नई दिल्ली: हाल ही में असम की बेहतरीन फिल्म मेकर एमी बरुआ को उनकी फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. फिल्म डिमासा जनजाति पर बेस्ड थी. ऐसे में फिल्म के सुर्खियों में आते ही कई विवाद उठ खड़े हुए. आइए विवाद को परत दर परत जानते हैं.
पहला विवाद
फिल्म में डिमासा जनजाति को लेकर गलत चीजें दिखाई गईं. फिल्म में दिखाया गया कि जब एक मां की मौत हो जाती है तो उसके बच्चे को भी दफना दिया जाता है. ऐसे में डिमासा जनजाति से संबंधित लोगों ने एमी बरुआ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही द्रोपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंप फिल्म को बैमन करने की भी मांग की.
दूसरा विवाद
जैसे-जैसे फिल्म को लेकर लोगों का गुस्सा बढ़ रहा था वैसे वैसे की राज सामने आने लगे. 2021 में जब फिल्म की शूटिंग की जा रही थी तो उस दौरान एक छोटी बच्ची को भी फिल्म में कास्ट किया गया. क्लेरिंग नाम की बच्ची महज 84 दिनों की थी जब उसे मूवी में कास्ट किया गया. ऐसे में खराब मौसम में लगातार शूटिंग के चलते बच्ची को कोल्ड और खांसी ने जकड़ लिया. नतीजा चार दिन बाद बच्ची की मौत हो गई.
ऐसे में दुखी माता पिता का एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. क्लेरिंग के माता पिता को इस बात का दुख है कि बच्ची के ना रहने पर फिल्ममेकर उनसे मिलने भी नहीं आई यहां तक की उनका हाल चाल भी नहीं पूछा गया.
एमी बरुआ ने मांगी माफी
बता दें कि एमी बरुआ असम मंत्री पियूष हजारिका की पत्नी हैं. अपने खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के चलते उन्होंने सोशल मीडिया पर माफी मांगी और साथ ही ये भी कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. ऐसे में ये जानकारी भी सामने आई है कि फिल्ममेकर ने बच्ची को कास्ट करने से पहले जिला अधीक्षक से भी परमिशन नहीं ली गई थी.
मीडिया एंटरटेनमेंट में बच्चों को कास्ट करने की कंडीशंस
- जिस जिले में शूटिंग की जा रही हो तो जिला अधीक्षक से परमिशन लेकर अंडरटेकिंग फिल करवाना होता है.
- चाइल्ड पार्टिसिपेंट की लिस्ट, माता पिता और गार्जियन की सहमति, प्रोडक्शन और इवेंट के दौरान बच्चे की सेफ्टी और सिक्योरिटी का ध्यान रखने वाले लोगों की लिस्ट भी भेजी जाती है.
- इसके अलावा जब फिल्म की स्क्रीनिंग की जाती है तो इसके साथ डिस्क्लेमर भी चलाया जाता है कि इस शूटिंग के दौरान किसी भी बच्चे का शोषण, बुरा व्यवहार नहीं किया गया है.
- अगर बच्चा स्कूल जाता है तो उसकी पढ़ाई के सारे इंतजाम किए जाएं ताकि उसके लेसन मिस न हों.
- बच्चे को लगातार 27 दिनों से ज्यादा कामन करवाया जाए.
- पांच बच्चों पर एक आदमी को जिम्मेदार बनाया जाए ताकि बच्चों का ध्यान ज्यादा अच्छे से रखा जा सके.
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