जम्मू. देश की राष्ट्रवादी मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए कृत-संकल्प है. वह इन विस्थापितों की पीड़ा समझती है इसलिए पूरी उम्मीद है कि धारा तीन सौ सत्तर हटने के बाद पहली बार की गई इन मांगों पर सरकार अवश्य विचार करेगी.
28वें मार्गदर्शन दिवस पर रखी अपने दिल की बात
जम्मू में कश्मीरी पंडितों ने मार्गदर्शन दिवस के 28वे संस्करण के अवसर पर सबसे पहले तो मोदी सरकार को विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया. इसके बाद उन्होंने अपने दिल की बात कही. कश्मीरी पंडितों ने कहा कि यदि सरकार मदद करे तो कश्मीरी पंडितों की घर वापसी उनके अनुकूल हो सकेगी और उनका सही तरीके से पुनर्वास भी हो सकेगा. इन्हें औपचारिक भाषा में कश्मीरी पंडितों की विशेष मांगे तो कहा जा सकता है पर ये मांगें नहीं बल्कि सरकार से उनका आग्रह है जिसके बिना उनकी घर-वापसी ठीक से संभव न हो सकेगी.
माँगा अपना विशेष क्षेत्र एवं प्रतिनिधित्व
धारा तीन सौ सत्तर हटने से अब कश्मीर नया हो गया है. मोदी सरकार ने कश्मीरी पंडितों की बरसों पुरानी मांग को न केवल जीवित कर दिया बल्कि उनके लिए कश्मीर में घर वापसी का पूरा माहौल तैयार कराया है. अब अपनी ज़मीन पर वापसी का वक्त कश्मीरी पंडितों के लिए बिलकुल दूर नहीं है. लेकिन इसके पहले उन्होंने सरकार से अपना विशेष क्षेत्र और राज्य की सियासत में अपने प्रतिनिधित्व की अपेक्षा की है.
पनुन कश्मीर ने पेश किया मसविदा
कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर ने जम्मू के कश्मीरी पंडित सभागार में आयेाजित कार्यक्रम में सरकार के समक्ष घर वापसी का मसौदा भी प्रस्तुत किया. पनुन कश्मीर के प्रतिनिधियों ने प्रसन्नतापूर्वक बताया कि अब कश्मीरी पंडितों का घाटी में वापसी का मार्ग प्रशस्त होने लगा है. अतः अब आवश्यक है कि सभी कश्मीरी पंडित एक ही स्थान पर बसाये जाएँ जिससे वे अपनी संस्कृति, समाज से जुड़े रहें और सुरक्षित वातावरण में रह सकेंगे.
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