नई दिल्ली: भारत को आत्मनिर्भर बनाने का मिशन लेकर आगे बढ़ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार विजय के बाद फिर से वोकल फार लोकल का मंत्र दिया है. यानि देश में बनने वाले उत्पाद को प्रमोट करने की जिम्मेदारी अब देश के हर नागरिक की है.
दीवाली में ही वोकल फार लोकल होने का संदेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दीवाली में ही वोकल फार लोकल होने का संदेश दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि "दीवाली धूमधाम से मनाइए. अपना ध्यान रखिए और अपनों का भी ध्यान रखिए. एक बात देश का हर व्यक्ति करे. सिर्फ दीवाली के लिए वोकल फार लोकलस, वोकल फार लोकल. ये गूंजना चाहिए."
प्रधानमंत्री का मंत्र तो आपको बता दिया अब हम आपको देश में इसका असर भी बताते हैं. दीवाली में चाइनीज़ सामानों से भारत का बाजार पट जाता है. लेकिन इस बार चायनीज दीयों को टक्कर देंने अब शुद्ध देशी दिए बाजार में उतर रहे है. ये दीये मिट्टी के नहीं बल्कि गोबर से बने हुए है, मध्यप्रदेश के बैतूल में देशी गाय के गोबर से दीये तैयार किए जा रहे है. यहां महिलाएं दीपावली पर घरों को रौशन करने के लिए गोबर से बने दीपक बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है. महिलाएं यहां दीपक,मूर्तिया, मंगलकारी धार्मिक चिन्ह के निर्माण गोबर से कर रही है.
वोकल फार लोकर से हमारे देश की उन्नति
वैसे वोकल फार वोकल होना क्यों जरूरी है, ये बात प्रधानमंत्री ने चीन का नाम लिए बगैर भी समझाई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि "हमें लोकल चीजों पर हमारे लोगों का जिसमें पसीना है जिसमें हमारे मिट्टी की सुगंध है जिमसें हमारे देश के उज्जत आग्रही बनें. देखिए देश में दुनिया के कोई देश कोई हमें दबा नही पाएगा ये मानकर चलिए."
प्रधानमंत्री ने अपील की है तो देश कोने कोने में इसका असर भी नजर आ रहा है, राजस्थान के उदयपुर में भी शहरवासी इस बार पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल ले स्लोगन से भी प्रभावित हों कर देश मे बनी वस्तुओं को खरीदने में ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं. चलिए अब ये भी समझ लीजिए देश के लिए वोकल फार लोकल क्यों जरूरी है.
वोकल फॉर लोकल क्यों जरूरी?
- भारत की जनसंख्या 130 करोड़ से ज्यादा
- भारत में खपत करने की क्षमता ज्यादा
- अभी ज्यादा खपत का विदेशी कंपनियों को फायदा
- बंद हो रहे परंपरागत उद्योग-धंधों, कारीगरी को बचाना
- कुशल कारीगरों को सामान की सही कीमत दिलवाना
- 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना
- बेरोजगारी की समस्या का सबसे सफल और स्थिर समाधान
- देश व्यापार घाटा कम होगा और निर्यात बढ़ेगा
दरअसल त्योहारों के दौरान देश में अरबों का कारोबार होता है और भारत त्योहारों का देश है. अगर हम लगातार वोकल फॉर लोकल के लिए सबको प्रेरित करेंगे तो तय जानिए भारत के लिए आत्मनिर्भर बनना मुश्किल नहीं होगा क्योंकि यहां जनसंख्या 130 करोड़ ज्यादा है और भारतीय अर्थव्यवस्था खपत आधारित है.
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