नई दिल्ली: 13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्र या वासंतिक नवरात्र शुरू हो रहे हैं. यानी आने वाले मंगलवार को घट स्थापना के साथ देवी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन किया जाएगा. इसी के साथ नौ दिनों के नवरात्र और देवी अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे. भगवान राम की विशेष पूजा भी इन दिनों की जाएगाी.
इस बार नवरात्र में खास बात है देवी का वाहन. नवरात्र की शुरुआत मंगलवार से हो रही है तो इस बार देवी के आगमन का वाहन घोड़ा है. देवी दुर्गा के आगमन के लिए हर नवरात्रि पर उनका वाहन तय होता है.
इस बार का वाहन घोड़ा
इस बार देवी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन इसी ग्रंथ में बताया गया है कि हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं.
देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश और जनता पर इसका असर भी अलग-अलग होता है.
किस आधार पर तय होता है वाहन
देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह दिनों के आधार पर तय होता है. सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं.
इन तथ्यों को देवी भागवत के इस श्लोक में वर्णन किया गया है.
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता ।।
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वाहनों का यह होता है शुभ-अशुभ असर
माता दुर्गा जिस वाहन से भक्तों के धाम आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है. इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है.
देवी घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है. देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं. इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है.
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।
मां के जाने का वाहन भी होता है तय
देवी मां दुर्गा का आगमन भी वाहन से होता है और जाती भी निश्चित वाहन से ही हैं. यानी जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है. इसी के अनुसार जाने के दिन व वाहन का भी शुभ अशुभ फल होता है.
यह है जाने वाले वाहनों का फल
रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है. शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है. बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं. इससे बारिश ज्यादा होती है.
गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं. इससे सुख और शांति की वृद्धि होती है.
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा
इस तरह इस बार देवी घोड़े पर आ रही हैं, लेकिन उनका जाना इस बार हाथी से हो रहा है. माता ने जाते समय जिस वाहन का चुनाव किया है वह खेती आदि के लिए शुभ है. पानी अधिक बरसेगा.
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