Zero Shadow Day: अब से कुछ देर बाद बेंगलुरू में घटेगी अनोखी खगोलीय घटना, गायब हो जाएगी लोगों की परछाई, क्या है यह?
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Zero Shadow Day: अब से कुछ देर बाद बेंगलुरू में घटेगी अनोखी खगोलीय घटना, गायब हो जाएगी लोगों की परछाई, क्या है यह?

Bengaluru Zero Shadow Day: यह असाधारण घटना इससे पहले बेंगुलूर में 25 अप्रैल को घट चुकी है. आज फिर एक बार दिन में एक विशेष समय पर लोगों को अपनी परछाई नजर नहीं आएगी. 

Zero Shadow Day:  अब से कुछ देर बाद बेंगलुरू में घटेगी अनोखी खगोलीय घटना, गायब हो जाएगी लोगों की परछाई, क्या है यह?

Bengaluru Zero Shadow Day News: बेंगलुरु 18 अगस्त को जीरो शेडो डे (Zero Shadow Day ) के नाम से पहचाने जाने वाली एक अनोखी खगोलीय घटना का गवाह बनने के लिए तैयार हो रहा है. इस शहर में आज दोपहर में करीब 12 से 1 बजे के बीच एक पल ऐसा आएगा जब करीब डेढ़ मिनट के लिए किसी को अपनी परछाई नहीं दिखेगी. यह असाधारण घटना इससे पहले बेंगुलूर में 25 अप्रैल को हुई थी, आमतौर पर कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित क्षेत्रों में होती है।

क्या होती है जीरो शैड?
यह एक विशेष खगोलिए घटना है. इस दिन एक खास समय पर सूरज हमारे सिर के ठीक ऊपर आ जाता है. इस कारण हमारी छाया गायब हो जाती है. इस स्थिति को जीरो शैडो कहा जाता है. इसलिए इस दिन को जोरी शैडो दिवस का नाम दिया गया है.

कैसे बनती है जीरो शैडो की स्थिति
पृथ्वी की घूमने की धुरी का झुकाव इस विशेष स्थिति का कारण होता है, जब पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के तल के लंबवत होने की जगह उससे 23.5 डिग्री तक झुकी होती है.

इसी झुकाव के कारण सूर्य की स्थिति उत्‍तर और दक्षिण के बीच बदलती है. भारतीय संस्‍कृति में इसे उत्‍तरायण और दक्षिणायन कहा जाता है.

सूरज, दिन के अपने उच्चतम पॉइंट पर, भूमध्य रेखा के 23.5 डिग्री दक्षिण से भूमध्य रेखा (उत्तरायण) के 23.5 डिग्री उत्तर की ओर जाएगा, और एक साल में फिर से (दक्षिणायन) लौट आएगा.

इस बीच एक दिन ऐसा आता है, जब सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर आ जाता है. इसके कारण कोई भी सीधी या खड़ी वस्तु या प्राणी की छाया नजर नही आती. इस दिन को जीरो शैडो डे कहा जाता है.

जीरो शैडो डे साल में दो बार आता है. एक जब सूर्य उत्तर की तरफ बढ़ता है और दूसरा तब आता है, जब सूर्य दक्षिण की तरफ जाता है.

क्या जीरो शैडो डे में नहीं बनती परछाई
ऐसा नहीं है इस दिन परछाई बनती है लेकिन वह आपको दिखाई नहीं देती है. ऐसा इसलिए होता है कि परछाई पैरों के बिल्कुल नीचे बनती है.

कहां होती है यह घटना
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये घटना हमारे देश में उन जगहों या शहरों में होती है जो कर्क और मकर रेखा के बीच आते हैं. उस समय सूर्य अक्षांश रेखा के ठीक ऊपर होता है.

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