ZEE जानकारी: न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों पर हमला, 49 लोगों की मौत
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ZEE जानकारी: न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों पर हमला, 49 लोगों की मौत

आज पूरी दुनिया ये समझना चाहती है कि जब कोई आतंकवादी हाथ में राइफल लेकर अंधाधुंध गोलियां चलाते हुए.. 49 लोगों को मार देता है तो उसके दिमाग में क्या चल रहा होता है?

ZEE जानकारी: न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों पर हमला, 49 लोगों की मौत

आज दुनिया की सबसे बड़ी ख़बर ये है कि न्यूज़ीलैंड के Christchurch में एक आतंकवादी ने दो मस्जिदों में घुसकर लगातार फायरिंग की.. और 49 लोगों को मार दिया. आज हम इस आतंकवादी की Brain Mapping करेंगे. क्योंकि आज पूरी दुनिया ये समझना चाहती है कि जब कोई आतंकवादी हाथ में राइफल लेकर अंधाधुंध गोलियां चलाते हुए.. 49 लोगों को मार देता है तो उसके दिमाग में क्या चल रहा होता है? उसके अंदर इतनी क्रूरता और नफ़रत कहां से आती है कि वो लाशों पर भी बार बार गोलियां चलाता रहता है. 

ये कैसी नफ़रत है, जिसका प्रचार करने के लिए आतंकवादी अपने सिर पर कैमरा फिट करके, पूरे हमले का लाइव प्रसारण, सोशल मीडिया पर करता है? हमले के दौरान वो संगीत सुनता है.. और गोलियां इस तरह चलाता है जैसे वो कोई वीडियो गेम खेल रहा हो. इस हमले को कैसे अंजाम दिया गया...ये समझने के लिए सबसे पहले आप ये वीडियो देखिये. हमारे पास ये पूरा वीडियो है. लेकिन हम ये पूरा वीडियो आपको नहीं दिखाएंगे. क्योंकि ऐसा करने से आप विचलित हो सकते हैं और आपकी मनोदशा खराब हो सकती है. इसलिए हमने इस वीडियो को सेंसर कर दिया है. हम इसका एक छोटा सा हिस्सा ही आपको दिखाएंगे ताकि आप इस आतंकवादी मानसिकता को समझ सकें और आपको इस वीडियों में हुई हिंसा की वजह से कोई मानसिक आघात ना पहुंचे. हम पूरी ज़िम्मेदारी से ये वीडियो आपको दिखा रहे हैं.

ये वीडियो ख़ुद इस आतंकवादी ने बनाया है. वो एक कार में है, और ब्रिटिश सेना का एक music सुनते हुए आगे बढ़ रहा है. बीच में एक बार वो कैमरा अपने चेहरे की तरफ़ घुमाता है. उसके पास कई राइफल हैं. तीन राइफल उसके साथ पैसेंजर सीट पर रखी हैं जबकि उसकी जैकेट में राइफल की कई मैगज़ीन्स मजूद हैं. ये आतंकवादी एक मस्जिद के क़रीब अपनी कार रोकता है. उसके दाहिने हाथ में एक ऑटोमेटिक राइफल पहले से है. इसके बाद वो दरवाज़ा खोलता है और कार के boot space की तरफ़ जाता है. वो डिग्गी खोलता है. उसमें पहले से दो राइफल और एक शॉटगन रखी है. ये आतंकवादी उनमें से शॉट गन निकालता है, जबकि पहले से उसके पास एक ऑटोमेटिक राइफल हैं. यानी उसने हमले के लिये दो बड़े हथियार इस्तेमाल किये. ये आतंकवादी पैदल मस्जिद की तरफ़ बढ़ता है. गेट में दाख़िल होते हुए ये अपनी शॉटगन तानता है.

