बंगाल चुनाव 2021: मिठाइयों की दुकान तक पहुंचा सियासी संग्राम

कुछ दिनों पहले तक सोशल मीडिया और चुनावी भाषणों में सुनाई देने वाले 'खेला होबे' और 'जय श्री राम' के नारे बंगाल की 'वोट मिष्टी' यानी चुनावी मिठाइयों में दिखाई दे रहे हैं.

Written by - Shweta Bhattacharya | Last Updated : Mar 2, 2021, 10:12 PM IST
  • चुनावी सीजन में बनी मिठाइयों को दिया गया है वोट मिष्टी का नाम.
  • मिठाइयों की बिक्री से नहीं पता चल रहा किसकी ओर है मतदाताओं का रुझान.
बंगाल चुनाव 2021: मिठाइयों की दुकान तक पहुंचा सियासी संग्राम

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद से सरगर्मियां तेज हो गई हैं. अपनी उत्सवधर्मिता के लिए दुनियाभर में विशेष पहचान रखने वाले बंगाल में चुनावी मौसम की झलक नजर आने लगी है. बसंत के सुहावने मौसम हो रही सियासी जंग कोलकाता की मिठाई की दुकानों तक पहुंच गई हैं.

रसगुल्ला और संदेश जैसी मिठाइयों के बगैर बंगाल में किसी भी काम की शुरुआत नहीं होती. ऐसा ही कुछ चुनावी समर में भी हो रहा है. सियासी कड़वाहट के बीच मिठास में भी अब सियासत घुल गई है इसलिए इस बार पश्चिम बंगाल चुनाव में मिठाइयों में भी सियासी जंग देखने को मिल रही है.

सोशल मीडिया से मिठाइयों तक पहुंचे नारे 

बाजार में ममता दीदी और पीएम मोदी की तस्वीरों वाले संदेश की मिठाइयां बिक रही हैं. इसके साथ ही तमाम राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह की झलक भी नजर आ रही है. कुछ दिनों पहले तक सोशल मीडिया और चुनावी भाषणों में सुनाई देने वाले 'खेला होबे' और 'जय श्री राम' के नारे भी 'वोट मिष्टी' यानी चुनावी मिठाइयों में दिखाई दे रहे हैं.

बलराम मुलिक स्वीट शॉप के मालिक सुदीप मुलिक ने चुनावी रंग में मिठाइयों के रंगने के बारे में कहा, बंगाल के सियासी चुनाव में भले ही कितनी भी कड़वाहट क्यों न भर गई हो लेकिन इसमें बंगाल अपनी मिठास नहीं खोएगा. ये मिठाइयां चुनावी मौसम को देखते हुए बनाई गई हैं. ऐसी मिठाइयों से लोग आकर्षित होते हैं और लोगों को लुभाने के लिए हम समय समय पर  हम भी लोगों को लुभाने के लिए नए नए प्रयोग करते रहते हैं. जब जैसा सीजन होता है उस तरह की चीजें बनाने की कोशिश हम करते हैं कि लोग आएं और उसका लुत्फ उठाएं.

बिक्री से नही पता लग रहा रुझान
मिठाइयों की बिक्री के जरिए सियासी समीकरणों और रुझान का भी अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन मिठाई दुकान के मालिक ने इसे लोगों के राजनीतिक विचार से ज्यादा स्वाद से जुड़ा बताया. वर्तमान में टीएमसी और भाजपा के चुनाव चिन्ह वाली संदेश बिक रही हैं. कुल मिलाकर देखें तो टीएमसी की मिठाइयां अन्य पार्टियों की तुलना में ज्यादा बिक रही हैं. जय श्री राम के नारे वाली चुनावी मिठाई लेने के लिए भी आ रहे हैं हालांकि 'जय श्री राम' के नारे वाले संदेश का ज्यादा इस्तेमाल पूजा पाठ में हो रहा है.  

लोग पीएम मोदी और ममता दीदी की तस्वीरों वाले संदेश को तोड़कर खा नहीं सकते लेकिन वो इन्हें एक-दूसरे को तोहफे में जरूर दे सकते हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता इन मिठाइयों को खरीद रहे हैं. सभाओं या रैलियों के दौरान इन मिठाइयों को बांटने का राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच क्रेज है. 

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प्रयोग के तौर पर बनाई थी खेला होबे मिठाई

नलिन दास चंद्र स्वीट शॉप के मालिक तपद दास ने बताया, 'हमने तो खेला होबे वाली मिठाई बनाकर शुरुआत में एक प्रयोग किया था लेकिन अचानक से इसकी मांग बढ़ गई. पहले हम टीएमसी और अन्य पार्टियों के चुनाव चिन्ह वाली मिठाई बनाते थे लेकिन 'खेला होबे' स्लोगन वाली मिठाई ने इसकी वेरायटी में इजाफा किया है.'

मिठाइयों की दुकानों के बीच भी एक अनोखी जंग चल रही है. उत्तरी और दक्षिणी कोलकाता में इस तरह की मिठाइयां बनाने वाली कई दुकाने हैं. दक्षिण कोलकाता के इलाके में जहां 'खेला होबे' का बोल बाला है वहीं साल्ट लेक और न्यू टाउन के इलाकों में जय श्री राम के स्लोगन वाले संदेश की मांग सबसे ज्यादा है. 

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