Udaipur News: राजस्थान के उदयपुर शहर में रहने वाले राजू भाई पिछले 44 सालों से फतहसागर झील में निशुल्क तैराकी सिखा रहे हैं. इतने सालों में उनकी देखरेख में कोई हादसा नहीं हुआ. यही वजह है कि बच्चों मां-बाप भी उन पर आंख बंद कर भरोसा करते हैं.
Trending Photos
Rajasthan News: उदयपुर शहर में एक गुरु ऐसे भी है जो वर्तमान युग के द्रोणाचार्य बन हजारों बच्चों को तैरना सीखा चुके हैं. राजू भाई नाम के यह द्रोणाचार्य शहर की फतहसागर झील में बीते 4 दशकों से निःशुल्क तैराकी प्रशिक्षण दे रहे है जो अनवरत जारी है. राजू भाई पर माता-पिता आंख बंद करके विश्वास कर लेते हैं और वह अपने मासूम बच्चों को शहर की सबसे बड़ी फतहसागर सागर में राजू भाई के भरोसे छोड़ देते हैं.
अपने बच्चों को तैराकी सिखाने से की थी शुरुआत
निशुल्क तैराकी सीखने वाले राजू भाई का यह सफर करीब चार दशक पहले शुरू हुआ. राजू भाई का बताते हैं कि जब उनके बच्चे छोटे थे, तो वह उन्हें तैराकी सीखाने के लिए शहर के स्विमिंग पूल पर लेकर पहुंचे, लेकिन काफी दिन निकलने के बाद भी वह तैराकी नहीं सीख पाए. ऐसे में उन्होंने खुद अपने बच्चों को तैराकी सीखाने की जिम्मेदारी उठाई और अपने बच्चों को फतह सागर लेकर पहुंचे. जब वह अपने बच्चों को तैराकी सीखा रहे थे, तो वहां कई गरीब बच्चे भी खड़े थे जो तैराकी सीखने के इच्छुक थे, लेकिन पैसों के अभाव में वह किसी स्विमिंग पूल पर नहीं जा सकते थे. ऐसे में राजू भाई ने अपने स्तर पर ट्यूब और अन्य संसाधन जमा किए और उन बच्चों को भी तैराकी सीखना शुरू कर दिया. तब से शुरू हुआ उनका यह सफर अब तक जारी है.
बच्चों के मां-बाप को भी राजू भाई पर भरोसा
राजू भाई अब तक हजारों लोगों को तैरना सिखा चुके हैं. कई लोग ऐसे भी हैं कि जो बचपन में राजू भाई से तैरना सीखे और अब उनके बच्चे उन्हीं से तेराकी के गुण सीख रहे हैं. राजू भाई की कोई तैराकी की अकादमी नहीं है, बल्कि वह फतहसागर की पाल पर बैठते हैं और कोई भी माता-पिता तैराकी के लिए बच्चों को फतेहसागर लेकर आता है, तो वह पूरे सुरक्षा इंतेजाम के साथ उन्हें सीखाना स्वीकार कर लेते हैं. 1980 में राजू भाई ने फतेहसागर झील में तैराकी सीखाने का मानस बनाया और फिर यह लक्ष्य तय कर लिया कि वह औसतन एक तैराक रोजाना तैयार करेंगे. गर्मी के मौसम में राजू भाई के पास 200 से ज्यादा बच्चे एक साथ तैराकी सीखने के लिए आते है, जिसमें 100 से ज्यादा बच्चे महज 15 दिन में फतेहसागर जैसी बड़ी झील में मछली की तरह तैरने लगते हैं. राजू भाई से तैराकी सिखाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चों के माता-पिता को भी इतना विश्वास है कि वह उन्हीं के भरोसे बच्चों को कई फीट गहरी झील के पानी में उतार देते हैं.
पिछले 44 वर्षों में एक भी हादसा घटित नहीं हुआ
राजू भाई भी सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त रखते हैं और उनके द्वारा तैयार किया जा रहे एक-एक तैराक का पूरा ध्यान रखते है. राजू भाई के पास तैराकी सिखाने वाले सिर्फ बच्चे ही नहीं है बल्कि अब कई बड़े भी तैराकी सीखने के लिए आ रहे हैं. राजू भाई का मानना है कि वह कई दशकों से तैराकी करने के लिए फतहसागर आ रहे हैं और इसी बीच और ज्यादा तैराक तैयार करने की उनकी इच्छा ने एक जुनून पैदा किया, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली है. राजू भाई फतेहसागर की पाल पर बैठकर तैरने वाले बच्चों पर नजर गड़ाए रखते है. उनका कहना है कि यह ईश्वर की कृपा है कि पिछले 44 वर्षों में एक भी हादसा घटित नहीं हुआ, जिससे लोगों का उन पर विश्वास और बढ़ा है. वहीं, राजू भाई से तैराकी सीखने आने वाले बच्चे भी काफी उत्साहित नजर आते हैं. बच्चों का कहना है कि जब वह पहली बार फतेहसागर झील में उतरे तो उन्हें काफी डर लगा, लेकिन एक-दो दिन में ही उनका डर दूर हो गया और वह अब अच्छे से तैरे पाते हैं.
ये भी पढ़ें- बैकफुट पर आए शेरगढ़ MLA बाबू सिंह, BSF जवान से हुई बहस को लेकर मांगी माफी