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तेल अवीव: कोरोना (Coronavirus) से जंग में दुनिया के सामने उदाहरण पेश करने वाले इजरायल (Israel) की मुश्किलें कम नहीं हुईं हैं. कोरोना के ज्यादा संक्रामक वेरिएंट के बढ़ते मामलों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है. इजरायल अपनी 30 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन (Corona Vaccine) लगा चुका है, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) सरकार की इस उपलब्धि को देखकर लग रहा था कि रैपिड वैक्सीनेशन से वायरस की बढ़ती रफ्तार को काबू में किया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से देश में नए वेरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं, उसने केवल इजरायल ही नहीं पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है.
इजरायल (Israel) के स्वास्थ्य मंत्री यूली एडेलस्टीन (Yuli Edelstein) ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमें संक्रमण की नई लहर का सामना करना पड़ रहा है, जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. संभवतः इसकी वजह म्यूटेशन है. बता दें कि तेल अवीव ने देशव्यापी टीकाकरण की शुरुआत 20 दिसंबर को की थी. इजरायल में वैक्सीनेशन का काम इतनी तेजी से हुआ कि अब तक 30 फीसदी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लगाई जा चुकी है.
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इजराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सबसे पहले यूके में मिला नया वेरिएंट 50 फीसदी ज्यादा खतरनाक है. इस वजह से हमारे टीकाकरण अभियान और सख्त लॉकडाउन का उतना फायदा नहीं मिल पा रहा है, जितना मिलना चाहिए था. हालांकि कहा जा रहा है कि वैक्सीन नए वेरिएंट के खिलाफ भी कारगर है, लेकिन म्यूटेशन की अधिक संक्रामक प्रकृति स्थिति को खराब कर रही है.
स्वास्थ्य मंत्रालय का मुख्य लक्ष्य अब गंभीर रूप से बीमार लोगों की संख्या को कम करना है. कोरोना कमिश्नर Nachman Ash ने कहा कि देश में संक्रमण की दर इस महीने की शुरुआत में 10.2% से घटकर 9% रह गई है, और गंभीर रूप से बीमार लोगों की संख्या भी 1,100 पर स्थिर है, लेकिन ऐसे मरीजों की संख्या काफी ज्यादा हो गई है कि जिन्हें श्वासयंत्र की आवश्यकता है. जो चिंता का विषय है. बता दें कि इजरायल में कोरोना वायरस की वजह से 4,600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मार्च तक 16 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक नागरिक को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. जिस तरह से वैक्सीनेशन की रफ्तार है उसे देखते हुए पूरी उम्मीद है कि सरकार अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेगी, लेकिन सवाल यही है कि क्या उसके बाद भी कोरोना से मुक्ति मिल सकेगी? क्योंकि जिस तरह से नए वेरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं उसने दुनियाभर की चिंता बढ़ा दी है.