देवउठनी एकादशी पर आप खुद श्री हरी को उठाएं, गाएं ये गीत, तुलसी विवाह पर क्या करें? जानें

Dev Uthani Ekadashi Geet: देवउठनी एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है. इस दिन श्री हरी नींद से उठते हैं इसी वजह से इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं. आइए जानते हैं इस दिन क्या करना चाहिए. वहीं इस गीत से आप देव को उठा सकते हैं. 

Written by - Dr. Anish Vyas | Last Updated : Nov 11, 2024, 02:26 PM IST
  • देवउठनी एकादशी पर इस गीत से श्री हरी को उठाएं
  • तुलसी विवाह पर करें ये काम- मां लक्ष्मी भर देंगी झोली
देवउठनी एकादशी पर आप खुद श्री हरी को उठाएं, गाएं ये गीत, तुलसी विवाह पर क्या करें? जानें

नई दिल्ली: पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को हैं. देवउठनी एकादशी के दिन मंदिर और घरों में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन आप इस गीत से भगवान हरी को उठाएं. चलिए जानते हैं इस दिन क्या करना चाहिए, किन मंत्रों का जाप करना चाहिए. 

एकादशी के दिन करें ये काम
 एकादशी  वहीं तुलसी विवाह के दिन दान करना उत्तम माना जाता है. एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए. विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए. एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है. कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. तुलसी विवाह के दिन जरूरत मंद लोगों को कपड़ों का दान करना चाहिए. तुलसी विवाह के दिन मंदिर में जाकर तुलसी का दान करना चाहिए. यह सबसे बड़ा दान माना जाता है. 

देवउठनी एकादशी पूजा विधि
 देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को धूप, दीप, पुष्प, फल, अर्घ्य और चंदर आदि अर्पित करें. भगवान की पूजा करके नीचे दिए मंत्रों का जाप करें.

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद त्यज निद्रां जगत्पते. त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदिम्..
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ वाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुंधरे. हिरण्याक्षप्राघातिन् त्रैलोक्यो मंगल कुरु..
इसके बाद भगवान की आरती करें. वह पुष्प अर्पित कर इन मंत्रों से प्रार्थना करें.
इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता.
त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेषशायिना..
इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो.
न्यूनं संपूर्णतां यातु त्वत्वप्रसादाज्जनार्दन..
इसके बाद सभी भगवान को स्मरण करके प्रसाद का वितरण करें.

देवउठनी एकादशी गीत

उठो देव बैठो देव
हाथ-पाँव फटकारो देव
उँगलियाँ चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥ 
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा  
गोवल जाके, दाब कटा  
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले क़ोले, धरे चपेटा
ओले क़ोले, धरे अनार
ओले क़ोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें. 

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़