Nirupa Roy Happy Birthday: बॉलीवुड की सबसे अच्छी और बुरी बात यही है कि एक समय पर वो जिसे कामयाबी के सबसे ऊंचे शिखर पर बिठाता है दूसरे ही पल उसे हमेशा के लिए भूला भी देता है. बॉलीवुड में निरूपा रॉय जिसने अपने दशक के सबसे पॉपुलर डायरेक्टर्स के साथ लीड एक्ट्रेस के रूप में काम किया. 1970 में मां के किरदारों के लिए बेहद पॉपुलर हुईं. जिंदगी में कई मुकाम हासिल करने वाली इस अभिनेत्री की जिंदगी कई उतार चढ़ावों से भरी हुई है.
बाली उम्र में शादी
निरूपा रॉय का जन्म गुजरात में हुआ था. पढ़ाई में निरूपा का मन नहीं लगता था इसलिए चौथी के बाद आगे पढ़ने की सोची भी नहीं. घरवालों को लगा कि बेटी तो पढ़ेगी नहीं इसलिए झटपट शादी ही करवा दी जाए. ऐसे में सरकारी नौकरी वाले लड़के की तलाश पूरी हुई और कमल रॉय के साथ हमेशा के लिए विदा कर दिया गया. 15 की बाली उम्र में वो सुहागिन बन गई थीं.
बन गईं जब देवी
भले ही आज की जेनरेशन को निरूपा रॉय एक रोती बिलखती बेचारी मां के रूप में याद हों लेकिन एक दौर था जब उनकी झोली में एक से एक हिट फिल्में हुआ करती थीं और वो बतौर लीड एक्ट्रेस अपने ग्लैमर से फिल्मों में वाहवाही बटोरती थीं. 1951 में 'हर हर महादेव' रिलीज हुई थी जिसमें निरूपा रॉय ने माता पार्वती का किरदार निभाया था. ये किरदार इतना फेमस हुआ कि निरूपा रॉय के घर के बाहर सुबह-सुबह लोगों की लाइन लग जाया करती. लोग उन्हें देवी के रूप में पूजा करते.
अपने बेटों ने पहुंचाया दुख
निरूपा रॉय को असल जिंदगी में अपने बेटों की दुत्कार ही मिली. दो बेटे थे किरण और योगेश. प्रॉपर्टी के लालच में योगेश निरूपा रॉय के साथ मारपीट तक किया करता था. इन बातों का खुलासा छोटे बेटे किरण ने पुलिस के सामने किया था. निरूपा रॉय की बहू ने दहेज प्रताड़ना का केस भी उन पर कर दिया था जिसकी वजह से वो जेल जाते-जाते बचीं. बच्चों के उस दुख को वो बरदाश्त नहीं कर पाईं लगातार दिल की बीमारी और डिप्रेशन की वजह से जल्द ही इस मां ने दुनिया से विदा ले ली, लेकिन आज भी जब मां की बात होती है तो निरूपा रॉय की ही मिसाल दी जाती है.
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