नई दिल्ली: बिहार में पहले चरण का मतदान (Bihar first phase voting) हो चुका है. अभी दो चरण बाकी है. ऐसे में नेताओं की उम्मीदें परवान पर हैं. जनता के लिए भले ही उन्होंने कुछ नहीं किया हो. लेकिन उससे अगले 5 साल तक सत्ता की चाभी हासिल करने के लिए सभी बेकरार हैं. 


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नीतीश के ख्वाब 
पिछले 15 सालों से बिहार की सत्ता पर काबिज सीएम नीतीश (CM nitish kumar) इस चुनाव में चौका लगाने का ख्वाब देख रहे हैं. इससे पहले बिहार पर लगातार 20 सालों को किसी सीएम ने राज नहीं किया है.



लेकिन चौथी बार सीएम बनने का ख्वाब देख रहे नीतीश कुमार की राह आसान नहीं है. क्योंकि एंटी इनकंबेन्सी के साथ कुछ पुराने साथी भी उनके राह में रोड़ा बनकर खड़ा हो गए हैं. जिनमें चिराग पासवान (Chirag paswan) की पार्टी LJP भी शामिल है. 


तेजस्वी के दो-दो ख्वाब
बिहार का सीएम बनना तेजस्वी और लालू परिवार का पहला ख्वाब है. तेजस्वी यादव (Tejasvi yadav) को लगता है बिहार का सीएम बनने का यही सही समय है और अगर इस बार चूके तो फिर पता नहीं 5 साल बाद मौका मिलेगा भी या नहीं. यही कारण है कि तेजस्वी ने महागठबंधन के ज्यादा सहयोगियों को सीट बंटवारे के समय ही किनारा लगा दिया. ताकि जब महागठबंधन की सरकार बने तो मलाईदार मंत्रालयों का बंटवारा ना करना पड़े और ना ही कोई सरकार गिराने का डर दिखा सके.



कुर्सी पर काबिज होने के लिए तेजस्वी प्रतिदिन 10 से ज्यादा सभाएं कर रहे हैं. 


दूसरा ख्वाब: सीना तानकर चलना
तेजस्वी का दूसरा ख्वाब बाबू साहब के सामने सीना तानकर चलना है. इस ख्वाब का जिक्र करने से तेजस्वी आखिर कार खूद को रोक नहीं सकें और रोहतास की एक सभा में अपने दिल की बात कह ही दी.



आखिर तेजस्वी, लालू यादव के बेटे जो ठहरे. लालू यादव ने अपने शासन काल में 'भूरा बाल साफ करो' का नारा दिया था. यानि भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला को खत्म करो. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं लालू राज के बारे में भी और भविष्य के तेजस्वी राज के बारे में भी.


बिहार चुनाव में LJP अध्यक्ष चिराग पासवान का ख्वाब
बिहार चुनाव में LJP का किरदार काफी असमंजस से भरा हुआ है. बीजेपी के साथ चिराग गले मिलकर दोस्ती निभा रहे हैं तो नीतीश को पानी पी-पीकर खूब कोस रहे हैं. इस बार के बिहार चुनाव में चिराग पासवान नीतीश कुमार को जेल भेजना का ख्वाब देख रहे हैं. अब उनका सपना पूरा होता है या नहीं ये तो बीजेपी और जनता बताएगी. 


छोटी पार्टियां देख रही हैं दमदार ओपनिंग का ख्वाब
इस बार के चुनाव में कई नई पार्टियां मैदान में हैं. जिनमें पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी. पुष्पम प्रिया चौधरी की प्लुरल्स पार्टी, जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी अवाम पार्टी. मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी भी है.  जो इस बार के चुनाव में विधानसभा की एक अदद सीट जीतने का ख्वाब देख रही है.



इसके अलावा NDA और महागठबंधन के बाद एक और गठबंधन चुनावी मैदान में है. जिसमें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP, मायावती की पार्टी BSP, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) पार्टी शामिल है. यह  तीसरा मोर्चा, NDA को हराकर नीतीश कुमार को गद्दी से हटाकर RLSP नेता उप्रेंद्र कुशवाहा को सीएम बनाने का ख्वाब देख रहा है. 



लेकिन बिहार की जनता भी नई सरकार में रोजगार, विकास और शांति का ख्वाब देख रही है और 10 नवंबर को जब नतीजे घोषित होंगे तो जनता किसके ख्वाबों  को सच करती है. यह देखना दिलचस्प होगा. 


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