नई दिल्ली: महाराष्ट्र की कमान संभालने के लिए अबतक मुख्यमंत्री के चेहरे का नाम साफ नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर आ रही है कि प्रदेश में सत्ता के सबसे बड़े सिंहासन की खातिर बाला साहब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे के नाम पर तीनों पार्टियों (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना) के बीच सहमति बन गई है.
एनसीपी प्रमुख ने दिए संकेत
उद्धव के नाम पर सहमति बनी है कि नहीं, इसकी आधिकारिक पुष्टि फिलहाल नहीं हुई है, लेकिन एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने इसके संकेत दे दिए हैं. माना जा रहा है कि उद्धव के नाम का आधिकारिक रूप से ऐलान कल यानी शनिवार को किया जाएगा.
NCP Chief Sharad Pawar: Uddhav Thackeray's name for CM was also discussed in the meeting, more talks will continue tomorrow https://t.co/fGi2AuLsvj
— ANI (@ANI) November 22, 2019
उद्धव को क्यों है ऐतराज?
जहां शिवसेना के लिए ये एक बड़ी जीत निकलकर सामने आ रही है, कि उद्धव के नाम पर राजीनामा साइन हो गया है, तो वहीं अंदरुनी खेमे से ये खबर आ रही है कि खुद उद्धव ठाकरे को इस पद पर बैठने से ऐतराज है. लेकिन ऐसा क्यों है ये वाकई बहुत बड़ा और पेंचीदा सवाल है. दरअसल, ठाकरे परिवार हमेशा से ही प्रदेश की सियासत में कुर्सी से दूर रहकर किंगमेकर के भूमिका में दिखाई देता रहा है. अब जब महाराष्ट्र में सियासी उठापटक चरम पर है, तो शरद पवार ने एक और नया और उलझा देने वाला दाव खेला है. शरद पवार ने ये इशारा तो कर दिया कि तीनों पार्टी के बीच उद्धव के नाम पर सहमति बन चुकी है. लेकिन इसके पीछे उनकी बहुत बड़ी रणनीति है.
दरअसल, एक समय में प्रदेश की सियासी रणभूमि में धुर विरोधी और कट्टर शत्रु रहने वाली तीन पार्टी शिवसेना- कांग्रेस और एनसीपी आजकल एक साथ कदमताल करते दिख रहे हैं. और इसके पीछे की वजह है, सत्ता का लजीज स्वाद. जिसे चखने के लिए किसी का भी ईमान डगमगा जाए. अब ऐसे में कुर्सी की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए शिवसेना ने भाजपा गठबंधन के पीठ पर जिस तरह से छूरा घोंपा वो समझाने के लिए काफी है कि राजनीति में फायदे के लिए कुछ भी किया जा सकता है.
क्या करेंगे उद्धव?
उद्धव ठाकरे को बतौर सीएम प्रोजक्ट करने का मूड बन रहा है, तो स्वयं ठाकरे को इससे ऐतराज है. इसके पीछे की वजह ये है कि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि कही उसकी पार्टी का अस्तित्व कहीं खतरे में ना पड़ जाए. वैसे भी शिवसेना ने इस कुर्सी के लिए खूब हाय-तौबा मचाया है. अब ऐसे में अगर उद्धव खुद उस कुर्सी पर विराजमान हो जाएंगे तो हंगामा खड़ा होना वाजिब है.
हर कोई जानना चाहता है, कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी के खातिर किसका राजतिलक होगा और कौन सिंहासन पर विराजमान होगा? लेकिन अबतक संशय बरकरार है. जिम्मेदार कौन है ये किसी से छिपा नहीं है, लेकिन इन सबके इतर कोई खुद को ठगा महसूस कर रहा है तो वो है प्रदेश के वोटर और जनता.