नई दिल्ली: Rao Inderjit Singh: हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी पर सबकी नजरें हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में विजयी होने के बाद भाजपा में भी खेमे बनते दिख रहे हैं. पार्टी ने चुनाव से पहले ही नायब सिंह सैनी का नाम CM पद के लिए तय कर दिया था, इसका ऐलान भी हो गया था. भाजपा ने पूरे चुनाव में नायब सिंह सैनी को आगे रखा, इनके नेतृत्व में चली सरकार के कामों के आधार पर वोट मांगे. लेकिन अब एक और दिग्गज नेता गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह भी CM बनना चाह रहे हैं, उन्होंने इसके लिए शक्ति प्रदर्शन भी किया है.
राव से मिले BJP के 9 विधायक
बीते 2 दिन में राव इंद्रजीत सिंह के घर पर करीब 9 भाजपा विधायक पहुंचे. इन मुलाकातों को भले सामान्य तौर पर देखा जा रहा हो, लेकिन सियासी गलियारों में इनके कई मायने निकाले जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर तो ये भी चर्चा चलने लगी है कि राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस के संपर्क में हैं. हालांकि, ये महज अफवाह हैं, इनका कोई आधार नहीं है.
राव इंद्रजीत सिंह ने भर दी भाजपा की झोली
ऐसा कहा जाता है कि राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में राज्य मंत्री बनाए जाने से नाराज थे. वे कैबिनेट मंत्री का पोर्टफोलियो चाह रहे थे. पार्टी ने इसकी भरपाई उन्हें विधानसभा चुनाव में फ्री हैंड देकर की. दक्षिण हरियाणा यानी अहिरवाल क्षेत्र में राव इंद्रजीत सिंह का प्रभाव माना जाता है. यहां की 28 विधानसभा सीटों में से 21 भाजपा के खाते में गई. राव इंद्रजीत सिंह यादव बिरादरी से आते हैं. यहां यादवों की आबादी 12 फीसदी है, इसका अधिकतर वोट भाजपा के पक्ष में गया. राव इंद्रजीत सिंह ने अपने 8 समर्थकों को टिकट दिलाया, आठों ने जीत हासिल की है. खुद की बेटी ने आरती राव ने भी अटेली से जीत दर्ज की. यही कारण है कि राव इंद्रजीत सिंह इस विधानसभा चुनाव में मजबूत हुए हैं.
CM पद पर ठोक चुके दावा
राव इंद्रजीत सिंह ने विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोक दिया था. चुनाव के बाद भी वे अपनी बात को दोहराते रहे. उन्होंने कहा था- दक्षिण हरियाणा ने हमेशा भाजपा का समर्थन किया. अब बारी भाजपा की है.
क्या राव बन सकते हैं मुख्यमंत्री?
भाजपा हाईकमान पहले ही नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बता चुका. चुनाव में सैनी को ही सूबे के मुखिया के दावेदार के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया. इसलिए राव इंद्रजीत सिंह के मुख्यमंत्री बनने की संभावना बहुत कम है. उनकी बेटी आरती और 2-3 समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह देकर उन्हें मैनेज किया जा सकता है.
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