भगवान विष्णु का वह मंदिर जहां स्त्री रूप में होती है उनकी पूजा, कहते हैं मोहिनी माता

कभी कर्नाटक के होयसाल साम्राज्य का हिस्सा रहा अब हेलीवेद या हैलेबिडू नाम की बस्ती में स्थित यह मंदिर होयसालेश्वर भी कहलाता है. श्री जगन मोहिनी केशव स्वामी की प्रतिमा शालिग्राम शिला की बनी हुई है और 5 फीट ऊंचाई - 3 फीट चौड़ाई के साथ इसकी शोभा देखते ही बनती है.

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : May 23, 2021, 09:42 AM IST
  • प्रतिमा का अग्र भाग पुरुष और पीछे का हिस्सा स्त्री का है
  • समुद्र मंथन के बाद प्रकट हुई मोहिनी, श्रीहरि का थीं अवतार
भगवान विष्णु का वह मंदिर जहां स्त्री रूप में होती है उनकी पूजा, कहते हैं मोहिनी माता

नई दिल्लीः सनातन परंपरा में जब किसी पराशक्ति की बात की जाती है तो यह बात जगदीश्वर शब्द तक जाकर ठहर जाती है. जगदीश्वर यानी कि भगवान विष्णु. 

पुराणों में जिन्हें पुराण पुरुष कहा गया है और वह भुवन मोहिनी मुस्कान के साथ सारे संसार का पालन कर रहे हैं. यही उनका काम और कर्तव्य भी बताया जाता है. 

मोहिनी अवतार क्या है?
मोहिनी मुस्कान में सिर्फ मोहिनी पर ध्यान देते हैं. 24 अवतार और उनमें भी 10 मुख्य अवतार लेकर श्रीहरि विष्णु ने धरती की रक्षा की. इनमें से ही एक है मोहिनी अवतार. कभी महादेव को भस्मासुर से बचाने के लिए तो कभी असुरों से अमृत लेकर देवताओं को पिलाने के लिए श्रीहरि ही मोहिनी अवतार लेते हैं. 

इसी अवतार की महिमा बताने वाला एक महत्वपूर्ण लेकिन कम ही विख्यात मंदिर दक्षिण भारत के हिस्से में गोदावरी नदी के किनारे बसी बस्ती में स्थापित है. प्रसिद्ध श्री जगन मोहिनी (श्री महा विष्णु) मंदिर यहां स्थित है. भगवान विष्णु का मंदिर होते हुए भी इसे मोहिनी माता का मंदिर कहते हैं. 

होयसाल साम्राज्य का मंदिर होयसालेश्वर
कभी कर्नाटक के होयसाल साम्राज्य का हिस्सा रहा अब हेलीवेद या हैलेबिडू नाम की बस्ती में स्थित यह मंदिर होयसालेश्वर भी कहलाता है. श्री जगन मोहिनी केशव स्वामी की प्रतिमा शालिग्राम शिला की बनी हुई है और 5 फीट ऊंचाई - 3 फीट चौड़ाई के साथ इसकी शोभा देखते ही बनती है.

बेलूर-हेलिबिड की स्थापना एक प्रजा पालक राजा कामा ने की थी. होयसाल शासक कला और शिल्प के संरक्षक थे. 

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ऐसी ही मंदिर में देवप्रतिमा
बेलूर और हेलिबिड में इन्होंने भव्य मंदिरों का निर्माण कराया जो आज भी उसी शान से खड़े हैं. इसका निर्माण काल भी 12वीं-13वीं शताब्दी का है. प्रतिमा के 8 हाथ हैं. जिनमें दाहिनी ओर के चारों हाथ में तो विष्णु प्रतीक शंख-चक्र, गदा-पद्म हैं,

लेकिन बाएं ओर के हाथों में अमृत कलश, वारुणि कलश, पुष्पमाला और स्फटिक हैं. देवी की प्रतिमा कुछ-कुछ नृत्य की मुद्रा में है जो कि समुद्ग मंथन के बाद उसी कथा को बताने की कोशिश है, जिसमें मोहिनी असुरों से अमृत लेकर देवताओं को पिलाया था. 

जगन मोहिनी केशव स्वामी मंदिर
इसके अलावा आंध्र प्रदेश में भी रियाली में एक मोहिनी मंदिर है, जिनको भी जगत मोहिनी नाम से ही जाना जाता है. यह स्थान 11 वीं शताब्दी के दौरान एक जंगल था. मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी के दौरान चोल राजा, श्री राजा विक्रम देव ने करवाया था.

प्रतिमा के सामने का भाग भगवान विष्णु को नर रूप में दिखाता है और पिछला भाग स्त्री रूप का है. यही जगन मोहिनी का है. मूर्ति एक विशिष्ट महिला के रूप में है. जिनके बाल फूलों के गजरों से सजे हुए हैं. और इनके पैरों में गहने हैं. 

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सालभर होते हैं धार्मिक आयोजन
जगन मोहिनी मंदिर में समय-समय पर कई धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं. इसमें श्री जगनमोहिनी केशव स्वामी कल्याणम प्रमुख है जो चैत्र शुक्ल नवमी से पूर्णमा तक होता है. श्री राम सत्यनारायण स्वामी कल्याणम वैशाख शुक्ल एकादशी से पूर्णमा तक होता है.

श्री वेणुगोपाला स्वामी कल्याणम ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी से जून के महीने में पूर्णिमा तक होता है. श्रवण बहुला अष्टमी श्री कृष्ण अष्टमी (अगस्त). इसके अलावा मुकोटि एकादशी और भीष्म एकादशी के पर्व मुख्य तौर पर मनाए जाते हैं. 

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