बॉलीवुड की इन फिल्मों ने किया समाज पर कटाक्ष, सिखाई बेटियों की अहमियत

Daughter’s Day 2022: हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को नेशनल डॉटर्स डे मनाया जाता है. बॉलीवुड की इन बेटियों पर आधारित फिल्म ने बिना किसी हिचकिचाहट रूढ़ियों को तोड़ते हुए लोगों को जागरुक किया है. 

Written by - Shilpa | Last Updated : Sep 24, 2022, 06:33 PM IST
  • इन फिल्मों ने किया समाज पर कटाक्ष
  • बॉलीवुड ने समाज को दिखाया आईना
बॉलीवुड की इन फिल्मों ने किया समाज पर कटाक्ष, सिखाई बेटियों की अहमियत

नई दिल्ली: Daughter’s Day 2022: हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को नेशनल डॉटर्स डे मनाया जाता है. यानी बेटियों का दिन. इस साल डॉटर्स डे 25 सितंबर को मनाया जा रहा है. भले ही समाज की सोच में काफी बदलाव आ चुका है लेकिन इसके बाद भी बेटियों को लंबे समय से बोझ समझा जाता है.

कानून की नजर में बेटी और बेटे को समान अधिकार है लेकिन समाज में आज भी दोहरी मानसिकता जिंदा है. वहीं इंडियन फिल्मों ने इन रूढ़ियों को तोड़ते हुए बेटे और बेटियों के बीच की दरार को कम करने की कोशिश की है.

बॉलीवुड ने बिना डर और हिचकिचाहट बेटियों पर आधारित फिल्मों को लेकर समाज में न केवल आवाज उठाई है बल्कि लोगों को भी जागरूक किया है. आइए डॉटर्स डे के खास दिन पर जानते हैं हिंदी सिनेमा की उन शानदार फिल्मों के बारे में. 

शाबाश मिठू (Shabaash Mithu)
शाबाश मिठू हाल ही में रिलीज फिल्म है. यह फिल्म बेटे और बेटी के अधिकारों की बात करती है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे घर में बेटे को क्रिकेट खिलाने पर अधिक ध्यान दिया गया था. जबकि बेटे से ज्यादा टैलेंट बेटी में है.

शाबाश मिठू महिला क्रिकेटर मिताली राज की बायोपिक है. फिल्म में दिखाया है कि कैसे एक लड़की घर में खुद को साबित करने के बाद क्रिकेट टीम की जर्सी पहनने के लिए भी खुद को साबित करती है. 

गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल (Gunjan Saxena:The Kargil Girl)
फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की बायोपिक गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल एक बेटी की कहानी को बखूबी बयां करती है. फिल्म में दिखाया गया था कि एक लड़की को अपने सपने पूरे करने के लिए पहले घर में मां और भाई के सामने खुद को साबित किया.

इसके बाद वायुसेना के अफसरों को  भी साबित करना पड़ा की एक बेटी पायलट बन सकती है. 

दंगल (Dangal)
आमिर खान की सुपरहिट फिल्म दंगल बेटियों के जीवन पर आधारित बेस्ट फिल्म है. फिल्म में दिखाया गया था आमिर खान का कोई बेटा नहीं होता है. ऐसे में वह अपनी  बेटियों को पहलवान बनाने का फैसला करता है.

समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए बेटियां देश के लिए पदक जीतती हैं. इस फिल्म ने बेटी की अहमियत को दिखाया है.

चक दे इंडिया (Chak De! India) 
शाहरुख खान की फिल्म चक दे इंडिया को बॉक्स ऑफिस पर काफी पसंद किया गया था. फिल्म ने न केवल जमकर कमाई की थी बल्कि समाज को एक अच्छा संदेश दिया था कि बेटियां कुछ भी कर सकती हैं.

फिल्म एक डायलॉग काफी फेमस हुआ था मुझे एक लौंडे को दिखना है कि एक लौंडिया क्या कर सकती है. 

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