लखनऊ: उत्तरप्रदेश की बहुप्रतीक्षित और चर्चित 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया एक बार फिर अधर में लटक गई है. लम्बे समय तक परीक्षा के परिणाम के इंतजार के बाद छात्रों को नियुक्ति की उम्मीद दी और उनका ये सपना साकार होने ही वाला था कि उच्च न्यायालय ने आज इस पर रोक लगा दी है. ये आदेश प्रदेश के हजारों छात्रों के भविष्य को प्रभावित करता है.
रोक लगने से कई छात्रों को नुकसान
बुधवार से जहां इस भर्ती प्रक्रिया के लिए काउंसलिंग की शुरुआत होने जा रही थी, अब उस पर रोक लग गई है. ये रोक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई है. इससे हजारों छात्रों को नुकसान होगा. पहले से ही इस भर्ती को सम्पूर्ण होने में बहुत समय लग चुका है. हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने बुधवार को इस मामले में दायर दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भर्ती प्रक्रिया रोकने का आदेश दिया है.
Answer key पर उठ रहे सवाल
आपको बता दें कि कई छात्र जिनका चयन नहीं हो सका था, वे लोग रिजल्ट से नाखुश थे और दोबारा कॉपी चेक करवाने की मांग कर रहे थे. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में डेढ़ साल से इंतजार कर रहे उन अभ्यर्थियों का सपना पूरा होने जा रहा था, जब उन्हें अध्यापक पद पर नौकरी मिल जाएगी. योगी सरकार की दूसरी बड़ी सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा अब अंतिम चरण में है.
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कई प्रश्नों पर छात्रों को आपत्ति
उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को अभ्यर्थी एक सप्ताह के अंदर राज्य सरकार के सामने प्रस्तुत करें. सरकार आपत्तियों को निस्तारण के लिए यूजीसी को भेजे. मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 12 जुलाई रखी गई है. इसके अलावा हाई कोर्ट ने कहा है कि यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखकर सारे विवादित प्रश्नों पर एक्सपर्ट ओपिनियन लिया जाएगा. एक्सपर्ट का ओपिनियन आने के बाद अब आगे फैसला होगा.
गौरतलब है कि इस मामले में याचिका कर्ताओं ने 8 मई 2020 को जारी आंसर की में 4 उत्तरों को लेकर आपत्ति जताई है. याचियों का कहना है कि आपत्ति के संबंध में सक्षम अधिकारियों द्वारा कोई एक्शन न करने पर उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की है.