राम मंदिर ट्रस्ट पर जातिवादी राजनीति करने की कोशिश में नेता

पीएम मोदी ने भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिये ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है. कई नेता इस पर अपनी जाति की राजनीति चमकाने के लिये अपनी अपनी जाति के लोगों के प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 7, 2020, 06:14 PM IST
राम मंदिर ट्रस्ट पर जातिवादी राजनीति करने की कोशिश में नेता

दिल्ली: राम मंदिर बनाने के लिए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन का प्रस्ताव लोकसभा में पारित होने के बाद अब भारत सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया. जानकारी के अनुसार इसमें 15 सदस्य होंगे. इनमें 9 स्थायी और 6 नामित सदस्य होंगे. कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा गठित राम मंदिर ट्रस्ट पूर्ण रूप से असंवैधानिक है, इसमें सिर्फ ब्राहमणों को क्यों रखा गया है। अपवाद में एक दलित को दिखावे के लिये रखा. उदित राज के बयान से लगता है कि उन्हें इसमें भी आरक्षण चाहिये.

 

कल्याण सिंह और उमा भारती ने भी OBC की बात की

राम मंदिर के लिए गठित 15 सदस्यीय ट्रस्ट में एक दलित समुदाय से ट्रस्टी का होना जरूरी रखा गया है जबकि ट्रस्ट के सभी सदस्यों का हिंदू धर्मावलंबी से होना अनिवार्य बनाया गया है. ट्रस्ट के डीड में ही 9 स्थाई सदस्यों के नाम दे दिए गए हैं, जिनमें एक दलित जातीय और आठ ब्राह्मण समुदाय के लोगों को जगह मिली है. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा कि सरकार को राम मंदिर ट्रस्ट में एक दलित के साथ किसी ओबीसी को भी शामिल करना चाहिए था. वहीं उमा भारती ने भी यही कहा.

राम मंदिर ट्रस्ट के स्थाई सदस्यों के नाम

सुप्रीम कोर्ट के वकील के.परासरण, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज, स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी, युगपुरुष परमानंद जी, स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा, श्री कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास और डॉ. अनिल मिश्र श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्थाई सदस्य हैं. डॉ. अनिल मिश्र ने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अभी संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं.

जानिये कौन होगा पदेन सदस्य

केंद्र सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि जो हिंदू धर्म का होगा और केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा. यह व्यक्ति भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद से नीचे नहीं होगा. यह एक पदेन सदस्य होगा. राज्य सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म का होगा और उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा. 

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