कोलकाता: बंगाल में अमित शाह के प्रचंड आरम्भ ने दीदी को हिला कर रख दिया है. बंग की जंग में यलगार हुआ और अमित शाह ने ममता दीदी के क़िले में कई छेद कर डाले. अब हम आपको बताते हैं कि कैसे अमित शाह भगवा का परचम लहराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.


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दीदी के गढ़ में शाह की रणनीति


1. बंगाल का गौरव दिखाना


बंगाल में पहुंचने के साथ अमित शाह ने मंदिरों से लेकर बंगाल से जुड़े महापुरुष के अहम स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. ये सॉफ़्ट हिन्दुत्व के साथ-साथ बंगाल के वोटरों से खुद को जोड़ने की कवायद है, ये कोशिश है ये दिखाने की कि बीजेपी का चरित्र पश्चिम बंगाल के चरित्र से अलग नहीं है. अमित शाह की नज़र पश्चिम बंगाल के 70 फीसदी हिन्दू मतदाता पर है.


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2. बागियों से दीदी को कमज़ोर करना


जिन ममता बनर्जी ने सालों से चली आ रही वामदल की सरकार को बंगाल से ना सिर्फ उखाड़ फेंका बल्कि फिर बंगाल में जगह नहीं बनाने दी, उनके मज़बूत क़िले में कई छेद कर के अमित शाह उसे कमज़ोर करते जा रहे हैं. इतना ही नहीं वो बंगाल के लोगों को बता देना चाहते हैं कि ममता दीदी की सरकार जिस तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है और केंद्र सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचने नहीं दे रही है, उससे उन्ही की पार्टी के लोग और उनके विधायक और सांसद ख़फ़ा हैं.


इस मौके पर अमित शाह ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि आप किसानों का समर्थन करती हैं फिर क्यों किसानों तक छह हज़ार रुपये पहुंचने नहीं दे रहीं. उन्होंने कहा कि पहले बंगाल अमीर राज्यों में से एक था और आज बंगाल टोलबाजी और भ्रष्टाचार में नंबर 1 है.


3. पिछड़ों का सहारा बनने की कोशिश


अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में पहले दलित के घर भोजन किया, फिर किसान के घर और फिर एक लोक गायक घर. वो दिखाना चाहते हैं कि उनकी पार्टी प्रदेश की 34 फीसदी SC/ST जनता के साथ है और साथ ही ओबीसी और किसानों के ज़रिए भी साल 2016 के 17% वोटबैंक को बढ़ाने की जुगत में जिसमें बीजेपी पहले भी कामयाब रही है और अभी शाह की बंगाल टीम उतरनेवाली है जिसमें ओबीसी.


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शाह ने ये आरोप लगाया कि बंगाल सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है. शाह ने कहा कि तूफान के बाद भी लोगों तक केंद्र का पैसा नहीं पहुंचने दिया गया.


4. मछुआरों से जुड़ने की कोशिश


अमित शाह अपने प्रेस कांफ्रेंस में तूफान और केंद्र से मिले पैसों को प्रभावित लोगों तक ना पहुंचाने का मुद्दा इसलिए उठाते हैं क्योंकि मछुआरों और मातुओं से उन 50 विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश कर रहे हैं जो इन दलित शरणार्थियों के वोटबैंक पर ही निर्भर करता है.


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जेपी नड्डा पर हुआ हमला सिर्फ नड्डा पर हमला नहीं, बंगाल में लोकतंत्र पर हमला है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सब को अपनी बात रखने का हक है. इस तरह की हिंसा से हम डरेंगे नहीं. जितना इस तरह का वातावरण बनाएं, हम उतनी मज़बूती से वापसी करेंगे.


5. कानून व्यवस्था पर वार


पिछले कई महीनों से बीजेपी लगातार ममता सरकार पर आरोप लगा रही है कि राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओँ को निशाना बनाया जा रहा है, और इसे देखते हुए केंद्र और राज्य में खींचतान भी देखने को मिली. तीन IPS अफसरों को दिल्ली बुलाया गया तो ममता ने इसकी मंज़ूरी नहीं दी. फिर मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब भी किया गया. बीजेपी ना सिर्फ इससे राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करती है बल्कि बंगाल के लोगों की सहानुभूति भी हासिल करना चाहती है.


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बंगाल में शाह की ये रणनीति काम करती भी दिख रही है, अमित शाह के रोड शो में अच्छी खासी भीड़ दिखी और पिछले दो चुनावों में बीजेपी का जिस तरह का प्रदर्शन रहा है, उसके मुताबिक एंटी इनकमबेंसी का फायदा किसी और दल को नहीं बल्कि बीजेपी को ही हासिल होता दिख रहा है.


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