Zee News DNA: खुशी के मौके पर अक्सर 'चलो कुछ मीठा हो जाए' वाली कहावतें तो आपने खूब सुनी होंगी. लेकिन अब एक देश में ऐसा नहीं चलेगा. वहां पर शुगर टैक्स लगाने की तैयारी हो रही है.
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Germany Sugar Tax News: दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या है तो आपका उत्तर क्या होगा. हो सकता है आप कहें कि जलवायु परिवर्तन या फिर युद्ध या प्रदूषण. लेकिन इनमें से कोई भी जवाब सही नही है क्योंकि यकीन कीजिए कि दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रही है चीनी यानि शुगर.असल में भारत समेत दुनिया भर में मोटापा एक बड़ी समस्या बन गया है और मोटापे की एक वजह है मीठा.
अब नहीं चलेगा चलो कुछ मीठा हो जाए
हमारे घरो में या आस पास खुशी के मौके पर अक्सर कहा जाता है कि कि चलो कुछ मीठा हो जाए लेकिन जर्मनी को ये बात पसंद नहीं आ रही है. जर्मनी जैसा देश अब चीनी पर टैक्स लगाने की प्लानिंग कर रहा है क्योंकि जर्मनी को लगता है कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उनके देश में मोटे लोगों की संख्या बेतहाशा बढ़ जाएगी. इससे देश का Health System गड़बड़ा जाएगा.
जर्मनी को मीठा रास क्यों नहीं आ रहा
अब आपको बताते हैं कि क्यों जर्मनी को मीठा रास नहीं आ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी में व्यस्कों का एक बडा वर्ग मोटापे का शिकार हो रहा हैं. जर्मनी जैसे देश में हर 5 में एक व्यक्ति मोटापे का शिकार है. यहां 7 फीसदी लोग डायबिटीज के मरीज हैं और ये संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. इसी वजह से अब जर्मनी के चांसलर Olaf Scholz. चीनी पर टैक्स लगाने का नियम लागू कर सकते हैं.
WHO ने की थी टैक्स की सिफारिश
वैसे चीनी पर टैक्स लगाने वाला जर्मनी कोई पहला देश नहीं है. वर्ष 2018 में एक स्टडी हुई थी. इस स्टडी के मुताबिक अबतक 28 देश खाने-पीने की चीजों में चीनी पर टैक्स लगा चुके हैं. जबकि कई और देश इस टैक्स को लागू करने के बारे में सोच रहे हैं. WHO ने वर्ष 2016 में चीनी वाले खाद्य पदार्थों पर 20% या उससे ज्यादा टैक्स लगाने की सलाह दी थी. इसके बाद दुनिया के कई देशों ने चीनी पर टैक्स लगाया था .
लोगों की सुधरेगी सेहत?
चीनी पर टैक्स लगाना किसी भी देश के लिए आसान तो नहीं है... क्योंकि TAX से सरकारी खजाने में पैसा आता है...लेकिन लोगों की हेल्थ को देखते हुए, बीमारियों को कम करने में... चीनी पर टैक्स एक कारगर रणनीति हो सकती है. इससे लोगों की हेल्थ तो अच्छी होगी ही, साथ ही टैक्स के पैसों को दूसरी स्वास्थ्य योजनाओं में भी लगाया जा सकेगा और इसी की प्लानिंग अब जर्मन सरकार कर रही है.