Rahul Kaswan ने चुरू में 'मोरिये' बुलाए, भतीजे ने काका को ऐसे किया चित्त!

Rahul Kaswan Win Churu Seat: राहुल कस्वां चूरू लोकसभा सीट से चुनाव जीत गए हैं. भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था और ओलिंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया को टिकट दिया. कस्वां ने आरोप लगाया कि उनका टिकट राजेंद्र राठौड़ ने कटवाया है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jun 4, 2024, 05:09 PM IST
  • राहुल कस्वां को कांग्रेस ने दी थी टिकट
  • भाजपा छोड़ कांग्रेस में हुए थे शामिल
Rahul Kaswan ने चुरू में 'मोरिये' बुलाए, भतीजे ने काका को ऐसे किया चित्त!

नई दिल्ली: Rahul Kaswan Win Churu Seat: राजस्थान में भाजपा का शेखावाटी में सूपड़ा साफ हो गया. झुंझुनूं, सीकर और चूरू लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. तीनों ही सीटों पर भाजपा बीते 2 चुनाव से लगातार जीत रही थी. लेकिन इस बार भाजपा को इस इलाके में बड़ा झटका लगा है. खासकर चूरू सीट पर रोचक मुकाबला था, इसमें भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए राहुल कस्वां बाजी मार ले गए. उनका मुकाबला भले भाजपा के देवेंद्र झाझड़िया से था, लेकिन जुबानी जंग राजेंद्र राठौड़ के साथ हो रही थी. राहुल कस्वां राजेंद्र राठौड़ को 'काका' बोलते हैं, उन्होंने इस बार काका की स्ट्रेटजी को फेल कर दिया.

कौन हैं राहुल कस्वां? (Who is Rahul Kaswan)
राहुल कस्वां 2014 और 2019 में भाजपा की टिकट पर चूरू लोकसभा सीट से सांसद बने. इससे पहले उनके पिता रामसिंह कस्वां भी यहां से 3 बार सांसद रहे हैं. राहुल कस्वां रिश्ते में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के दामाद हैं. उपराष्ट्रपति धनखड़ के भाई की बेटी की शादी राहुल कस्वां से हुई है. हालांकि, इस बार भाजपा ने राहुल कस्वां की टिकट काट दी थी. इसके बाद वे कांग्रेस में चले गए और वहां से टिकट लेकर आए.

कैसे जीते राहुल कस्वां, पॉइंट्स में समझें

1. सहानुभूति: राहुल कस्वां का टिकट कटा, इसके बाद उन्होंने अपने गृह क्षेत्र में एक बड़ी सभा की. इसमें उन्होंने कहा कि मेरी कोई गलती नहीं थी, बस मैं सामंतवादी सोच के आगे झुका नहीं. इसके बाद राहुल के पक्ष में सहानुभूति की लहर उठी. 

2. जाट वोटों की गोलाबंदी: राहुल कस्वां ने जाट वोटों की गोलाबंदी की. भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ के बहाने उन्होंने पूरा चुनाव जाति पर ला दिया. जाट Vs राजपूत का चुनाव बनने से राहुल कस्वां को फायदा हुआ.

3. राठौड़ के विपक्षी एकजुट हुए: भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ लंबे समय से चूरू की राजनीति में प्रभावी रहे हैं. लेकिन राहुल ने आरोप लगाया कि राठौड़ ने ही उनकी टिकट कटवाई है. इसके बाद राठौड़ के विरोधी नेता जैसे- नरेंद्र बुडानिया और बलवान पूनिया कस्वां के साथ आए.

4. कस्वां परिवार का गढ़: चूरू लोकसभा सीट कस्वां परिवार का गढ़ रही है. कस्वां परिवार के सदस्य 5 बार यहां से सांसद रहे हैं. जबकि दूसरी ओर, देवेंद्र झाझड़िया सियासत में नए थे. उन्हें राजनीति का अनुभव नहीं था.

5. राहुल कस्वां के विकास कार्य: राहुल कस्वां अपने विकास कार्य आमजन तक पहुंचाने में सफल हुए. कस्वां ने फसल खराब होने पर किसानों को खूब मुआवजा दिलाया था, इस कारण किसान कौम में उनकी अच्छी पैठ बनी.

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