लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में अपना अहम फैसला सुनाया है. उच्च न्यायालय ने उत्तरप्रदेश सरकार को तीन महीने में भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर मुहर लगाई. आपको बता दें कि कई सालों से ये भर्ती प्रक्रिया अदालत में अटकी हुई थी और लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ था. अब सरकार और छात्र सभी को इस फैसले से राहत मिलेगी.
कटऑफ पर योगी सरकार को राहत
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने योगी सरकार को बड़ी राहत देते हुए कट ऑफ अंक के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति को सही ठहराया. फैसले के बाद सामान्य वर्ग के लिए 65 प्रतिशत और अरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा. उत्तरप्रदेश सरकार भी यही चाहती थी ताकि सभी छात्रों को अपनी मेधा दिखाने का मौका मिले.
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को 150 में से 97 अंक हासिल करने होंगे, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक जरूरी हैं. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में शिक्षा की योग्यता और गुणवत्ता को अहम बताया.
सरकार ने भर्ती जल्द कराने का दिया आश्वासन
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि जल्द ही सरकार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर लेगी और स्कूलों में शिक्षक पठन-पाठन का काम शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लिए गए फैसले को हाईकोर्ट ने सही माना है. यह सरकार की जीत है. अब जल्द से जल्द रिजल्ट जारी कर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी. साथ ही उन्होंने उन अभ्यर्थियों को भी भरोसा दिलाया है जिनका चयन नहीं हो सकेगा. उन्होंने कहा कि आगे भी नई भर्ती होगी उसमें मौका मिलेगा.
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योगी सरकार ने निकाली थी ऐतिहासिक भर्ती
उल्लेखनीय है कि योगी सरकार के सत्तासीन होने के बाद दिसंबर 2018 में प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए एक शासनादेश जारी कर अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. इस शासनादेश में कट ऑफ का जिक्र तो था लेकिन कितना होगा इसका जिक्र नहीं था. इस भरती के लिए लिखित परीक्षा 6 जनवरी 2019 को राज्य के 800 परीक्षा केंद्रों पर कराई गई. इसके ठीक एक दिन बाद 7 दिसंबर 2018 को न्यूनतम कटऑफ की घोषणा की गई. जिसके बाद पूरा मामला अदालत में चला गया.