नई दिल्ली: देश के दो राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाती दिख रही है. लेकिन हरियाणा में भाजपा के लिए सरकार बना पाना नतीजों के बाद इतना आसान नहीं था. क्योंकि परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा यहां बहुमत से 6 कदम दूर थी. हालांकि गोपाल कांडा भाजपा में ऐसे आए कि बीजेपी की सारी मुश्किले खत्म हो गई.
ये कहना गलत नहीं होगा कि कांडा का भाजपा में शामिल होना पहले से ही तय था. ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि गोपाल कांडा ने खुद ही ऐसे संकेत दिए हैं.
नीचे पढ़ें 5 बड़े सबूत-
1). RSS से कांडा के पुराने ताल्लुकात
हरियाणा लोकहित पार्टी से हरियाणा के सिरसा से विधायक गोपाल कांडा का भारतीय जनता पार्टी में आना पहले से ही तय माना जा रहा था. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ये है कि उनके पिता खुद RSS से जुड़े हुए थे. इस बात को खुद गोपाल कांडा ने याद दिलाया है. कांडा ने मीडिया से बात करते हुए ये बताया कि उनका परिवार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा रहा है. गोपाल कांडा ने कहा कि '1926 से मेरे पिता RSS में थे, और देश का पहला आम चुनाव बीजेपी के निशान से यानी उस वक्त के भारतीय जनसंघ के टिकट से लड़ा था. ऐसे में हम सभी ने बिना शर्त भाजपा को समर्थन देने का फैसला किया है.'
2). भाई गोंविद कांडा ने किया था इशारा
हरियाणा की सियासत में दिलचस्पी रखने वाले दिग्गजों का मानना है कि गोपाल कांडा और उनके भाई गोविंद कांडा की गिनती प्रदेश के खास और प्रभावशानी राजनीतिक हस्तियों में की जाती है. गोपाल के भाई गोविंद ने इससे पहले भी कई दफा भाजपा से जुड़ाव के संकेत दिए हैं. लेकिन चुनावी परिणाम पूरी तरह से घोषित नहीं हुए थे कि गोविंद कांडा का एक बयान सामने आया, कि उनके भाई गोपाल कांडा भाजपा को समर्थन देंगे. जिसके बाद ये तय माने जाने लगा.
3). हरियाणा में समझौता के मूड में नहीं थी भाजपा
मीडिया से मुखातिब होते वक्त गोपाल कांडा ने ये साफ किया कि वो और 5-6 साथियों मे भारतीय जनता पार्टी को बिना शर्त समर्थन दिया है. ये बिल्कुल ऐसा ही है जैसे भाजपा की जो चाह थी वो पूरी हो गई. नतीजों की तस्वीर अभी साफ ही हो रही थी कि ये हवा फैसले लगी कि कांग्रेस हरियाणा में कर्नाटक मॉडल अपना सकती है. यानी यहां, भी वो सामने वाली पार्टी को सीएम पद की कुर्सी ऑफर कर सकती है. क्योंकि वो हर हाल में भाजपा को सत्ता से दूर रखने की कोशिश करेगी. ऐसे में भाजपा ने जेजेपी से समर्थन की उम्मीद ही नहीं की. क्योंकि वो हरियाणा में किसी तरह का शर्त या समझौता नहीं करना चाहती थी. और ऐसे में बिना शर्त के भाजपा को समर्थन मिलना सोने पर सुहागा जैसा हो गया.
4). कांडा ने जाहिर किया 'भाजपा प्रेम'
भाजपा को समर्थन देने के बाद गोपाल कांडा के हाव भाव से ये समझा जा सकता है कि उन्होंने इसके लिए पहले ही मूड बना लिया था. कांडा ने बाकायदा सामने आकर न सिर्फ बीजेपी बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब तारीफ की. कांडा बोले कि 'हमने अपना रुख साफ कर दिया, माननीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश विकास की ओर अग्रसर है. देश आगे बढ़ रहा है. देश की तरह हरियाणा भी अच्छे से चले. सभी 5-6 साथियों ने कल रात में ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं से बात करके बिना शर्त अपना समर्थन भारतीय जनता पार्टी को दे दिया.'
5). कांग्रेस ने की कोशिश, मगर डटे रहे कांडा
गोपाल कांडा से जब संवाददाता ने एक सवाल पूछा कि क्या आपको विपक्षी दलों ने खासकर कांग्रेस ने ऑफर नहीं दिया? इसके जवाब ने कांडा ने जो कुछ भी बोला उससे ये समझा जा सकता है कि उनका भाजपा के साथ आना तय था. उन्होंने बताया, 'कांग्रेस चाह रही थी, कोशिश भी की, लेकिन हम सभी ने बिना शर्त भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दे दिया. लोगों ने इतना प्यार और सम्मान दिया है तो राजनीति में दबाव की बात नहीं है. भारतीय जनता पार्टी दबाव की राजनीति नहीं करती है.'
कांडा ने इस दौरान ये भी कहा कि हमने प्रदेश के विकास के लिए समर्थन दिया है, कि हमारा प्रदेश प्रगति की ओर अग्रसर हो.
नीचे सुने गोपाल कांडा ने भाजपा से ताल्लुक पर क्या बोला?
#WATCH Haryana Lokhit Party's Gopal Kanda,candidate from Sirsa assembly seat:All independent candidates have extended their unconditional support to BJP. My father was associated with RSS since 1926,fought 1st general elections of the country after independence on Jansangh ticket pic.twitter.com/FeS9c9Valq
— ANI (@ANI) October 25, 2019
गोपाल कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी से चुनावी मैदान में थे, और सिरसा से चुनाव जीता है. खास बात ये है कि उन्होंने यहां सिर्फ 602 वोटों से चुनाव अपने नाम किया. यानी लड़ाई कांटे की टक्कर की थी. उन्होंने साल 2009 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल की थी और विधायक बने थे. उस दौरान कांडा को हरियाणा की हुड्डा सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली थी.
आपको बता दें, हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी. मतगणना बीते 24 तारीख को हुई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, हालांकि यहां भाजपा बहुमत से 6 कदम दूर रह गई. इसके अलावा हरियाणा में किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुई. लेकिन ताजा अपडेट के अनुसार भाजपा यहां सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है.