और बस इसके आगे हम आपको ये वीडियो नहीं दिखा सकते. क्योंकि मस्जिद में जाकर जिस तरह इसने लोगों की हत्या की हैं. उसे देखकर आपका मन विचलित हो सकता है. हमारी अपील है कि अगर आपके पास भी ये वीडियो सोशल मीडिया के ज़रिये आये तो उसे फ़ौरन delete कर दीजिये. और इसे circulate मत कीजिये. किसी भी आतंकवादी की पहली मंशा, दहशत फैलाने की होती है. और जैसे ही किसी वीडियो के ज़रिए दहशत फैलने लगती है.. आतंकवादी का मकसद पूरा होने लगता है. इसलिए हमारी अपील है कि आप वीडियो को शेयर करके आतंकवादी की मदद मत कीजिए

इस आतंकवादी ने Christchurch में दो मस्जिदों में उस वक़्त गोलीबारी की जब वहां जुमे की नमाज़ के लिये लोग पहुंच रहे थे. इस आतंकवादी ने तब तक गोलियां चलाई जब तक उसे लाशों में हरकत दिखनी बंद नहीं हो गई.

पहला हमला Christchurch में Hagley Park की अल नूर मस्जिद में हुआ. यहां 41 लोगों की मौत हुई है. जबकि Linwood Islamic Centre में हुए हमले में 7 लोगों की जान गई है. इसके अलावा एक व्यक्ति की मौत अस्पताल में हुई है. इन दोनों मस्जिदों के बीच की दूरी क़रीब साढ़े सात किलोमीटर है.

हमले में बीस से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं. ये आतंकवादी 28 साल का है.. इसका नाम Brenton tarrant है...ये ऑस्ट्रेलिया का रहने वाला है और ये एक जिम ट्रेनर के रूप में काम कर चुका है. 
न्यूज़ीलैंड की पुलिस ने उसके अलावा 4 लोगों को हिरासत में लिया है. इस आतंकवादी की गाड़ी से कई हथियार और दो IED विस्फोटक भी बरामद हुए हैं. 

ये हमला भारतीय समय के अनुसार सुबह 6 बजकर दस मिनट पर हुआ...तब न्यूज़ीलैंड में समय था - दोपहर एक बजकर चालीस मिनट....आमतौर पर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ दोपहर साढ़े बारह बजे से दो बजे के बीच होती है. 

इसका मतलब है कि आतंकवादी ने जान बूझकर जुमे के दिन हमला किया ताकि वो ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की हत्या कर सके

न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री Jacinda Ardern ((जैसिंडा अर्डर्न)) ने इसे आतंकवादी हमला बताते हुए आज के दिन को एक काला दिन बताया. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Scott Morrison ((स्कॉट मॉरिसन)) ने पुष्टि की है कि आतंकवादी ऑस्ट्रेलिया का नागरिक है और उसे गिरफ़्तार किया गया है. Scott Morrison ने कहा है कि ये एक दक्षिणपंथी आतंकवादी है

हर आतंकी हमले के पीछे नफ़रत होती है. आतंकवाद का मकसद ये होता है कि दूसरे की ख़ुशी...उसकी ज़िंदगी...और उसके अस्तित्व को बर्दाश्त ना किया जाये. और इस ज़हर को फैलाने के लिये वो अलग-अलग तरीक़े अपनाता है. सीरिया में पूरी दुनिया ने देखा कि ISIS ने अपनी दहशत फैलाने के लिये क्या क्या तरीक़े अपनाये. और ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि आतंकवादी किसी की हत्या करने से ज़्यादा उसका प्रचार करना चाहते हैं. ताकि उनका प्रभाव फैले.

Christchurch आतंकी हमले में भी यही हुआ है. यहां आतंकवादी Brenton tarrant ने फेसबुक पर इस हमले को Live Stream किया. वो चाहता था कि इस ख़ून ख़राबे को पूरी दुनिया देखे. उसे इस बात का कोई डर नहीं था कि इस हमले के बाद वो पकड़ा जाएगा. इसलिये उसने वीडियो में अपना चेहरा भी दिखाया है. ये वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन इंटरनेट के इस दौर में, किसी वीडियो को रोकना बहुत मुश्किल है. इस वीडियो के प्रचार को सिर्फ नैतिकता से ही रोका जा सकता है. 
इस बीच Youtube ने ट्वीट करके कहा है कि

न्यूज़ीलैंड के इस हमले से हमारे दिल को बहुत तकलीफ़ पहुंची है. हम इस हिंसक वीडियो फुटेज को हर तरह से हटाने की कोशिश कर रहे हैं. 

