नई दिल्लीः 13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है. वसंत के मौसम में पड़ने के कारण इसे वासंतिक नवरात्र भी कहते हैं. यह वह समय होता है जब अनाज कटकर घर में पहुंच जाता है. वातावरण सुखद होता है.
न तो अधिक शीत होती है और न ही गर्मी. इस दौरान देवी मां की आराधना जीवन के स्त्रोत और नया प्रकाश पाने के लिए की जाती है. माता ही जीवन दायिनी शक्ति है और चैत्र नवरात्र नए साल का शुभारंभ है.
ऐसे में देवी का पूजन ग्रह शांति, स्थान शांति, भूमि और आकाश की शांति के साथ ही वायु-जल की शांति के लिए की जाती है. ताकि ये सभी तत्व जिनसे मिलकर यह सृष्टि बनी है वह सब प्राणियों का कल्याण करें.
यही वजह है कि देवी मां दुर्गा की पूजा में जिन वस्तुओं का प्रयोग होता है वह सभी किसी न किसी भाव या गुण के सूचक हैं. इनके जरिए सकारात्मक तथ्यों में वृद्धि और नकारात्मक तत्वों में कमी होती है.
नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना का बहुत महत्व है. जानिए इसके प्रतीकों और उनके उपायों के बारे में, जिनकी जानकारी हमारी दुर्गा पूजा को और सफल बनाएगी.
कलश और इसके उपाय
नवरात्रि पूजा से पहले स्थापना का विधान है, कलश को मंगल कलश कहते हैं और यह मंगलकारी भगवान गणेश का प्रतीक है. कलश में भरा गया जल गंगा जल है और क्षीरसागर का प्रतीक है, जिसमें स्वयं भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ रहते हैं.
कलश पर रखा नारियल या कोई भी गोल फल महादेव शिव का प्रतीक है. इसी तरह इसके आधार में खुद सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा हैं जिनकी उपस्थिति सभी आदित्य देवताओं और इंद्र आदि देवों की उपस्थिति का प्रतीक है. इस तरह यह कलश त्रिदेवों-देवियों और सभी देवताओं के प्रतीक के रूप में स्थापित है.
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कैसा होना चाहिए कलश
मिट्टी का कलश सर्वश्रेष्ठ होता है. मिट्टी के प्रयोग से हमारे बुध ग्रह शुद्ध होते हैं. जो हमारे जीवन में बुद्धि का कारक है. सोने या पीतल के कलश के प्रयोग से हमारे गुरु ग्रह शुद्ध होते हैं. जो हमारे ज्ञान व विवेक का विस्तार करते हैं.
चांदी का कलश भी शुभ फल देता है. चांदी मानसिक शांति व सुख प्रदायक होती है. इसके अतिरिक्त अन्य पदार्थ से बना कला कलश कभी भी प्रयोग न करें.
ऐसे स्थापित करें कलश
कलश मंदिर की उत्तर पूर्व दिशा में स्थापित करें. कलश में सुपारी व सिक्का डालकर जल से भर दें. कलश पर अशोक के पत्ते शुभ गिनतियो में रखें, जैसे 9, 11, 21 आदि. अशोक शोक को हरने वाला पौधा है. जिसकी पत्तियों का प्रयोग हमारे जीवन में आने वाली विपदाओं को नष्ट करती हैं. इसके बाद जटादार नारियल कलावा बांधकर कलश के ऊपर रखे.
मां के समक्ष अपनी सारी विपदा को दूर करने व मनोकामना को पूर्ण करने की प्रार्थना करें. साथ ही जो व्रत संकल्प आप करना चाहते हैं वह कलश स्थापना के समय ही निर्धारित करें. उसे पूर्ण होने का मां से आशीर्वाद प्राप्त करें.
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