अगर आपको आया है ऐसा सपना तो समझ लीजिए कोई रच रहा बड़ा षड्यंत्र

Dream Meaning: ज्योतिष शास्त्र में सपनों का मतलब बताया गया है. माना जाता है कि सपने आपको भविष्य का संकेत देते हैं. ऐसे में आचार्य विक्रमादित्य से जानिए सपने में डूबते सूरज को देखने का क्या मतलब है. ऐसा सपना देखना आपके लिए शुभ है या अशुभ.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 14, 2022, 05:47 AM IST
  • सपने में सूर्यास्त देखना अशुभ
  • जानिए इन सपनों का मतलब
अगर आपको आया है ऐसा सपना तो समझ लीजिए कोई रच रहा बड़ा षड्यंत्र

नई दिल्लीः Dream Meaning: ज्योतिष शास्त्र में सपनों का मतलब बताया गया है. माना जाता है कि सपने आपको भविष्य का संकेत देते हैं. ऐसे में आचार्य विक्रमादित्य से जानिए सपने में डूबते सूरज को देखने का क्या मतलब है. ऐसा सपना देखना आपके लिए शुभ है या अशुभ.

सपने में सूर्यास्त देखना अशुभ
मंदसौर से मनोज कालिया लिखते हैं कि उन्होंने सपने में सूर्य को डूबते हुए यानी सूर्यास्त देखा है. इसके क्या संकेत हैं? इस पर आचार्य विक्रमादित्य बताते हैं कि सपने में सूर्यास्त देखना शुभ संकेत नहीं माना जाता है. ये सपने आपके जीवन में किसी अशुभ घटना का संकेत हो सकते हैं. अनिष्टकारी प्रभाव डाल सकते हैं.

आपके सामने परिस्थितियां ऐसी भी आ सकती हैं कि आपको कोई रास्ता नहीं दिखाई देगा. मतलब चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देगा. यह आपके जीवन में बदलाव का दौर लेकर आएगा. खुद को संभालने का अवसर भी प्रदान करेगा, लेकिन चुनौतियां बनी रहेंगी.

सपने में चकरी के चारों तरफ घूमना शुभ नहीं
कन्नौज से रंगनाथ लिखते हैं कि उन्होंने सपने में देखा कि चकरी, गोले के चारों तरफ घूम रहे हैं. इसके क्या संकेत हैं? इस पर आचार्य विक्रमादित्य बताते हैं कि चकरी के चारों तरफ घूमना शुभ संकेत नहीं है. कोई आपके करीब का शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने के लिए बड़ा षड्यंत्र रच रहा है.

आपको चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है. वह आपकी हर गतिविधि पर नजर रख रहा है. इसलिए सतर्क हो जाएं और वैसे लोगों पर कभी भी भरोसा न करें.  

ऐसे जातक आवेश में आकर छोड़ते हैं नौकरी
इसी तरह पटना से अमृतांशु शर्मा लिखते हैं कि भाग्य रेखा जीवन रेखा से शुरू होकर मस्तिष्क रेखा तक पहुंचकर समाप्त हो जाती है. इसका जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? इस पर आचार्य विक्रमादित्य बताते हैं कि जिस जातक की हथेली में भाग्य रेखा जीवन रेखा से शुरू होकर मस्तिष्क रेखा तक पहुंचकर समाप्त हो जाती है, ऐसा जातक अपनी गलतियों से दुर्भाग्य को आमंत्रित करता है. वह आवेश में नौकरी छोड़ देता है. फिर नौकरी के लिए भटकता है. बाद में पछताता भी है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए.

ऐसे जातक का 35वां साल निर्णायक होता है. इस उम्र में वह कुछ अच्छा कर गया तो ठीक, अन्यथा जीवनभर आर्थिक चुनौतियों का सामना करता है. ऐसे जातक को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है. कर्म से ही सब कुछ हासिल करना पड़ता है.

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