ये एक सही कदम है.. क्योंकि हमें अनजाने में भी आतंकवादियों के propaganda से बचना चाहिये. इसलिये हम आपसे एक बार फिर अपील करते हैं कि अगर ये वीडियो आपके पास आता है तो उसे Delete कर दीजिये. उसे शेयर मत कीजिए. 

अब आपको बताते हैं कि इस आतंकवादी के मन में इतनी घृणा और नफरत कहां से आई. न्यूज़ीलैंड में अब तक हुई digital investigation में इस आतंकवादी Brenton tarrant के सोशल मीडिया profile को चेक किया गया. और इससे बहुत सी बातें पता चली हैं. हमले से पहले इसने अपने twitter acoount पर एक document पोस्ट किया था. 

74 पन्नों के इस document को इस आतंकवादी ने manifesto बताया है...इसका शीर्षक है The Great Replacement.

इसी के साथ उसने दो मस्जिदों पर हमले का इरादा ज़ाहिर किया है.

Brenton tarrant ने लिखा है कि यूरोप पर प्रवासियों का क़ब्ज़ा हो रहा है और इस समस्या की शुरुआत फ्रांस से हुई है.
उसने बताया है कि फ्रांस में 2017 के चुनावों में दक्षिणपंथी नेता Marine Le Pen ((मरीन ले पेन)) की हार हुई थी. इसे लेकर वो काफ़ी परेशान था. 
इसके अलावा 2017 में ही Stockholm में ट्रक से हुए हमले में एक 11 साल की बच्ची की मौत ने उसे आहत किया था

यानी ये आतंकवादी बहुत ही गहरी नफ़रत वाली ज़िंदगी जी रहा था...

इस आतंकवादी के फेसबुक और Twitter account को हमले के बाद सस्पेंड कर दिया गया है.
फेसबुक ने कहा है कि पुलिस के निर्देश के बाद उसने हमलावर के फेसबुक और Instagram account को हटा दिया है. साथ ही वो इस घटना के समर्थन में होने वाली टिप्पणियों को भी हटा रहे हैं. इस आतंकवादी के मन में इस्लाम को लेकर कितनी नफ़रत है. इसका अंदाज़ा उसके हथियारों को देखकर लगाया जा सकता है

इसने अपने हथियारों पर अंग्रेज़ी और यूरोपियन भाषाओं में उन लोगों के नाम लिखे थे जिन्होंने 15वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान Ottoman Empire के शासकों से युद्ध किया था.

इसका मतलब है कि ये आतंकवादी Ottoman Empire से काफी नफरत करता था . यही वजह है कि वो योद्धा इसके आदर्श थे जिन्होंने Ottoman Empire से लड़ाई लड़ी . 

आज जिस देश को हम Turkey कहते हैं . उसी जगह से Ottoman Empire का साम्राज्य शुरू होता है . ये विशाल साम्राज्य तीन महाद्वीपों में फैला हुआ था.... एशिया, यूरोप और अफ्रीका . 

14वीं शताब्दी की शुरुआत से Ottoman Empire ने अपनी जड़ें मजबूत कीं . और पहले विश्व युद्ध के खत्म होने के साथ ही Ottoman Empire खत्म हुआ था . 

इस साम्राज्य ने बहुत लंबे वक्त तक दुनिया को प्रभावित किया . खास तौर पर यूरोप के उन ईसाई देशों में एक खास वर्ग Ottoman Empire से नफरत करता है जिसे Ottoman Empire ने लंबे वक्त तक गुलाम बनाकर रखा . इन देशों को आज यूरोप के बाल्कन देशों के नाम से जाना जाता है . 

