कोलकाता: पश्चिम बंगाल में इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है. जहां ममता बनर्जी अपने किले को बचाने के लिए जी जान से जूझने की तैयारी कर रही हैं. वहीं भाजपा की तरफ से खुद पीएम मोदी ने कमान अपने हाथों में ले ली है. उधर गृहमंत्री अमित शाह तो बंगाल को ही गढ़ बना चुके हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1. पीएम मोदी ने थामी कमान
पश्चिम बंगाल में जीत हासिल करना भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद अहम है. खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंगाल चुनाव के लिए आगे बढ़कर कमान थामी है. वह बंगाल से आने वाले भाजपा के 18 सांसदों से लगातार संपर्क में हैं. वह राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काम के बारे में फीडबैक इकट्ठा कर रहे हैं और सांसदों से जमीनी हकीकत के बारे में रायशुमारी कर रहे हैं. पीएम बंगाल से आऩे वाले सांसदों से यह जानना चाहते हैं कि केन्द्र सरकार की परियोजनाओं का लाभ बंगाल की जनता को मिल रहा है या नहीं.


2. गृहमंत्री अमित शाह ने भी कसी कमर
गृहमंत्री अमित शाह भी बंगाल चुनाव को बेहद गंभीरता से देख रहे हैं. वह ज्यादा से ज्यादा समय बंगाल में बिताने की योजना बना रहे हैं. खबर है कि  अमित शाह ने हर महीने बंगाल का दौरा करने और वहां एक सप्ताह गुजारने की तैयारी की है. दरअसल अमित शाह बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से कोऑर्डिनेशन मजबूत करना चाहते हैं. ये अमित शाह के काम करने का खास तरीका है. वो उत्तर प्रदेश में इस फॉर्मूले को आजमा चुके हैं. जहां मतदाताओं को घर से निकालने और बूथ तक पहुंचाने के लिए उन्होंने पन्ना प्रमुख बनाए थे.
लेकिन बंगाल में भाषा की समस्या है. जिसके निदान के लिए अमित शाह ने एक बांग्ला शिक्षक की सेवाएं लेने का फैसला किया है.




3. बंगाल में भाजपा के प्रदर्शन से उत्साहित है भाजपा
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को दो चुनावो में आशा से अधिक सफलता हासिल हुई है. पिछले साल यानी साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 42 में से 18 सीटें जीती थीं. इस चुनाव में भाजपा को 40 फीसदी वोट हासिल हुए थे.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में भी राज्य की 31802 ग्राम पंचायत सीटों में से भाजपा को 5657 सीटों पर जीत मिली थी. पश्चिम बंगाल में भाजपा कभी बड़ी ताकत नहीं रही. लेकिन अब सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के बाद भारतीय जनता पार्टी बंगाल में दूसरी बड़ी ताकत बनकर उभर चुकी है.
भाजपा ने बंगाल के प्रमुख विपक्षी दल वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया है. इसकी वजह से भाजपा नेता उत्साहित हैं. उन्हें पश्चिम बंगाल में जीत सी संभावना नजर आ रही है. 


4. भाजपा की बढ़त ममता बनर्जी चिंतित
पश्चिम बंगाल में जैसे जैसे भाजपा की ताकत बढ़ रही है. मुख्यमंत्री ममता  बनर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. इसका असर उनके भाषणों में दिखाई देने लगा है. वह इन दिनों खुलकर भाजपा नेताओं को निशाने पर रख रही हैं.
ममता बनर्जी भाजपा को मुश्किल में डालने का कोई मौका नहीं छोड़तीं. यहां तक कि कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी को भी उन्होंने राजनीति से जोड़ दिया है. ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कहा कि 'दिल्ली की घटना लोग भूल जाएं, असली घटना को भूला देने के लिए कोरोना-कोरोना किया जा रहा है. जब होगा तब बोलना.' वह दिल्ली के दंगों को लेकर भाजपा पर प्रहार कर रही थीं.
लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी के इस आरोप का कड़ा जवाब दिया है. भाजपा के सांसद अर्जुन सिंह ने ममता के इस आरोप पर कहा कि "ममता बनर्जी से पूछे कोई कि लोग भूल गए हैं, क्या? कि मुर्शिदाबाद में क्या हुआ है. उनका दिमागी संतुलन बिगड़ चुका है. उनको इलाज की जरूरत है''.



5. बंगाल में हिंदू मुसलमानों की खेमेबंदी से ममता को नुकसान
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के अल्पसंख्य तुष्टिकरण की नीति से लोगों में असंतोष है. जिसकी वजह से गैर मुस्लिम समुदाय भाजपा के पीछे लामबंद होता जा रहा है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा को 40 फीसदी सीटें मिली थीं. भाजपा ने बंगाल में सबसे अधिक लोकसभा सीटें आदिवासी बहुल और कुर्मी बहुल इलाके में हासिल की थी. बंगाल के ओबीसी और आदिवासी वोटरों पर भाजपा की अच्छी पकड़ बनती जा रही है. ये ममता बनर्जी की चिंता का कारण है. वह किसी भी कीमत पर बंगाल में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं होने देना चाहती हैं. 
लेकिन ममता बनर्जी ये भूल जाती हैं कि उनकी तुष्टिकरण की नीतियों के कारण ही ध्रुवीकरण हुआ है.



भाजपा भी जानती है कि ममता बनर्जी की कमजोरी कहां है. यही वजह है कि वह बंगाल में आदिवासी वोटबैंक में जगह बनाने के लिए जबरदस्त कोशिश कर रही है. पिछले दिनों कोलकाता में गृहमंत्री अमित शाह की जो रैली हुई उसमें उन्होंने बांग्लादेश से आए विस्थापित मैती आदिवासी समुदाय को नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के फायदे समझाए.


लेकिन एक बात चिंताजनक है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बेहद हिंसक होता है. वहां राजनीतिक हिंसा की परंपरा बेहद पुरानी है. सत्तारुढ़ दल जितनी मुश्किल में होता है, हिंसा उतनी ज्यादा बढ़ जाती है. गृहमंत्री अमित शाह के सामने यह बड़ी जिम्मेदारी है कि वह पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान शांति और व्यवस्था बरकरार रखें.


ये भी पढ़ें--'दीदी' को धरना पसंद है!


ये भी पढ़ें--"ममता 'दीदी' का दिमागी संतुलन बिगड़ चुका है, उनको इलाज की जरूरत है"


ये भी पढ़ें--राज्यपाल से इतनी बदसलूकी सिर्फ ममता बनर्जी के राज में ही हो सकती है


ये भी पढ़ें--ओवैसी से ममता बनर्जी को क्यों है इतना डर? जानिए यहां