नई दिल्ली: वर्तमान में केंद्र और देश के सबसे अधिक राज्यों में शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी की स्थापना को 41 साल हो गये हैं. पार्टी ने कई उतार चढ़ाव देखते हुए जमीन से आसमान तक का सफर तय किया. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में करोड़ों कार्यकर्ताओं के उत्साह के साथ 6 अप्रैल 1980 को भाजपा का जन्म हुआ था.
कांग्रेस के बाद भाजपा इकलौती ऐसी राजनीतिक पार्टी है जिसे केंद्र में पूर्ण बहुमत मिला है. वर्तमान में भाजपा और उसके नेतृत्व वाले NDA की देश के 17 राज्यों में सरकार है. बीते दो लोकसभा चुनावों से पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा लगातार पूर्ण बहुमत हासिल कर रही है.
पहले जनसंघ के रूप में जानी जाती थी BJP
जनसंघ मोरार जी देसाई की सरकार में शामिल था लेकिन उनकी सरकार गिरने के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर आ गया. चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री जरूर बने लेकिन वे 6 महीने भी पद पर नहीं रह सके और कांग्रेस की चालबाजी से उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद जनसंघ के नेताओं ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया. 6 अप्रैल 1980 को अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, कुशाभाऊ ठाकरे, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और नानाजी देशमुख जैसे कई जाने अनजाने कार्यकर्ताओं के संकल्प के साथ भाजपा का जन्म हुआ.
1951 में हुई थी जनसंघ की स्थापना
इससे पहले BJP को भारतीय जनसंघ के रूप में जाना जाता था. भारतीय जनसंघ की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में की थी. अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे. भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने में अटल बिहारी वाजेपयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है. दोनों ने दिल्ली से निकलकर पूरे देश में गांव गांव तक जाकर पार्टी को मजबूती दी. अटल बिहारी वायपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की परस्पर जुगलबंदी का लाभ भाजपा को मिला. दोनों नेता एक दूसरे के साथ समन्वय और सामंजस्य के साथ काम करने के लिये जाने जाते थे.
स्थापना के बाद पहली बार जब लोकसभा चुनाव हुए तो भाजपा के 1984 में केवल 2 सीटें मिलीं जो पार्टी के लिये बहुत बड़ा झटका था. हालांकि इसके बाद 1986 से लालकृष्ण आडवानी ने भाजपा का नेतृत्व करना शुरू किया और 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को 2 से 89 तक पहुंचा दिया.
विलक्षण है भाजपा की विकास यात्रा
1984 में भाजपा ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें इसे सिर्फ दो सीटें मिलीं, लेकिन बाद के चुनावों में पार्टी मजबूत बनकर उभरी है. 1980 में भारतीय जनता पार्टी बनी थी और पार्टी के पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने थे. आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा न सिर्फ भारतीय राजनीति की एक बड़ी घटना है बल्कि इसने भाजपा को हर व्यक्ति तक पहुंचा दिया.
जब मंडल राजनीति के कारण वीपी सिंह सरकार से हिन्दुओं के बीच तीखा मतभेद उभरकर कर सामने आया उसी वक़्त आडवाणी ने अयोध्या के रामजन्मभूमि आंदोलन से भाजपा की हिंदुत्व की विचारधार को मजबूत किया. बीपी सिंह की मंडल कमंडल की राजनीति पर आडवाणी की यह यात्रा भारी पड़ गई थी. लालू यादव ने बिहार में आडवाणी की रथयात्रा को रोककर बड़ी गलती की और वीपी सिंह की सरकार से भाजपा ने समर्थन हटाकर सरकार गिरा दी.
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने 1991 के लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन राजीव गांधी की हत्या की सहानुभूति कांग्रेस को मिली और उसने केंद्र में सरकार बना ली. लेकिन भाजपा विपक्ष में बैठकर भी इतिहास रच चुकी थी क्योंकि भाजपा ने कांग्रेस को मिल रही सहानुभूति की लहर के बीच लोकसभा चुनाव में 163 सीटें जीती थी. ये उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. देश की जनता समझ चुकी थी कि एक न एक दिन भाजपा सत्ता में जरूर आएगी.
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1996 में भाजपा को मिली पहली बार सत्ता
1996 के चुनाव में बीजेपी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. तब भारत के राष्ट्रपति ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. हालांकि बीजेपी सरकार 13 दिनों में ही गिर गई. इसके बाद भाजपा 1998 में फिर सत्ता में आई और 13 महीने बाद जयललिता ने सरकार से समर्छथन वापस ले लिया और महज 1 वोट से भाजपा की सरकार गिर गई. हालांकि 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन ने इतिहास रचते हुए पूर्ण बहुमत हासिल किया. इसमें अकेले बीजेपी को 182 सीटें हासिल हुई थीं. एक बार फिर से अटल बिहारी वाजपेयी प्रधामंत्री बने और इस बार उन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया.
दो से दोबारा मिली सत्ता
2004 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की और 2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार चलाई. 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल किया और 282 सीटें हासिल की. 2019 में भाजपा ने फिर ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर 303 सीटें हासिल की और 1984 की 2 सीटों से आगे बढ़कर 2019 में दोबारा देश की सत्ता पर कब्जा किया. इस जीत पर पीएम मोदी ने कहा था कि कभी हम दो थे और आज दोबारा सत्ता में आ गये.
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