Sister Abhaya Murder Case: 28 साल बाद मिला इंसाफ, पादरी और नन को उम्रकैद की सज़ा

केरल की सीबीआई अदालत ने सिस्टर अभया मर्डर केस (Sister Abhaya Murder Case) के दो आरोपियों पादरी थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सजा सुना दी है. इस हत्याकांड में दोनों दोषियों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 23, 2020, 01:40 PM IST
  • 28 साल बाद सिस्टर अभया को मिला इंसाफ
  • दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा
Sister Abhaya Murder Case: 28 साल बाद मिला इंसाफ, पादरी और नन को उम्रकैद की सज़ा

तिरुवनंतपुरम: 28 साल पुराने अभया मर्डर केस (Abhaya Murder Case) में केरल के विरुवनंतपुरम की CBI Court ने दो गुनहगारों को सज़ा सुन दी है. सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में फादल थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई. साथ ही अदालत ने दोनों पर 5-5 लाख रुपये का ज़ुर्माना लगाया.

28 साल बाद सिस्टर अभया को इंसाफ

कॉन्वेंट में नन रहीं सिस्टर अभया की हत्या के लिए 'पादरी' फादल थॉमस कोट्टूर और 'नन' सिस्टर सैफी को अदालत ने सजा सुना दी है. यानी 28 साल बाद सिस्टर अभया को इंसाफ मिल गया है. विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जे सनल कुमार ने इस मामले में फैसला सुनाया है.

26 मार्च 1992 की रात कोट्टायम के पिऊस टेन्थ कॉन्वेंट में प्री-डिग्री स्टूडेंट सिस्टर अभया की हत्या कर दी गई थी. सिस्टर अभया इसी कॉन्वेंट के हॉस्टल में रहती थीं, जुर्म को छिपाने के मकसद से उसके शव को कॉन्वेंट परिसर के ही एक कुएं में फेंक दिया गया था. आपको इस वारदात से जुड़ी पूरी जानकारी दे देते हैं.

पादरी और नन की करतूत!

मिली जानकारी के मुताबिक 26 मार्च 1992 की सुबह परीक्षा की तैयारी के लिए अभया को सुबह जल्दी उठना था. ऐसे में उसकी रूममेट सिस्टर शर्ली ने सुबह के तरकीबन 4 बजे पढ़ने के लिए जगा दिया. सुबह-सुबह अभया मुंह धोने के लिए  किचन की ओर जा रही थी. सिस्टर शर्ली को इस बात का अंदाजा नहीं था कि वो अपनी रूममेट को आखिरी बार देख रही है.

आरोप के मुताबिक जब सिस्टर अभया किचन में पहुंची तो उसने फादर थॉमस कोट्टूर, सिस्टर सेफी और फादर पुट्ट्रीकायल को अनैतिक स्थिति में देखे गए. फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को इस बात का डर सताने लगा कि अभया इस बारे में किसी को बता न दे. फादर कोट्टूर ने अभया का गला घोंट दिया और सिस्टर सेफी ने उसके उपर कुल्हाड़ी से वार किया. अपराध छिपाने के लिए तीनों ने मिलकर अभया को कुएं में फेंक दिया.

इस मामले में तीसरे आरोपी फादर पुट्ट्रीकायल को दो साल पहले ही सबूतों के अभाव में बरी किया जा चुका है. 

कौन है फॉदर थॉमस कोट्टूर

फादर थॉमस कोट्टूर एक हत्यारा है, जो कोट्टायम के BCM कॉलेज में सिस्टर अभया को मनोविज्ञान (Psychology) पढ़ाता था. वो उस वक्त बिशप का सचिव भी था. बाद में वो कोट्टायम के Catholic Diocese का चांसलर भी बना. जिस हॉस्टल में सिस्टर अभया रहती थी, वहीं सिस्टर सेफी भी रहती थी, सेफी के पास हॉस्टल का प्रभार भी था. हत्या के बाद सिस्टर सेफी और फादर थॉमस दोनों ने सबूत मिटाने की कोशिश की लेकिन आखिरकार सच सामने आ ही गया.

इस मामले की शुरुआती जांच में स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच (Crime Branch) ने इसे सुसाइड करार दिया था, लेकिन लगातार हुए विरोध प्रदर्शन और याचिकाओं के चलते इस केस को CBI के हाथ में सौंप दिया गया. हालांकि अदालत ने CBI की 3 फाइनल रिपोर्ट को भी उस वक्त खारिज कर दिया था. अदालत ने कई खामियां निकालते हुए और गहराई से जांच करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने उस वक्त गड़बड़ियों का हवाला देते हुए ये कहा था कि उस रात कुत्ते ने नहीं भौंका था या फिर किचन का दरवाजा बाहर से बंद था या फिर कुएं में गिरने की आवाज अन्य लोगों को कैसे सुनाई नहीं दी.

आखिरकार 28 सालों के बाद अभया को इंसाफ मिल ही गया. उसके हत्यारों को उनके किए की सजा मिल गई है. निश्चित तौर पर ये फैसला पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि सच परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता. अंत में विजय सत्य की ही होती है.

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