नई दिल्ली: हैदराबाद में 127 लोगों से आधार ऑफिस की ओर से दस्तावेजी सबूत मांगे जाने पर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भड़क गए हैं. आधार कार्ड के अधिकारियों ने 127 लोगों को नोटिस भेजकर आधार कार्ड के लिए जरूरी दस्तावेज पेश करने को कहा है.
आखिर क्यों भड़के ओवैसी?
दरअसल, 127 लोगों को नोटिस पर UIDAI का जवाब आया है, जिसमें कहा गया है कि आधार कार्ड नागरिकता का दस्तावेज नहीं है. आवेदन से 182 दिन पहले तक भारत का निवासी होना ज़रूरी है. आपको बता दें, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश है कि घुसपैठियों का आधार कार्ड नहीं बना सकता हैं. UIDAI की प्रारंभिक जांच में 127 लोग संदिग्ध घुसपैठिए हैं. ऐसे में घुसपैठिया होने पर आधार नंबर रद्द करना ज़रूरी हो जाता है. घुसपैठिए हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए नोटिस भेजा गया. जवाब की जांच के बाद आधार कार्ड पर कार्रवाई होगी. नोटिस का किसी व्यक्ति की नागरिकता से संबंध नहीं है. आधार कार्ड रद्द होने का किसी की राष्ट्रीयता से लेना-देना नहीं है. यही वजह है कि ओवैसी को मिर्ची लग गई.
'आधार' पर ओवैसी का आर-पार!
आधार दफ्तर की ओर कहा गया है कि उन्हें पुलिस की तरफ से जानकारी मिली थी कि 127 लोगों के पास फर्जी आधार कार्ड होने की संभावना है और ये घुसपैठिये भी हो सकते हैं. इसी वजह से उन्हें नोटिस भेजा गया है. लेकिन ओवैसी ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या UIDAI को ये कानूनी अधिकार है कि वो किसी से उसकी नागरिकता का प्रमाण मांगे.
THREAD: UIDAI did not follow due procedure & abused its powers. The result was (understandable) panic among people
First, @UIDAI has no power to verify citizenship. It has few powers to look into some cases of Aadhaar being granted incorrectly (rules 27 & 28) https://t.co/2QlzaOcwVJ
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 19, 2020
ओवैसी के मुताबिक नोटिस में कोई ठोस तर्क भी नहीं दिया गया है. जो कि गैर संवैधानिक और बर्दाश्त के बाहर है.
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असदुद्दीन ओवैसी इस बीच कानून की बात करके UIDAI पर भड़क गए हैं. एक के बाद एक ट्वीट करके वो सवाल पूछ रहे हैं. लेकिन यहां वो ये भूल गए कि ये कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही की जा रही है.
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