कौन हैं प्रबोवो सुबियांतो? ‘कुरान’ पर हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की ली शपथ, क्रूर सैन्य तानाशाह ने कैसे हथिया ली सत्ता
Advertisement
trendingNow12480423

कौन हैं प्रबोवो सुबियांतो? ‘कुरान’ पर हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की ली शपथ, क्रूर सैन्य तानाशाह ने कैसे हथिया ली सत्ता

Who is Prabowo Subianto:  जिसके नाम से पूरा देश कांपता था, अब वह राष्ट्रपति बन गया है. कुछ ऐसा ही हुआ है इंडोनेशिया में. जहां क्रूर सैन्य तानाशाह ने राष्टपति की सत्ता हासिल कर ली है. जानें पूरी कुंडली.  

कौन हैं प्रबोवो सुबियांतो? ‘कुरान’ पर हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की ली शपथ, क्रूर सैन्य तानाशाह ने कैसे हथिया ली सत्ता

Prabowo Subianto Indonesia New President: विश्व के सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया को अपना आठवां राष्ट्रपति मिल गया है. पूर्व रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबियांतो (73) ने देश के सांसदों और अन्य देशों से आमंत्रित किए गए गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष मुस्लिमों के पवित्र धर्म ग्रंथ ‘कुरान’ पर हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. जानें कौन हैं प्रबोवो सुबियांतो, क्या है उनकी पूरी कुंडली.  

एक दौर में खौफ खाते थे लोग
एक समय था जब प्रबोवो सुबियांतो का नाम सुनकर अधिकांश इंडोनेशियाई लोग डर जाते थे. मानवाधिकारों के हनन और अपने ही देश के लोगों को गायब कराने के आरोपों से घिरे उग्र पूर्व विशेष बल कमांडर सुबियांतो अब देश के राष्ट्रपति बन गए हैं.

कौन हैं प्रबोवो सुबियांतो?
प्रबोवो का जन्म एक धनी राजनीतिक परिवार में हुआ था, वे एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के पुत्र थे, जो इंडोनेशियाई मंत्रिमंडल में सेवारत थे. वे अपने पिता के नक्शेकदम पर चले गए, जिन्होंने 1957 में विवादों के चलते देश छोड़ दिया था, और अपना बचपन का एक दशक यूरोप में निर्वासन में बिताया था. घर लौटने के बाद, वह सेना में शामिल हो गए और शीघ्र ही पदोन्नति पाकर इंडोनेशिया के विशिष्ट विशेष बल, कोपासस के कप्तान बन गए.

लगे गंभीर आरोप
तब तक उन पर अशांत पूर्वी तिमोर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लग चुका था, जहां वे यूनिट के सदस्य के रूप में काम कर चुके थे. पूर्वी तिमोर में सैन्य अभियानों में उनकी सटीक भूमिका कभी साबित नहीं हुई, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई और वे आरोपों से इनकार करते हैं. लेकिन उनके करियर पर लगा यह दाग अभी भी बरकरार है.

सुहार्तो की एक बेटी से की शादी 
उन्होंने सुहार्तो की एक बेटी से शादी की और तानाशाह के करीबी लोगों में शामिल रहे. 1990 के दशक के आखिर में जब सुहार्तो का शासन खत्म हो गया, तो कोपासस पर शासन का विरोध करने वाले 20 से ज़्यादा छात्र कार्यकर्ताओं का अपहरण करने का आरोप लगा. उनमें से कम से कम एक दर्जन अभी भी लापता हैं और उनके मारे जाने की आशंका है. जो लोग बच गए हैं, उन्होंने यातना का आरोप लगाया है.

सेना से बर्खास्त
प्रबोवो को सेना से बर्खास्त कर दिया गया, वे जॉर्डन में स्व-निर्वासन पर चले गए, ऑस्ट्रेलिया में उनका नाम काली सूची में डाल दिया गया तथा उन पर संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया. लेकिन 2019 में उन्होंने वापसी की और देश में रक्षा मंत्री बनाए गए.

शपथ ग्रहण में 40 से अधिक देशों के नेता शामिल
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित हुए शपथ ग्रहण समारोह में 40 से अधिक देशों के नेता और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए, जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, सऊदी अरब, रूस, दक्षिण कोरिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया और अन्य दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश सम्मिलित हैं.

दुश्मन को बनाया दोस्त, बनें रक्षामंत्री
सुबियांतो लंबे समय से बेहद लोकप्रिय राष्ट्रपति जोको विडोडो के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और उन्होंने दो बार उनके खिलाफ राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा है, लेकिन साल 2014 और 2019 में दोनों ही मौकों पर जोको विडोडो ने अपनी हार स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. हालांकि, विडोडो ने पुन: राष्ट्रपति बनने के बाद सुबियांतो को रक्षा प्रमुख नियुक्त किया था.

चुनाव प्रचार के लिए अरबों खर्च किया
प्रबोवो सुबियांतो ने राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कई अरब डॉलर की लागत से नए राजधानी शहर का निर्माण करने, घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कच्चे माल के निर्यात पर अंकुश लगाने जैसी प्रमुख नीतियों को जारी रखने का वादा किया था. 

खूनी तानाशाही से राष्टपति?
विडोडो द्वारा समर्थन दिए जाने और नीतियों को जारी रखने के वादे के बूते फरवरी के प्रत्यक्ष राष्ट्रपति चुनाव में सुबियांतो ने भारी जीत हासिल की थी. इस तरह उन्होंने इंडोनेशिया के सैन्य तानाशाही के काले दिनों के दौरान मानवाधिकारों के हनन के आरोपी एक पूर्व जनरल से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर पूरा किया.

Trending news