Birthday Special: ए आर रहमान के बनाए ये पांच गाने सुन लीजिए, फिर कुछ बाकी न लगेगा

A R Rahman गाने के शब्दों के बीच अहसास भर देते हैं. फिर लगता है कि वह गीत हमारे लिए हैं, हम पर ही बनाए गए हैं. एक गीत की सफलता तब है जब गाना न जानने वाले भी उसे गुनगुना उठें. ए आर रहमान यह खूब जानते हैं. आज  उनका जन्म दिन है.

Edited by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 6, 2021, 02:15 PM IST
  • 6 जनवरी 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मे थे ए आर रहमान
  • बचपन में नाम था एस दिलीप, बाद में अपनाया इस्लाम
Birthday Special: ए आर रहमान के बनाए ये पांच गाने सुन लीजिए, फिर कुछ बाकी न लगेगा

नई दिल्लीः रणबीर कपूर की फिल्म 'ये जवानी है दीवानी' का एक डॉयलॉग 2012-2013 के कॉलेज Going Youth की जुबान पर खूब चढ़ा था. 'मैं दौड़ना चाहता हूं, मैं उड़ना चाहता हूं. मैं गिरना भी चाहता हूं, बस मैं रुकना नहीं चाहता हूं'. कपूर खानदान के इस चश्मो चिराग ने इम्तियाज अली के सिखाने पर ये बात हम लड़कों को बताई थी.

बॉलीवुड में एक सितारा इससे कई साल पहले से यही बात समझाता आ रहा है. ए आर रहमान जब अपना संगीत रचते हैं तो पहले मन को दौड़ा देते हैं, दिल से सूरज तक पिघला देते हैं. तारे गिन-गिन कर उंगलियां जला देते हैं और कहते हैं तुम साथ हो या न हो, क्या फर्क है. 

ऐसे हैं अल्ला रक्खा रहमान साहब. आज जन्मदिन है.  6  जनवरी 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मे, नाम मिला ए एस दिलीप कुमार. उनके पिता आरके शेखर मलयाली फिल्मों में संगीत देते थे. बचपन से किशोर उम्र की ओर रहमान बढ़े ही थे कि एक दिन पिता की हत्या हो गई.

बस उसी दिन लड़कपन खत्म हो गया. इस्लाम अपनाया. जीवन के नए सुर तलाशने थे तो पुरानी विरासत ही इस काम में आई. संगीतकार बन गए और फिर कारवां ऐसा चला कि दुनिया वालों से अपने लिए जय हो कराकर ही दम लिया. 

रोजा- फिल्म रोजा
उनके ये पांच गाने सुनिए, आपका दिन बन जाएगा. ठंडा दिल सुलग जाएगा, जलता दिल शोला बन जाएगा. बैचेनी को राहत मिलेगी और राहतें बेचैन हो जाएंगी. शुरुआत करते हैं रोजा से. इस फिल्म से 1992 में मणिरत्नम ने पहला काम सौंपा. फिल्म का संगीत इतना हिट रहा कि ए आर रहमान को फिल्मफेयर से नवाजा गया. इस फिल्म का रोजा Title Song आज भी पसंदीदा है. 

दिल से रे... फिल्म: दिल से
मणिरत्म के साथ ही 1998 में ए आर रहमान ने सुरों की डोली सजाई. फिल्म के कई गाने जुबान पर चढ़े. चल छैयां छैयां तो आज भी झुमा देता है. लेकिन जिस गीत ने दिलों में Spark किया वह था दिल से रे.. इस गीत को गुलजार ने लिखा और खुद ए आर रहमान ने अपने सुर और अपनी आवाज दोनों ही इसमें घोल दिया. शब्द, सुर और आवाज के इस घुलनशील विलय से दिल का बचना मुश्किल है. 

कहने को जश्न-ए-बहारा है, फिल्म:जोधा-अकबर
रहमान के सुरों की बहती नदी में आशुतोष गोवारिकर भी नहा चुके हैं. पीरियड ड्रामा जोधा -अकबर उस साल की बड़ी हिट फिल्म साबित हुई. इससे अधिक दिल को Hit कर गया जोधा (ऐश्वर्या) और अकबर (हृतिक) पर फिल्माया गया गीत कहने को जश्न-ए-बहारा है. सोनू जावेद अली ने जावेद अख्तर के शब्दों को खूबसूरत आवाज दी और ए आर रहमान के संगीत ने इसमें एक ठंडी आग भर दी. सुनेंगे तो जलेंगे भी नहीं और बचेंगे भी नहीं. यहां से छूटकर इन लम्हों के दामन में.. भी सुन लीजिएगा. 

रूबरू.. फिल्म रंग दे बसंती
राकेश ओम प्रकाश मेहरा मिल्खा सिंह को भगाने से पहले सिने प्रेमियों को बसंती रंग में रंग चुके हैं. फिल्में 90s के दौर से निकल आई थीं. लड़के अब छोटे-छोटे कॉलेज में भी Band बनाने लगे थे. गिटार क्लास लेने लगे थे और प्रैक्टिस के लिए कोई गाना तो चाहिए था न. तो ए आर रहमान ने उनकी यह पुकार सुनी और तोहफे में दिया रू..ब रू.. रौशनी.. रू..ब..रू.. रूबरू शब्द के तीनों अक्षरों को साफ-साफ अलग-अलग बोलकर भी उन्होंने दिल को ऐसा रूबरू कराया कि ये गाना भूले से भी नहीं भूलता..

फिर से उड़ चला.. फिल्म- रॉकस्टार
दिल्ली से हरिद्वार तक भी जा रहे हैं और कार में फिर से उड़ चला, फिर से उड़ चला, उड़ के छोड़ा है जहां नीचे, मैं तुम्हारे अब हूँ हवाले हवा, दूर-दूर लोग-बाग़ मीलों दूर ये वादियाँ...ये पांच लाइनें एक सांस में न Play हों तो भाई साहब आपकी यात्रा का कोई मतलब नहीं. मोहित चौहान ने जिस Feel के साथ ये गाना गाया है, उसे इस गाने में Fill करने वाले ए आर रहमान ही हैं. I Love Travel और मुझे घूमना, नई-नई जगहें देखना बहुत पसंद है कहने वालों के लिए ये गीत एंथम सा बन गया है. सुनिएगा जरूर. 

तुम साथ हो या न हो... फिल्म- तमाशा

एक बार फिर रणबीर कपूर कुछ बताने आए युवाओं को. कह रहे थे पैशन को फॉलो करो. 9:00 to 5:00 के चक्कर में मिडियोकर मत बनो. ये बताने के लिए सहारा लिया एक बड़े ही खूबसूरत से गाने पल भर ठहर जाओ.. दिल ये संभल जाए.. इतनी प्यारी अपील कोई करे तो बंदा कैसे न ठहरे.

ए आर रहमान ने तो ऐसा जादू भरा कि गीत के लिए ही ठहरने का मन कर जाता है. इस इरशाद कामिल के खूबसूरत अल्फाजों के बीच जो खाली जगह बचती है.. वहां अहसास भर दिए जाते हैं. ये अहसास ए आर रहमान ने भरे हैं. 

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