Climate Catastrophe Warning: सिर्फ दो साल... जी हां, हमारे पास इतना ही वक्त बचा है दुनिया को बचाने का. नहीं तो जलवायु आपदा से तबाही तय है! संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख साइमन स्टिल ने बुधवार को यह चेतावनी दी है. उनकी स्पीच का टाइटल ही था, 'दुनिया को बचाने के लिए दो साल'. दुनिया लगातार गर्म हो रही है. मार्च लगातार दसवां महीना रहा जब अधिकतम तापमान दर्ज हुआ. यूरोपीय संघ की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने भी मंगलवार को चिंताजनक आंकड़े जारी किए. पिछले 12 महीनों (अप्रैल 2023 - मार्च 2024) में ग्लोबल औसत तापमान 1991-2020 के औसत से 0.70 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है. ऐसे में UN के मौसम एक्सपर्ट की यह चेतावनी बेहद गंभीर हो जाती है. स्टिल ने सभी देशों से पेरिस समझौते के तहत, जलवायु से जुड़ी योजनाओं को मजबूत करने की अपील की. उन्होंने कहा कि अभी जैसा हाल रहा तो 2030 तक उत्सर्जन में कमी नहीं आ पाएगी. स्टिल ने जलवायु परिवर्तन पर बने अंतरसरकारी पैनल की चेतावनी का भी जिक्र किया. इसके मुताबिक, ग्लोबल ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 2025 से पहले ही चरम पर पहुंचना चाहिए. और 2030 तक उसमें 43% की गिरावट आनी चाहिए तो नहीं तो 1.5 डिग्री सेल्सियस की लिमिट क्रॉस हो जाएगी.


UN के मौसम एक्सपर्ट ने क्यों दी ऐसी चेतावनी


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पेरिस समझौते के तहत, दुनिया ने ग्लोबल वार्मिंग पर नकेल कसने की ठानी थी. तय हुआ था कि 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों में खासी कमी लाई लाएगी. औद्योगिक काल शुरू होने से पहले दुनिया का जो तापमान था, 2017 में हम उससे 1 डिग्री ऊपर पहुंच चुके हैं. किसी भी हाल में, इस औसत तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने से रोकना होगा. साइमन स्टिल दुनिया तबाह होने की चेतावनी इसी वजह से दे रहे हैं.


अगर ग्लोबल एवरेज टेंपरेचर में 1.5°C का इजाफा हुआ तो भयानक मौसमी घटनाएं शुरू हो जाएंगी. ऐसी खतरनाक लू चलेगी जो दुनिया ने कभी नहीं महसूस की होगी. तटों के किनारे बसे शहरों के डूबने का खतरा है. तमाम इलाकों में भयंकर गर्मी और सूखा पड़ेगा. इतनी चिंताजनक स्थिति के बाद भी दुनिया चेती नहीं है.


साइमन स्टिल, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के कार्यकारी सचिव (Photo : UN)

'विकसित देश खोलें तिजोरी, कमजोर देशों की मदद करें'


लंदन में बोलते हुए स्टिल ने कहा कि अभी ग्लोबल एमिशंस में G20 देशों की भागीदारी 80% के करीब है. उन्होंने कहा क‍ि नवंबर में, बाकू में होने वाली UN क्लाइमेट कॉन्फ्रेंस (COP29) में नई फाइनेंस डील रखी जाए. जिससे विकसित देशों को जलवायु योजनाओं को मजबूत करने में मदद मिल सके. स्टिल ने विकसित और विकासशील देशों से नए तरह की डील करने को कहा है. इस डील में फंडिंग के नए सोर्स से लेकर विकास बैंकों में सुधार और सबसे ज्यादा खतरे वाले देशों के लिए कर्ज राहत जैसे पहलू शामिल किए जाएं.


COP29 भारत जैसे देशों के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है. भारत उन देशों में शामिल है जिन्होंने विकसित देशों से तत्काल क्लाइमेट फाइनेंस की मांग की है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के मुताबिक, 2030 तक कई ट्रिलियन डॉलर की जरूरत होगी.


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G7 और G20 देशों से खास अपील


UN के मौसम एक्सपर्ट ने कहा कि G7 और G20 देशों को और जोर लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर मजबूत कदम नहीं उठाए गए तो सप्लाई चेन ध्वस्त हो जाएगी और महंगाई 'नाटकीय ढंग से' बढ़ेगी. स्टिल ने दुनिया में चल रहे चुनावी सीजन को भी भुनाने की कोशिश की.


अमेरिका, भारत समेत दुनिया के 64 देशों में इस साल आम चुनाव हो रहे हैं. स्टिल ने वोटर्स से जलवायु परिवर्तन को लेकर आवाज उठाने की अपील की. उन्होंने कहा, 'जलवायु को सरकारों के एजेंडा में टॉप पर पहुंचाने का एक ही तरीका है, ज्यादा से ज्यादा लोग आवाज उठाएं.'