोंग उन हथियारों के बदले में जासूसी सैटेलाइट की तकनीक की डिमांड कर सकते हैं. क्योंकि, पिछले दिनों नॉर्थ कोरिया ने एक जासूसी सैटेलाइट लांच किया था. जो कुछ ऊंचाई पर जाकर ब्लास्ट हो गया था. 


मकसद जासूसी सैटेलाइट तकनीक


मुमकिन है कि रूस इसके लिए तैयार भी हो जाये, क्योंकि रूस नॉर्थ कोरिया, चीन और ईरान को अपने खेमें में करना चाहता है. जबकि किम का मकसद जासूसी सैटेलाइट तकनीक हासिल करके साउथ कोरिया और जापान पर अपनी निगरानी बढ़ाना है.


रूस और चीन का साथ पाकर नॉर्थ कोरिया भी अपना मोर्चा मजबूत करना चाहता है. दूसरी तरफ हालात को देखते हुए साउथ कोरिया के विदेश मंत्री ने अमेरिका के डिप्टी सेक्रेटरी से फोन पर बात की है. जाहिर तौर पर अगर किम जोंग को जासूसी सैटेलाइट की तकनीक मिलती है तो इससे जापान और साउथ कोरिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ब्यूरो रिपोर्ट