Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी पर जरूर करें ये काम, कई यज्ञों का मिलेगा पुण्य

Rama Ekadashi Vrat 2022: पुराणों के मुताबिक रमा एकादशी व्रत से कामधेनु और चिंतामणि के समान फल मिलता है. इस व्रत को करने से समृद्धि और संपन्नता बढ़ती है. इस व्रत से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं. पद्म पुराण का कहना है कि रमा एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा भी मिलती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 21, 2022, 10:38 AM IST
  • जानिए रमा एकादशी व्रत की पूजन विधि
  • जानिए रमा एकादशी का शास्त्रीय महत्व
Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी पर जरूर करें ये काम, कई यज्ञों का मिलेगा पुण्य

नई दिल्ली. आज रमा एकादशी है. इस दिन तुलसी, आंवले और पीपल के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है. कार्तिक महीना होने से इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है. इस दिन इन तीनों पेड़-पौधों की पूजा करने से कई यज्ञों को करने का पुण्य मिलता है. इस एकादशी पर दीपदान भी किया जाता है. इस दिन तुलसी, आंवले और पीपल के पेड़ सहित मंदिरों और नदी, तालाबों के किनार दीपदान करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.

रमा एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत करने के लिए संकल्प लें. जिस प्रकार आप व्रत कर सकते हैं, उसी के अनुसार संकल्प लें, जैसे- यदि पूरा दिन निराहार रहना चाहते या फिर एक समय फलाहार करना चाहते हैं. इसके बाद तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल का अर्घ्य दे.

रमा एकादशी व्रत की पूजन विधि
- इस एकादशी पर तुलसी, आंवले और पीपल के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है.
- एक चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. फिर उस पर लाल कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं.
- चावल और फूलों से कुमकुम की पूजा करें. इसके बाद चौकी पर भगवान श्रीलक्ष्मी नारायण की तस्वीर या प्रतिमा रखें.
- इसके बाद भगवान श्रीलक्ष्मी नारायण की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार से पूजा करें. 
- यदि आप स्वयं पूजा नहीं कर सकते तो किसी योग्य ब्राह्मण को पूजा के लिए बुलाएं. देवी लक्ष्मी की लाल पुष्प से पूजा करनी चाहिए
- फिर धूप और दीप, अगरबत्ती जलाएं. उनको फूलों का हार चढ़ा कर मस्तक पर चंदन का तिलक लगाएं.
- इसके बाद भगवान को नैवेद्य, नारियल, फूल, प्रसाद का भोग लगाएं. भ
- गवान वष्णिु को तुलसी, माखन और मिश्री का भोग लगाएं तो अति उत्तम रहेगा.
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें.
- भगवान विष्णु की आरती करें, कथा का श्रवण करें. जो लोग कथा का पाठ नहीं कर सकते हैं उन्हें व्रत कथा सुननी चाहिए.
प्रसाद भक्तों को बांट दें.
- शाम को भी भगवान की पूजा और संकीर्तन करें. इस एकादशी पर दीपदान भी किया जाता है.
- एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है. अगले दिन प्रातः उठकर पूजा पाठ करने के बाद ब्राह्मण को भोजन करवाएं उन्हें दान दक्षिणा देकर ससम्मान विदा करें. उसके बाद स्वयं व्रत का पारण (भोजन ग्रहण) करें.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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