Ottoman Empire के सर्वोच्च शासक को खलीफा कहा जाता था . 

इस आतंकवादी ने अपनी कुंठा निर्दोष लोगों की हत्या करके निकाली है. अगर वो यूरोप में प्रवासियों के आने से दुखी था, या वो फ्रांस में दक्षिणपंथी दल की हार से परेशान था...या फिर वो यूरोप में आतंकवादी हमलों का बदला लेना चाहता था... तो उसे सीरिया में जाकर ISIS से युद्ध लड़ना चाहिये था. लेकिन उसने इस नफ़रत को अपना लिया और ख़ुद भी आतंकवादी बन गया. एक आतंकवादी के मन में क्या चल रहा होता है. वो किस तरह सोचता है. हमने आज इसे भी समझने की कोशिश की है. एक अंतर्राष्ट्रीय स्टडी के मुताबिक़ -

आतंकवादी हमला करने वाला व्यक्ति काफ़ी आक्रामक होता है, उसमें भावनाएं नहीं होती हैं.
ऐसा व्यक्ति अपनी निजी लड़ाई लड़ने के बजाए.. एक समूह या पूरे समुदाय से बदला लेने की सोचता है.
ऐसे लोग आसानी से दूसरों के प्रभाव में आ जाते हैं. यानी उन्हें आसानी से गुमराह किया जा सकता है. उनका brainwash किया जा सकता है. इज़रायल के रिटायर्ड प्रोफेसर और आतंकवाद से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ एरियल मेरारी के मुताबिक़ आत्मघाती हमलावरों पर जितना भी रिसर्च हुआ है, उससे ये पता चलता है कि वो काफ़ी डरे हुए होते हैं. ऐसा हमला करने से पहले वो घबरा गये थे. जो आतंकवादी आत्मघाती हमले का रास्ता चुनते हैं वो काफ़ी मानसिक दबाव से गुज़रे हुए होते हैं. उनके व्यवहार में हमेशा आत्महत्या जैसे भाव दिखते हैं. वो पहले भी आत्महत्या की कोशिश कर चुके होते हैं.
जिन लोगों को आत्मघाती हमले के लिये उकसाया जाता है...उन्हें धर्म का हवाला देकर जन्नत दिखाई जाती है... या फिर दूसरी बेहतर ज़िंदगी मिलने की बात कही जाती है.

आज न्यूज़ीलैंड में जब ये आतंकावदी हमला हुआ. तब हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश की क्रिकेट टीम भी वहां मौजूद थी . शुक्रवार को जुमे की नमाज़ पढ़ने के लिए बांग्लादेश क्रिकेट टीम के खिलाड़ी भी अल नूर मस्ज़िद जा रहे थे. टीम के साथ Support Staff को मिलाकर कुल 17 लोग अल-नूर मस्ज़िद के लिए रवाना हुए थे . बांग्लादेश क्रिकेट टीम भाग्यशाली थी क्योंकि वो मस्जिद के पास करीब 4 मिनट देरी से पहुंची . उस वक्त मस्जिद में गोलीबारी की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी . ये आवाज़ सुनते ही बांग्लादेशी क्रिकेट टीम के खिलाड़ी बचाव के लिए भागने लगे . हमले के वक्त ये सभी खिलाड़ी मस्ज़िद से सिर्फ 45 मीटर की दूरी पर थे . 

बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने जानकारी दी है कि न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च में मौजूद बांग्लादेश के सभी क्रिकेट खिलाड़ी सुरक्षित हैं . 

बांग्लादेश और न्यूज़ीलैंड के बीच शनिवार से क्राइस्टचर्च में तीसरा टेस्ट मैच खेला जाना था . गोलीबारी के बाद तीसरे टेस्ट को रद्द कर दिया गया है . 

