Somwati Amawasya: आखिर क्यों पितरों के पूजन के लिये खास होती है सोमवती अमावस्या, जानें समय, पूजा विधि और शुभ मुहुर्त

Somwati Amawasya: भारत में हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस समय फाल्गुन का महीना चल रहा है जो कि कृष्ण और शुक्ल पक्ष के बीच दो भागों में बंटा होता है. जब कृष्ण पक्ष समाप्त होता है तो महीने की अमावस्या आती है और जब शुक्ल पक्ष का समापन होता है तो पूर्णिमा आती है. चंद्र की स्थिति पर हिंदू कैलेंडर के दिनों की गणना की जाती है और फाल्गुन के महीने का कृष्ण पक्ष भी समाप्त होने की कगार पर है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 19, 2023, 06:44 AM IST
  • क्यों खास है सोमवती अमावस्या
  • जानें कब है सोमवती अमावस्या
Somwati Amawasya: आखिर क्यों पितरों के पूजन के लिये खास होती है सोमवती अमावस्या, जानें समय, पूजा विधि और शुभ मुहुर्त

Somwati Amawasya: भारत में हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस समय फाल्गुन का महीना चल रहा है जो कि कृष्ण और शुक्ल पक्ष के बीच दो भागों में बंटा होता है. जब कृष्ण पक्ष समाप्त होता है तो महीने की अमावस्या आती है और जब शुक्ल पक्ष का समापन होता है तो पूर्णिमा आती है. चंद्र की स्थिति पर हिंदू कैलेंडर के दिनों की गणना की जाती है और फाल्गुन के महीने का कृष्ण पक्ष भी समाप्त होने की कगार पर है. हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा की तिथियों की काफी मान्यता है और कई सारे शुभ काम कुछ खास अमावस्या और फिर पूर्णिमा पर किये जाते हैं.

क्यों खास है सोमवती अमावस्या

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष समाप्त होने पर जो अमावस्या आती है उसे हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, जिसे पितरों के पूजन, धूप-ध्यान, श्राद्ध, तर्पण, नदियों में स्नान और दान-पुण्य के लिये काफी खास माना जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और शादी-शुदा महिलायें पति की लंबी आयु के लिये इस दिन व्रत भी रखती हैं. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो फाल्गुन महीने की सोमवती अमावस्या के दिन पूर्वजों को जरूर याद करना चाहिये और पितरों का धूप-ध्यान कर श्राद्ध कर्म करने चाहिये. इससे घर-परिवार में शांति आती है.

जानें कब है सोमवती अमावस्या

इस बार की सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को है जिसकी शुरुआत 19 फरवरी को शाम 4 बजकर 18 मिनट से ही हो जाएगी तो वहीं पर इसके खत्म होने का समय 20 फरवरी दोपहर 12:30 का है.

कैसे कर सकते हैं पितरों का पूजन

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिये और स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर मंदिर में पूजन करना चाहिये. घर में गाय के गोबर के उपले (कंडे) का धुंआ कर धूप-दीप जलाने चाहिये. जब कंडे का धुंआ बंद हो जाए तब पितरों को गुड़ और घी का अर्पण करते हुए हथेली में पानी लेकर अंगूठे की ओर से अर्पित करना चाहिये. पितरों का पूजन करने के बाद खाना, अनाज और धन का दान करने से परिवार में शांति बनी रहती है.

सोमवती अमावस्या को कर सकते हैं ये शुभ काम भी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का दिन पवित्र नदियों में स्नान के लिए भी खास होता है. इस दिन भगवान शंकर की पूजा करने से आपके मन की इच्छा पूरी हो जाती हैं तो वहीं पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से भी लाभ होता है. अगर आप व्रत आदि करते हैं तो उसे जारी रखें वरना भगवान शिव की पूजा जरूर करें. इसके लिये तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध का शिवलिंग पर अभिषेक करें.

गौरतलब है कि ज्योतिष में सोमवार के लिए चंद्र को मुख्य ग्रह बताया गया है जो कि भगवान शिव के माथे पर विराजता है. ऐसे में चंद्र देव के पूजन का भी खास महत्व होता है. चंद्र देव को दूध अर्पण करने से लाभ होता है और चंद्र देव के मंत्र ऊँ सों सोमाय नम: का जाप करने के बाद मिष्ठान का भोग लगायें.

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