Anne Frank​: नाजियों की रूह कंपा देने वाली क्रूरता, यहूदियों का नरसंहार, 15 साल की लड़की की दास्तां से दुनिया दहल गई
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Anne Frank​: नाजियों की रूह कंपा देने वाली क्रूरता, यहूदियों का नरसंहार, 15 साल की लड़की की दास्तां से दुनिया दहल गई

Who was Anne Frank?: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाजियों के जुल्म का शिकार बनी एक यहूदी लड़की, 15 साल की इस लड़की का नाम था ऐनी फ्रैंक, नाजियों की कैद के दौरान लिखी गई डायरी जब किताब के रूप में छपी तो पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया. जानें ऐसा डायरी में 15 साल की लड़की ने क्या लिखा था जो आज 95 साल बाद भी उसे याद किया जा रहा है.

 

 

Anne Frank​: नाजियों की रूह कंपा देने वाली क्रूरता, यहूदियों का नरसंहार, 15 साल की लड़की की दास्तां से दुनिया दहल गई

Anne Frank Birthday:  ‘लोग आपको मुंह बंद रखने के लिए बोल सकते हैं, लेकिन यह आपको अपनी राय रखने से नहीं रोक सकता.’ यह लाइन किसी बड़े विचारक के नहीं है, इसे एक लड़की ने अपनी डायरी में लिखा था. आज के दौर में वह सबसे फेमस लड़की है, उसकी लिखी डायरी, पूरी दुनिया में फेमस है, उसकी डायरी को बुक के तौर पर छापा गया, और नाम रखा गया  ‘द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल’.

ऐनी फ्रैंक का जन्म 12, जून 1929 
आज उसी किताब की लेखक ऐनी फ्रैंक का जन्मदिन है. ऐनी फ्रैंक का जन्म 12, जून 1929 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था. ऐनी को अपने 13वें जन्मदिन पर उपहार के तौर पर लाल और सफेद चौखानों वाली एक डायरी मिली थी. यह डायरी इतनी फेमस हुई कि पूरी दुनिया में तहलका मच गया, आइए जानते हैं कौन थीं डायरी लिखने वाली ऐनी फ्रैंक और कैसा था उनका जीवन, डायरी में क्या था लिखा. 

वर्ल्ड वॉर की दास्तां  

ऐनी के बारे में जानने से पहले चलते हैं थोड़ा पीछे. बात उस समय की है जब पूरी दुनिया दूसरे वर्ल्ड वॉर को झेल रहा था, तब नीदरलैंड पर नाजियों ने कब्जा कर लिया था. लोगों को छिपकर रहना पड़ता था और उन्हीं लोगों में से एक था ऐनी फ्रैंक का परिवार. एनी फ्रेंक (Annie Frank) यहूदी थीं और अपने परिवार के साथ छिपकर रहती थीं.

जर्मनी से भागकर छिपना पड़ा
यहूदियों के साथ जर्मनी में हो रहे भेदभाव के कारण एनी का परिवार उनके जन्म के कुछ दिन बाद ही फ्रैंकफर्ट छोड़कर नीदरलैंड आ गया. विश्व युद्ध 2 की शुरुआत के दौरान ऐनी 10 साल की थीं. उन्होंने अपना आधा बचपन परिवार के साथ छिपकर ही बिताया.

ऐनी के परिवार की कहानी
ऐनी का जन्म 12 जून को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में हुआ था. उसके पिता पहले विश्व युद्ध (First World War) में जर्मन सेना में लेफ्टिनेंट थे और बाद में व्यापारी बन गए. ये परिवार रूढ़िवादी नहीं था, बहुत ही लिबरल और बेहद अमीर था.

ऐनी फ्रैंक, डायरी लिखने वाली लड़की
जब ऐनी 13 साल की थी तो उनके पिता ने उनके जन्मदिन पर उन्हें एक डायरी गिफ्ट की थी. उस डायरी में ऐनी अपने डेली रूटीन के साथ-साथ दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान हुए नाजियों के अत्याचार को भी लिखती थीं. उस समय नाजी सभी यहूदियों को बेरहमी से मार रहे थे. ऐनी फ्रैंक का सबसे पसंदीदा काम था डायरी लिखना, पत्रकार एवं प्रसिद्ध लेखिका बनने की इच्छा रखने वाली ऐनी ने 12 जून, 1942 को डायरी में पहली एंट्री में लिखा- ‘मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी हर बात तुम्हें बता सकूंगी, क्योंकि मैंने अपनी बातें कभी किसी से नहीं कहीं, और मैं आशा करती हूं कि हूं कि तुम मेरे लिए सुकून और संबंल का एक बड़ा स्रोत बनोगी.’

नाजियों से छिपकर लिखी डायरी
एनी ने सीक्रेट जगह पर आने के बाद ही डायरी लिखने की शुरुआत कर दी और अपनी डायरी का नाम किट्टी रखा. उन्होंने अपने अज्ञातवास के हर क्षण को अपने डायरी के साथ शेयर किया और साथ ही नाजियों के अत्याचार को भी अपनी डायरी में लिखती रहीं. ऐनी अपनी डायरी को अपना बेस्ट फ्रेंड मानती थीं. उन्होंने गोलियों की आवाज, लोगों की चीखें और हर वह चीज डायरी में लिखी जिसे ऐनी ने बेहद करीब से देखा था. 1944 में ऐनी के परिवार वालों को नाजियों ने पकड़ लिया. 

15 साल की उम्र में मौत
गिरफ्तारी के बाद ऐनी और उनके परिवार को डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया. वहां उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया और उन्हें यातनाएं दी गईं. डिटेंशन सेंटर में भयंकर बीमारियां फैली थी जिसे छोटी सी ऐनी बिल्कुल सहन नहीं कर पाई और 15 वर्ष की उम्र में ही सेंटर में दम तोड़ दिया.

मरने के बाद छपी डायरी
ऐनी की मौत के बाद उनके पिता ने अपनी बेटी की लिखी हुई डायरी को छपवाया और ऐनी के लेखक बनने के सपने को साकार किया. एनी की यह डायरी इतिहास का हिस्सा बन गई. 1947 में 'द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल' नाम से यह डायरी पहली बार छपी और अब तक 70 से अधिक भाषाओं में यह किताब छप चुकी है.

डायरी के पहले पन्ने में ऐनी ने लिखा था
‘मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी हर बात तुम्हें बता सकूंगी, क्योंकि मैंने अपनी बातें कभी किसी से नहीं कहीं, और मैं आशा करती हूं कि हूं कि तुम मेरे लिए सुकून और संबंल का एक बड़ा स्रोत बनोगी.’

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