ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज अहम दिन, Court कर सकता है बड़ा फैसला

 मंगलवार को जिला जज के कोर्ट में सुनवाई हुई थी. कोर्ट में सुन्नी सेंट्रक वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल की गई सिविल रिवीजन की एडमिशन पर बहस हुई. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 22, 2020, 09:55 AM IST
    • ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज अहम दिन
    • मंगलवार को हुई सुनवाई
    • Court कर सकता है बड़ा फैसला
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज अहम दिन, Court कर सकता है बड़ा फैसला

लखनऊ: सदियों तक देश में विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा सनातन भारतीय संस्कृति पर आघात किया गया. अब राष्ट्रवादी नागरिकों ने गुलामी के कालखंड की काली स्मृति हटाने के लिये प्रतिबद्धता दिखानी तेज की है. अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद अब काशी और मथुरा के लिए भी कानून लड़ाई तेज हो गई है. वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद केस में बुधवार को ऐतिहासिक फैसला आने की उम्मीद है. 

मंगलवार को हुई सुनवाई

आपको बता दें कि मंगलवार को जिला जज के कोर्ट में सुनवाई हुई थी. कोर्ट में सुन्नी सेंट्रक वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल की गई कि गई सिविल रिवीजन की एडमिशन पर बहस हुई. मंगलवार को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका की ग्राह्यता (एडमिशन) पर सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता तौहिद खान व अभयनाथ यादव ने दलील दी कि सिविल जज का आदेश अंतिम आदेश है. इस आदेश से मेरा अधिकार प्रभावित होता है लिहाजा सिविल जज का आदेश निगरानी योग्य है. 

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आक्रमणकारियों ने बढ़ा दिया गतिरोध

उल्लेखनीय है कि साल 1809 में काशी में हिंदुओं ने ज्ञानवापी मस्जिद पर कब्जा भी कर लिया था. ऐतिहासिक दस्तावेज इस ओर इशारा करते हैं कि 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने 'वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल' को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने को कहा था, लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया.

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उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ मन्दिर मामले में जो मुकदमा अभी चल रहा है उसकी शुरुआत साल 1991 में हुई थी, यानी ये लगभग 30 साल पुराना मुकदमा है. लेकिन ये कानूनी विवाद कई दशक पुराना है. स्वतंत्रता से पहले साल 1936 में भी ये मामला कोर्ट में गया था. तब हिंदू पक्ष नहीं, बल्कि मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी जिला अदालत में याचिका दायर की थी. 

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