बांग्लादेश की क्रिकेट टीम के एक खिलाड़ी मुशफिकुर रहीम ने इस घटना के बाद Tweet किया कि 'गोलीबारी के दौरान अल्लाह ने हम सभी को बचा लिया . हम बहुत खुशकिस्मत हैं . हम ऐसा कभी दोबारा होते नहीं देखना चाहते हैं . हमारे लिए दुआ कीजिए"

इस आतंकवादी हमले के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का जोश बहुत High है, इस घटना में भी उन्होंने धार्मिक आधार पर दुनिया को बांटने का मौका ढूंढ लिया है । 

इमरान ख़ान ने Tweet किया है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। इस तरह के आतंकवादी हमलों के लिए इस्लामोफोबिया ज़िम्मेदार है। ये 9/11 के हमले के बाद पैदा हुआ एक एजेंडा है जिसके तहत आतंकवादी हमलों के लिए, इस्लाम और दुनिया के 130 करोड़ मुसलमानों पर आरोप लगाया जाता है। और मुसलमानों के जायज़ राजनीतिक संघर्ष को भी, गलत बताने के लिए, इसका इस्तेमाल किया गया है । 

लेकिन आज हम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से ये कहना चाहते हैं कि वो पाकिस्तान के पाप को इस आतंकवादी हमले के पीछे छिपाने की कोशिश ना करें । पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसकी नींव नफरत की बुनियाद पर रखी गई है । और ऐसे देश के प्रधानमंत्री को आतंकवाद और नफरत पर उपदेश देना शोभा नहीं देता। 

अगर इमरान खान वाकई में आतंकवाद की निंदा करना चाहते हैं तो उन्हें तुरंत आतंकवादी हाफिज़ सईद और मसूद अज़हर को भारत को सौंप देना चाहिए । कश्मीर में आतंकवादी हमला करने वाला देश, अपने चेहरे पर पीड़ित होने का मुखौटा नहीं लगा सकता। 

इस आतंकवादी हमले का इस्तेमाल करके पूरी दुनिया को धर्म और नस्ल के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है और पाकिस्तान इसका लाभ उठाना चाहता है ।

अमेरिका और यूरोप के देशों के नागरिकों को लगता है कि उनकी सभ्यता और संस्कृति पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है । ये लोग हमेशा अपनी कमियों को छुपाने की कोशिश करते हैं । आज जब New Zealand के Christchurch पर आतंकवादी हमला हुआ तब अमेरिका और यूरोप के देशों के अखबारों ने इस आतंकवादी हमले को आतंकवादी हमला नहीं कहा । 

इन अखबारों ने हमला करने वाले व्यक्ति को आतंकवादी कहने से परहेज़ किया । इसकी जगह पर इन अखबारों ने सबसे पहले Active Gunman या Active Shooter जैसे शब्द का इस्तेमाल किया । ये बहुत शर्मनाक बात है कि एक आतंकवादी को सक्रिय बंदूकधारी या सक्रिय निशानेबाज़ कहकर घटना को मामूली साबित करने की कोशिश की गई । 

ऐसी ही मानसिकता हमने उस वक्त भी देखी थी जब The New York Times ने पुलवामा में 40 जवानों की हत्या करने वाले आतंकवादी को Young Suicide Bomber कहा था ।

ठीक ऐसा ही भाव Active Gunman शब्द में भी है । ऐसा लगा जैसे आतंकवादी किसी Video Game का नायक है जो सिर्फ गोलीबारी कर रहा है और उसका इरादा किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं है । ये अमेरिका और यूरोप के बुद्धिजीवियों और पत्रकारों की दोहरे मापदंड वाली मानसिकता है जो आज एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने Expose हो गई । 

इस आतंकवाद की घटना को छुपाने के लिए एक और शब्द इस्तेमाल किया गया... Shooting. 

