नई दिल्ली: देश के सबसे चर्चित फनकार का 18 अगस्त को 87 साल के हो गए हैं. गुलजार साहेब का जन्म आजादी से पहले पाकिस्तान में 18 अगस्त, 1934 के दिन हुआ था. गुलजार साहेब एक ऐसा नाम है जिन्होंने अपनी कलम से ऐसा जादू चलाया कि हर कोई उनका मुरीद हो गया.
गीतकार के रूप में प्रसिद्ध गुलजार एक बेहतरीन लेखक, निर्देशक और नाट्यकला लेखक भी हैं. वह बहुत छोटे थे जब उनकी मां का निधन हो गया था. जब भारत-पाकिस्तान का बटवार हुआ, उस समय वह पंजाब के अमृतसर में आकर परिवार के साथ बस गए. वहीं रोजी रोटी की तलाश में गुलजार मुंबई आ पहुंचे.
मैकेनिक के काम से की शुरुआत
किसी ने सही ही कहा है कि जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फ़िजूल हैं कद आसमान का. कुछ ऐसी ही कहानी है हमारे हमारे मशूहर गीतकार गुलजार साहेब की. काम की तलाश में वह मुंबई तो आ गए लेकिन उन्हें सबसे पहला काम गैरेज में बतौर मैकेनिक काम करना शुरू कर दिया.
यूं तो उन्हें बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था. जिसकी वजह से गुलजार ने अपना काम छोड़ दिया और फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख किया. शुरुआत में तो वह मशहूर निर्देशक बिमल रॉय, हेमंत कुमार और ह्रषिकेश मुखर्जी के साथ सहायक के रूप में काम किया. बता दें कि गुलजार बिमल रॉय को अपना गुरू मानते थे लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने अपने गुरू को ही पीछे छोड़ दिया.
वहीं बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी से पहली बार गुलजार साहेब ने बतौर गीतकार अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने उनकी फिल्म दो दूनी चार के लिए न सिर्फ गीत लिखें बल्कि फिल्म के लिए स्क्रिप्ट और डायलॉग भी लिखा.
गुलजार और बर्मन की दोस्ती
इंडस्ट्री में दो महान गीतकारों की दोस्ती भी काफी मशहूर रही. हम बात कर रहे हैं आरडी बर्मन और गुलजार की. दोनों की पहली मुलाकात उन्हीं दिनों हुई थी जब वो एसडी बर्मन के लिए कुछ गाने लिख रहे थे. बर्मन और गुलजार की दोस्ती की हर गुजरते दिन के साथ ये दोस्ती गाढ़ी होती चली गई.
इतना ही नहीं दोनों ने साथ में सबसे ज्यादा गाने बनाए और शायद सबसे बेहतरीन गाने भी. यहां तक कि गुलजार ने उनके लिए खास नज्म भी लिखी थी..
याद है पंचम
वो प्यास नहीं थी
जब तुम म्यूजिक उड़ेल रहे थे जिंदगी में
और हम सब ओक बढ़ा कर मांग रहे थे
प्यास अब लगी है
जब कतरा-कतरा तुम्हारी आवाज का जमा कर रहा हूं
क्या तुम्हें पता था पंचम
कि तुम चुप हो जाओगे
और मैं तुम्हारी आवाज ढूंढ़ता फिरूंगा
दोनों ने साथ में जो गाने लिखे शायद ही कोई सुने और खुद को इसे महसूस करने से रोक सकें. चाहें तुझ से नाराज नहीं जिंदगी हो या मेरा कुछ सामान या फिर आजकल पांव जमीं पर नहीं पड़ते मेरे, दोनों की जुगलबंदी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक नया आयाम दिया.
एक्ट्रेस राखी संग रचाई शादी
साल 1973 में गीतकार गुलजार ने एक्ट्रेस राखी से शादी रचाई. हालांकि दोनों की शादी लंबे समय तक नहीं चली और दोनों अलग रहने लगे. बता दें कि दोनों के अलग रहने की वजह जिद्द थी. जहां गुलजार चाहते थे कि राखी शादी के बाद फिल्मों में काम न करें तो वहीं राखी ने फिल्म कभी-कभी करने के लिए हामी भर दी. इस फिल्म के बाद ही दोनों के बीच दूरियां आ गई.
शादी के 48 साल हो चुके हैं लेकिन दोनों ने तलाक नहीं लिया है. इस कपल की बेटी है मेघना गुलजार. वह फिल्म निर्देशक हैं और वह राजी और तलवार जैसी फिल्में बना चुकी हैं.
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