नई दिल्ली. तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस के स्थापना दिवस पर पी चिदंबरम ने जनरल विपिन रावत के बहाने सीधे केंद्र सरकार हमला बोला है. न केवल उन्होंने विपिन रावत को चुप रहने की सलाह दी है, बल्कि साथ ही डीजीपी और आर्मी के जनरलों पर सरकार को सपोर्ट करने का आरोप भी चस्पा किया है.
देश को पकिस्तान बनाना चाहते हैं चिदंबरम
चिदंबरम चाहते हैं सेना सरकार का समर्थन न करे तो क्या सेना बागी हो जाए? यह किस तरह की बात कह रहे हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम. कैसी उलटी दलील है ये. उनको तो पहले ये सोचना चाहिए कि क्या यह सम्भव है? एक देश की निर्वाचित सरकार को देश की सेना समर्थन न करे? क्या यह हो सकता है? क्या प्रजातंत्र इसकी अनुमंती देता है? ऐसा तो पकिस्तान में होता है,भारत में नहीं.
देश का सैनिक अंधा बहरा नहीं है
देश के सैनिक का काम सिर्फ सीमा पर देश की रक्षा करना नहीं है देश के भीतर भी रखा का दायित्व है देश के सैनिकों का. वे गूंगे बहरे नहीं हैं. देश के सैनिक होने के नाते देश पर बोलने का पहला हक उनको है.
चिदंबरम को तो बोलने का अधिकार ही नहीं है
जनरल विपिन रावत को बोलने से चुप कराने वाले चिदंबरम को तो अधिकार ही नहीं इस पर या देश के किसी भी मसले पर कुछ भी बोलने का. देश का एक नागरिक देश की रक्षा कर रहा है और दूसरा जेल में रहा है तो दोनों का ज़मीन आसमान का फर्क साफ़-साफ़ नज़र आ रहा है. किसी आम आदमी को नहीं देश के सेना के मुखिया के लिए ऐसे बोल बोल रहे हैं चिदंबरम, ये बहुत शर्मनाक है.
जनरल विपिन रावत पर नाज़ है देश को!
मोदी सरकार का गुस्सा आर्मी चीफ विपिन रावत पर निकाला पी चिदंबरम ने. दरअसल ये उनकी भड़ास थी जो आर्थिक-धांधली के आरोप में जेल में जीवन बिताते समय उनके भीतर भर गई थी. चिदंबरम ने आर्मी चीफ से कहा- ''आप सेना का काम देखिये, राजनीति हमें करने दीजिये.'' उन्होंने जनरल विपिन रावत के लिये आगे कहा -''आप नेताओं को सलाह नहीं दें. आप सेना के जनरल हैं और अपने काम से काम रखिये''. यहां चिदंबरम साहब को चाहिये कि देश के बारे में बोलने से वे देश के सैनिक को न रोकें, ऐसा करने से पहले वे अपने सु-पुत्र कार्ती से पूछ लें या जेल में रह रहे अपने सह-कैदियों से मशवरा ले लें. शायद वे नहीं जानते, भारत को जनरल विपिन रावत पर नाज़ है!