BBC, The Guardian और The New York Times ने भी इस आतंकवादी घटना को Mosque Shooting कहा । इसका मतलब है... मस्जिद में गोलीबारी । 

जब Social Media पर इसकी आलोचना शुरू हुई तो कुछ विदेशी अखबारों ने इसे आतंकवादी घटना लिखना शुरू किया । लेकिन कुछ News एजेंसियां अब भी अपने पुराने रुख पर कायम हैं । 

अमेरिका के Fox News Channel ने इस आतंकवादी घटना को छुपाने के लिए नया शब्द गढ़ा है... Racist Maniac. इस शब्द का मतलब है... नस्लवादी पागल । 

दुनिया में ऐसे लोगों का भी एक वर्ग मौजूद है जो इस आतंकवादी को मानसिक रूप से विक्षिप्त या पागल कहकर, पूरी घटना को खारिज करने की कोशिश कर रहा है । 

ये सभी बुद्धिजीवी और पत्रकार यूरोप और अमेरिका में बढ़ रहे दक्षिणपंथी चरमपंथ की समस्या को नज़रअंदाज़ करने का काम कर रहे हैं । इसका बुरा परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना पड़ सकता है । 

कुछ लोगों का आरोप है कि अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump ने भी इस घटना पर संवेदनहीन Tweet किया है । पहली Line में ही Donald Trump ने लिखा... My warmest sympathy and best wishes goes out to the people of New Zealand after the horrible massacre in the Mosques. लोगों की नाराज़गी इस Tweet में इस्तेमाल किए गए शब्द 'Best Wishes' से है । आम तौर पर इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के संदर्भ में नहीं किया जाता है । बड़ी बात ये भी है कि Donald Trump ने इस आतंकवादी घटना की निंदा नहीं की है । सिर्फ घटना की जानकारी दी और ये लिखा है कि वो न्यूज़ीलैंड के साथ हैं । 

अमेरिका के कुछ प्रभावशाली लोग इस तरह के Tweet भी कर रहे हैं कि आतंकवादी का नाम नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि वो यही चाहता है कि उसका प्रचार हो । ये वही लोग हैं जो किसी व्यक्ति के धर्म और राष्ट्रीयता के हिसाब से ये तय करते हैं कि सुरक्षा से जुड़ी कार्रवाई का स्तर क्या होना चाहिए ? 

न्यूज़ीलैंड में इस हमले के पीछे नस्लभेद है, रंगभेद है साथ में धार्मिक नफ़रत भी है।
दक्षिणपंथी विचारधारा पूरी दुनिया में हावी हो रही है। यूरोप की राजनीति में इसका प्रभाव बढ़ा है। 2016 में अमेरिका में हुए चुनाव में डोनल्ड ट्रंप की जीत को भी इसी आईने में देखा जा सकता है।
इसे White Supremacy कहा जाता है। 
ये विचारधारा नई नहीं बल्कि अमेरिका में 19वीं शताब्दी में Ku Klux Klan के साथ शुरू हुई।
Ku Klux Klan संगठन श्वेत लोगों को सर्वश्रेष्ठ बताता है।
इनके लिये अश्वेत लोग दोयम दर्जे के नागरिक हैं
ये ग्रुप आज भी अमेरिका में सक्रिय है और इससे जुड़े लोग नस्लभेदी हिंसा में शामिल रहे हैं
27 अक्टूबर 2018 को अमेरिका के पिट्सबर्ग में शूटिंग हुई थी
इस आतंकी हमले में शामिल Dylan Roof ने 11 यहूदी लोगों की हत्या की थी
उसे बाद में अमेरिका में मौत की सज़ा सुनाई गई
5 अगस्त 2012 को Wisconsin में गुरुद्वारे पर हमला भी यही विचारधारा रखने वाले Wade Michael Page ने किया था
उसने 6 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी
अमेरिका के Kansas में 22 फरवरी 2017 में Adam Purinton नाम के हमलावर ने एक भारतीय इंजीनियर की एक Sports Bar में हत्या की थी। उसने गोली मारने से पहले कहा था- Get out of my country...

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